शनिवार, 28 जुलाई 2012

पार्षदों का केवल टांग अड़ाना तो ठीक नहीं

शहर में नए राशनकार्ड बनाने लिए फार्म वितरण एवं जमा करने के लिए लगाए जा रहे शिविर में जनता के नुमाइंदे कहाने वाले पार्षदों का  नदारद रहना बेहद अफसोसनाक है। विशेष रूप से जब इस बेहद कठिन और अहम कार्य में पार्षदों को अहमियत नहीं दिए जाने पर पार्षदों की ओर से जिला रसद अधिकारी हरिशंकर गोयल की खिंचाई की गई हो और उनके दबाव की वजह से ही जिला प्रशासन की ओर से उनकी भागीदारी को अहमियत दी गई हो तो शिविर में न मौजूद रहना यह संदेश देता है कि क्या वे केवल टांग अड़ाने की ही भूमिका अदा कर रहे हैं या फिर जनता के नुमाइंदे होने के नाते जनता से सीधे जुड़े शिविर में उनकी कोई रुचि नहीं है।
यहां उल्लेखनीय है कि पार्षदों की गैरमौजूदगी की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फार्म सत्यापित कराने के लिए लोग उनका इंतजार करते रहते हैं और आखिरकार निराश होकर अपने घर लौट जाते हैं। लोगों का आरोप है कि पहले फार्म लेने के लिए चक्कर लगाने पड़े थे, अब फार्म का सत्यापन करवाने के लिए पार्षदों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ज्ञातव्य है कि रसद विभाग की लापरवाही, प्रगणकों की कमी और प्रगणकों की कोताही के चलते ही पार्षदों के दबाव पर अब नगर निगम के सहयोग से सभी वार्डों में शिविर लगाए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए भी किया गया है मौके पर ही पार्षद फार्म को सत्यापित कर दें, लेकिन जब वे वहां से नदारद रहते हैं तो लोगों को परेशानी होती है। इतना ही नहीं, फार्म में मांगी गई अत्यधिक जानकारियों की वजह से आम आदमी को बड़ी परेशानी हो रही है। ऐसे में यदि पार्षद थोड़ी सी भी सक्रियता दिखाएं तो यह बेहद दुरूह काम सरल हो सकता है।
गौरतलब है कि इस मसले पर पार्षदों की ओर से दी गई दलीलों में वाकई दम था कि उनकी भागीदारी न होने के कारण आम लोगों को परेशानी हो रही है और वे उन्हें परेशान कर रहे हैं। अब जब कि प्रशासन की पहल पर वार्ड वार शिविर लगाए जा रहे हैं, तो उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर

अब बिजली कहां से आ गई जाट साहब?


अजमेर विद्युत वितरण निगम ने भाजपा के विरोध के चलते फिलहाल बिजली कटौती बंद कर दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि यह बिजली आई कहां से? यदि बिजली उपलब्ध थी तो काटी क्यों जा रही थी? हालांकि हकीकत ये ही लगती है कि बिजली की कमी तो है, मगर अब चूंकि खुद निगम ने ही चला कर पंगा लिया है, इस कारण उसे डाइल्यूट करने के लिए उसे जुगाड़ करना पड़ रहा है। जुगाड़ अर्थात कहीं और की काट कर यहां शहर वालों को राजी किया जा रहा है।
यह राजी करने की नौबत आई इसलिए कि भाजपा ने जैसे ही प्रदर्शन कर चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट को अजमेर आने पर काले झंडे दिखाए जाएंगे, तो इस फजीहत से बचने के लिए फिलहाल कटौती बंद करने का निर्णय कर किया गया। असल में हुआ ये कि निगम ने खुद ही आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ कर ली। न जाने किसने अक्ल दी कि इन दिनों चल रहे रमजान माह के दौरान रोजों के मद्देनजर मुस्लिम बहुल इलाकों में कटौती बंद कर दी। जब इस प्रकार धर्म के आधार पर शहर को दो हिस्सों में बांटा तो हिंदूवादी संगठनों को गुस्सा आना ही था। शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत, विधायक वासुदेव देवनानी एवं अनिता भदेल के नेतृत्व में निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया। एमडी पीएस जाट व तकनीकी निदेशक बी एल माहेश्वरी की गैर मौजूदगी में चीफ इंजीनियर अजमेर जोन सी के खमेसरा एवं सर्किल इंजीनियर मेटेरियल मैनेजमेंट एस एस शेखावत को गुस्से का शिकार होना पड़ा। देवनानी ने तो खमेसरा को लालटेन ही भेंट कर दी। पार्षद नीरज जैन ने भी अपनी आदत के मुताबिक जलवा दिखाया।  इसी प्रकार विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री शशि प्रकाश इंदौरिया ने मजहब के नाम पर बिजली कटौती में भेदभाव करने को गलत करार दिया। उन्होंने मुस्लिम बहुल इलाकों में कटौती समाप्त किए जाने एवं हिन्दू एवं जैन समाज के त्यौहारों को नजरअंदाज किए जाने को गलत बताया। आरोप में दम भी था। इस आरोप की गंभीरता को देखते हुए ही निगम को मजबूरी में पूरे शहर में बिजली कटौती को बंद करना पड़ गया।
यदि निगम केवल मुस्लिम इलाकों की कटौती करने का निर्णय न करता तो यह नौबत नहीं आती। लोग इतने दिन से कटौती की मार सहन कर ही रहे थे, मगर वे धर्म के आधार पर भेदभाव को सहन नहीं कर पाए। जैसे ही हंगामा हुआ तो एमडी पी एस जाट को समझ में आ गया कि ये मामला भारी पड़ जाएगा। वजह ये कि आगामी दो दिन विभिन्न कार्यक्रमों के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अनेक मंत्री अजमेर में उपस्थित रहने वाले हैं। उनके सामने विरोध प्रदर्शन हुआ तो वह भारी पड़ जाएगा।
हालांकि भाजपा को इतनी उम्मीद नहीं थी कि उसकी काले झंडे दिखाने की चेतावनी इतना काम कर जाएगी कि निगम घबरा कर तुरंत कटौती बंद कर देगा। जैसे ही कटौती बंद हुई तो उसे समझ में आ गया कि कहीं मंत्रियों के अजमेर में रहने के दौरान हंगामा न होने की खातिर तो कटौती बंद की जा रही है और उनके जाने के बाद फिर से कटौती चालू कर दी जाएगी। सो शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत ने बयान जारी कर कहा कि यदि केवल कानून व्यवस्था बनाने एवं मुख्यमंत्री के अजमेर दौरे के कारण ही बिजली बंद की है तो इस छलावे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री के दौरे के बाद यदि वापस कटौती की गई, तो भाजपा फिर जन आंदोलन करेगी। अब देखना ये होगा कि तीन दिन बाद निगम का रुख अख्तियार करता है?
-तेजवानी गिरधर