गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

नसीम का सरकार से मांगना गले नहीं उतरा


पुष्कर मेले की व्यवस्थाओं के लिए एक करोड़ रुपए की मांग कर बेशक शिक्षा राज्य मंत्री एवं पुष्कर क्षेत्र की विधायक श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ ने नेक काम किया है, मगर एक मंत्री का अपनी ही सरकार से इस प्रकार खुल कर मांग करना कुछ गले नहीं उतरता।
असल में मंत्री होने के नाते वे खुद ही सरकार का हिस्सा हैं। यह सही है कि एक विधायक के नाते उन्हें भी मुख्यमंत्री के सामने मांग रखनी ही होती है, मगर कम से कम एक मंत्री का सार्वजनिक रूप से मांगना तो ठीक नहीं। बेहतर तो ये होता कि वे मांग जरूर करतीं, मगर उसकी खबर जारी नहीं करतीं और एक करोड़ रुपए स्वीकृत करवा कर उसकी खबर जारी करवातीं। इससे उनके मंत्री होने का रुतबा भी कायम होता। मांग की खबर उन्होंने कदाचित इस कारण जारी की हो, ताकि राशि स्वीकृत हो जाने पर ये तो संदेश अपने आप चला जाए कि उनकी मांग पर एक करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं। वरना होता अमूमन ये है कि सरकार भले ही किसी मांग व प्रस्ताव पर राशि जारी करती है, मगर उसमें यह खुलासा नहीं करती कि किस की मांग पर ऐसा किया गया है। ऐसे में संबंधित विधायक उसकी क्रेडिट ले नहीं पाता। शायद यही जान कर श्रीमती इंसाफ ने मांग की खबर बाकायदा सूचना केन्द्र के जरिए जारी करवाई।
एक बात और अखरने वाली है। वो ये कि श्रीमती इंसाफ को यह तर्क दे कर एक करोड़ रुपए की मांग करनी पड़ रही है कि ख्वाजा साहब उर्स की तर्ज पर पुष्कर मेले के लिए भी बजट उपलब्ध कराया जाए। यानि कि सरकार को खुद तो कुछ नहीं सूझता कि पुष्कर का मेला भी उतना ही महत्वपूर्ण है। तभी तो क्षेत्रीय विधायक को मांग करनी पड़ती है।
वैसे एक बात है। उन्होंने मांग जरा देर से की है। मेला सिर पर है और अगर राशि मंजूर हो भी जाती है तो उससे काम इतने कम समय में हो नहीं पाएंगे। बेहतर ये होता कि वे कुछ पहले राशि मंजूर करवा कर लातीं, ताकि समय से पहले पुष्कर मेले के बेहतरीन इंतजाम हो पाते।
-तेजवानी गिरधर