रविवार, 21 सितंबर 2014

केवल सरिता पर ठीकरा फोड़ कर बाकी सभी बरी हो गए

इसमें कोई दो राय नहीं कि नसीराबाद विधानसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा हार की एक वजह पार्टी प्रत्याशी श्रीमती सरिता गैना की छवि भी मानी जाती है, मगर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की समीक्षा बैठक में सारा जोर इसी पर दिया गया, उससे तो यही लगा कि पार्टी हाईकमान सहित अजमेर के नेताओं ने सारा ठीकरा सरिता गैना पर फोड़ कर अपने आप को बड़ी सफाई से बचा लिया। जानकारी के अनुसार पार्टी प्रत्याशी, प्रभारी, सेक्टर प्रभारियों सहित अन्य नेताओं ने राजे को जो हार के कारण बताए, उसमें सारा जोर सरिता की छवि को ही दिया गया। उन पर जिला प्रमुख पद पर रहते हुए पैसे खाने के आरोप इस तरह लगाए, मानो भाजपा के अन्य नेता तो दूध के धुले हुए हैं।
एक महत्वपूर्ण तथ्य ये भी सामने आया कि जाट बाहुल्य इलाकों में भाजपा को भरपूर वोट नहीं मिल पाए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या जाटों ने ही सरिता की छवि के आधार पर ही मतदान में उत्साह नहीं दिखाया। यह बात कुछ गले नहीं उतरी। साफ है कि जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट का सरिता गैना को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया, वरना क्या वजह रही कि जो जाट सांवरलाल के लिए बढ़-चढ़ कर वोट डालने निकले थे, वे सरिता के चुनाव में ठंडे पड़ गए। कहने की जरूरत नहीं है कि यह सीट जाट ने यह सीट मुख्यमंत्री के कहने पर ही छोड़ कर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। ऐसे में स्वाभाविक रूप से इस पर दावा उनके पुत्र का बनता था, मगर चाहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिवारवाद को बढ़ावा न देने की नीति का बहाना हो या फिर कोई ओर वजह, मगर इसमें गलती मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे का ही रहा कि वे जाट के बेटे के लिए ठीक से नहीं अड़ीं। दूसरा ये कि यदि आज यह बात उभर कर आ रही है कि सरिता की छवि ठीक नहीं थी तो जिले के नेता टिकट देने के पहले जोर देकर ये क्यों नहीं बोले की सरिता को टिकट देना ठीक नहीं होगा। यदि उन्हें टिकट मिलने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान सरिता की छवि का पता लगा तो यह भी साफ हो जाता है कि उनकी पकड़ जिले पर है ही नहीं, इस कारण उचित फीडबैक नहीं दे पाए। यानि कि कहीं न कहीं देहात जिला भाजपा भी इसके लिए दोषी है। और सबसे बड़ी बात ये कि चलो यहां तो सरिता की छवि ने दिक्कत की, प्रदेश की दो और सीटों पर भाजपा की हार क्यों हुई? कोटा दक्षिण में मतातंर काफी कम कैसे हो गया? जाहिर तौर पर प्रमुख वजहों में ूमोदी लहर का नदारद होने के साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकार की नीतियां भी रहीं, जिसकी वजह से जनता में भाजपा के प्रति मोह भंग हुआ।
बेशक सरिता की हार की एक वजह उनकी छवि रही होगी, मगर इतना तय है हार के लिए खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा, जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट व देहात जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो. बी. पी. सारस्वत भी हैं। बावजूद इसके सभी ने मिल कर सारा ठीकरा सरिता पर फोड़ दिया। अफसोस कि इस मोर्चे पर सरिता भाजपा में अकेली पड़ गई।