शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

प्रो. जाट के स्वास्थ्य पर जारी करना पड़ा प्रेस नोट

राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष व अजमेर के सांसद प्रो. सांवरलाल जाट के स्वास्थ्य को लेकर उनके पीए राजेन्द्र जैन ने एक प्रेस नोट जारी किया है। उसमें लिखा है कि उनका दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहा है और स्वास्थ्य में सुधार है। शुभचिंतकों से अपील की गई है कि वे किसी भी प्रकार अफवाह या दुष्प्रचार पर ध्यान न दें। यह बेहद अफसोसनाक बात है कि कोई शख्सियत जिजीविषा के बल पर स्वास्थ्य लाभ ले रही हो और उसके बारे में अफवाहें फैलाई जाएं, तब मजबूरी में स्वास्थ्य को लेकर स्पष्टीकरण जारी करना पड़े।
असल में यह स्थिति इस कारण बनी है कि वे दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं और मीडिया उसकी रिपोर्टिंग नहीं कर रहा। जब तक जयपुर में भर्ती थे तो पूरी सरकार का ध्यान वहीं था, दिनभर नेताओं का जमावड़ा अस्पताल में ही रहता था और मीडिया भी पल-पल की खबर ले रहा था। चाहे सोशल मीडिया के जरिये, चाहे प्रिंट व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए, उनके स्वास्थ्य के बारे में आम जनता को जानकारी मिल रही थी। अस्पताल की ओर से मेडिकल बुलेटिन जारी हो न हो, पत्रकार अपने स्तर पर ही डॉक्टरों से जानकारी लेकर खबर बना रहे थे। मगर जब से उन्हें दिल्ली शिफ्ट किया गया है, कोई भी आधिकारिक जानकारी मीडिया में नहीं आ पा रही। उसकी वजह ये है कि दिल्ली की मीडिया की इसमें रुचि नहीं है। राज्य के अखबारों को भी अपने प्रतिनिधियों के जरिए प्रतिदिन खबर मंगवाना प्रैक्टिकेबल नहीं है। यही  वजह है कि प्रो. जाट की हालत इस समय कैसी है, उसके बारे में कुछ भी पता नहींं लग रहा। जाहिर है ऐसे में अफवाहें फैलती हैं। जितने मुंह उतनी बातें। नकारात्मक-सकारात्मक दोनों किस्म की चर्चाएं हो रही हैं। यहां तक कि भावी राजनीति तक पर चर्चा करने से लोग बाज नहीं आ रहे। इसको लेकर तनिक विवाद भी हुआ। हालांकि उनके समर्थक, जो कि दिल्ली में प्रो. जाट के रिश्तेदारों के संपर्क में है, वे वाट्स ऐप के जरिए स्वास्थ्य में सुधार की जानकारी दे रहे हैं, मगर चूंकि उसमें मेडिकल की टैक्निकल टर्म में खुलासा नहीं होता, इस कारण उस पर उतना विश्वास नहीं होता, जितना कि प्रिंट मीडिया में छपी खबर पर होता है।
कुल मिला कर उनके बारे में जानकारी न मिलने के कारण समर्थकों में चिंता व्याप्त है। विशेष रूप से अजमेर जिले के लोगों को तो उनके बारे में जानने की बहुत उत्कंठा है, चूंकि वे अजमेर के जनप्रतिनिधि हैं। राज्यभर में भी सरकार व राजनीति से जुड़े लोगों को उत्सुकता है, चूंकि वे एक प्रभावशाली नेता व किसान आयोग के अध्यक्ष हैं।
हालांकि यह तय है कि जयपुर की तुलना में दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर है, मगर ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार की भी यही मंशा रही कि आगे का इलाज दिल्ली में हो। उसकी वजह ये रही होगी कि जयपुर में इलाज चलने पर पूरी सरकार व मंत्रियों-विधायकों का ध्यान यहीं अटका रहता। इसके अतिरिक्त उनके शुभचिंतकों का जमावड़ा होने से अस्पताल की व्यवस्थाएं प्रभावित होतीं। मगर दिल्ली भेजे जाने का परिणाम ये रहा कि उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिलना ही बंद सी हो गई। ऐसे में अफवाहें फैलनी ही थीं। उसी की प्रतिक्रिया स्वरूप उनके निजी सचिव को भी बाकायदा प्रेस नोट जारी करना पड़ा कि उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। यह सुखद है कि उनकी तबियत अब ठीक है, मगर सरकार को चाहिए कि वह अपने स्तर पर ही प्रतिदिन के सुधार के बारे में जानकारी मीडिया को उपलब्ध करवाए।
-तेजवानी गिरधर
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