रविवार, 26 फ़रवरी 2012

दिनेश शर्मा ने डाला बांबी में हाथ, मंत्र किसी और ने पढ़ा


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा घोषित शहर जिला कांग्रेस कार्यकारिणी को लेकर खुल कर विरोध के स्वर उठ चुके हैं, मगर बीते शनिवार कांग्रेस कार्यालय के बाहर किए गए दो घंटे के सांकेतिक सद्बुद्धि उपवास से तो यही जाहिर हुआ कि प्रत्यक्षत: जो चेहरे दिखाई दे रहे हैं, उनके पीछे कुछ चेहरे और भी हैं, जो विरोध में तो हैं, मगर सामने नहीं आना चाहते अथवा किसी वजह से सामने आ नहीं सकते। यही वजह है कि यह विरोध प्रदर्शन उतना सफल नहीं हुआ, जिसकी कि उम्मीद की जा रही थी। असंतोष उतना नहीं उभरा, जितना कि वास्तव में है। और उसकी खास वजह है स्थानीय सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट का खौफ। अब तक का अनुभव तो यही बताता है कि पायलट का काटा पानी नहीं मांग पा रहा। ऐसे में आ बैल मुझे मार वाली हरकत करना घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
यदि केवल खुल कर विरोध करने वाले पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश शर्मा को प्रदर्शनकारियों का असली और एक मात्र लीडर माना जाए तो यह प्रदर्शन कम करके नहीं आंका जा सकता, ठीक-ठाक भीड़ थी, मगर इस प्रदर्शन के लिए उकसाने वालों की भूमिका की समीक्षा भी करें तो यह कुछ खास नहीं रहा। असल में उकसाने वाले रासायनिक क्रिया की तरह उत्प्रेरक की भूमिका अदा कर रहे हैं, जो हालांकि रासायनिक क्रिया तो करवा रहे हैं, मगर खुद उससे पूरी तरह से अप्रभावित रहना चाहते हैं। यह आसानी से समझा जा सकता है कि वे कौन लोग हैं। यदि उनकी पीछे से सक्रिय भूमिका न भी मानी जाए तो भी उनका समर्थन तो निश्चित रूप से है। उन्होंने दिनेश शर्मा को भगत सिंह बना कर पेश कर दिया है। यह ठीक वैसा ही जैसा कि सांप की बांबी में हाथ दिनेश शर्मा से डलवा दिया है और मंत्र पढऩे की भूमिका खुद अदा कर रहे हैं। उनकी दिलचस्पी इसमें उतनी नहीं कि कथित पात्र व योग्य लोगों को कार्यकारिणी में स्थान मिले, उनकी रुचि इसमें ज्यादा है कि रलावता का रायता ढोल दिया जाए। उन्हें रलावता के अध्यक्ष बनने से बड़ा भारी मरोड़ हैं। कार्यकारिणी तो बाद की बात है।
इनमें कुछ तो ऐसे हैं कि शुरू में तो खुल कर सामने आए और बाकायदा संवाददाता सम्मेलन में शिरकत की, मगर जैसे ही धरातल पर विरोध प्रदर्शन की नौबत आई तो ऐसे गायब हो गए, जैसे गधे के सिर से सींग। इनमें पूर्व उपाध्यक्ष राम बाबू शुभम, पूर्व पार्षद चंदर पहलवान, प्रेम सिंह, सत्यनारायण पट्टीवाला शामिल हैं। कदाचित उन्हें इस बात डर रहा कि ऐसा करने से निशाने पर आ जाएंगे या फिर उन्हें कोई लॉलीपॉप चुसवा कर चुप करवा दिया गया है। ऐसे में संदेह होता कि कहीं दिनेश शर्मा विरोध करने की हिम्मत जुटाने की वाहवाही ही लूटते रह जाएं और मलाई कोई और खा जाए।