शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

शहर भाजपा में अहम किरदार निभाएंगे सोमरत्न आर्य

जानकारों का मानना है कि राजनीति में वही लंबा चलता है, जो कि ठंडा दिमाग रखता है। उग्र स्वभाव वाले कभी ऊंचाई हासिल भी कर लेते हैं, मगर उनकी यात्रा लंबी नहीं होती। अब अजमेर नगर परिषद के पूर्व उप सभापति सोमरत्न आर्य को ही देखिए। पिछले चुनाव में वे पार्षद का चुनाव हार गए। हार क्या गए, हरा दिए गए। अपनों के ही द्वारा। मगर वे शांत रहे। चलते रहे। चलते रहे। ठंडे दिमाग से वक्त का इंतजार करते रहे। और यही वजह है कि सब्र का फल मीठा होता है वाली कहावत को चरितार्थ करके दिखा दिया। अब उन्हें शहर जिला भाजपा की ओर से 24 फरवरी को जवाहर रंगमंच पर होने वाले प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन का संयोजक बना दिया गया है।
जानकारी तो यह तक है कि जैसे ही शहर भाजपा अध्यक्ष शिव शंकर हेडा कार्यकारिणी बनाएंगे, उनका अहम स्थान होगा। अब भी वे अहम भूमिका ही निभा रहे हैं। यदि ये कहा जाए कि अध्यक्ष भले ही हेडा जी हों, मगर उनकी सारी व्यवस्थाओं को एक्जीक्यूट करने में उनकी ही अहम भूमिका रहने वाली है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यानि कि हेडा जी के हनुमान।
वस्तुत: आर्य की खासियत ये है कि वे आम तौर पर स्थानीय भाजपा की तीखी गुटबाजी से दूर रहते हैं। कदाचित किसी गुट में शामिल हों भी तो भी विरोधी गुट के लोगों से मधुर संबंध बनाए रखते हैं। पार्टी में भी वे हार्ड लाइनर नहीं हैं और सदैव कूल व क्रिएटिव रहते हैं। कांग्रेसियों से भी दोस्ताना रखते हैं। यही वजह है कि उनका कोई जातीय आधार नहीं होने पर भी पार्षद का चुनाव जीते और उपसभापति भी बने। शायद ही कोई ऐसा भाजपा नेता हो, जिसके वे करीबी नहीं रहे। 
उनकी एक और खासियत है। वे केवल राजनीति में ही सक्रिय नहीं हैं, अपितु अनेकानेक सामाजिक व स्वयंसेवी संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। सांस्कृतिक गतिविधियां हों, साहित्यिक कार्यक्रम हों या खेल आयोजन, रेड क्रॉस सोसायटी हो या वृद्धाश्रम, पत्रकार क्लब हो या फागुन महोत्सव, रक्तदान कार्यक्रम हो या कोई ओर सेवा कार्य, हर एक में अग्रणी रहते हैं। इस कारण हर तबके में उनकी घुसपैठ है। सत्ता में हों या विपक्ष में, प्रशासन से भी तालमेल बनाए रखते हैं। इन बहुआयामीय गतिविधियों की वजह से ही राजनीति में भी अहम स्थान बनाए हुए हैं। पिछले चुनाव में पार्षद का चुनाव हारने के बाद लोगों का यही लगा कि कम से कम राजनीति में तो उनका अवसान हो गया, मगर वे धीमे-धीमे चलते रहे। उसी का परिणाम है कि आज एक बार फिर वे की रोल में आ गए हैं। समझा जाता है कि भाजपा की नई कार्यकारिणी एक नए रूप में आने वाली है, जिसमें सभी उपेक्षितों को स्थान मिलने वाला है। इस में भी वे ही रोल प्ले करने वाले हैं।
लगे हाथ हेड़ा जी की भी बात कर लें। हेडा जी भी कूल माइंडेड होने के कारण इतना लंबा चले हैं। कभी संघ की कमान संभाली तो कभी एडीए के चेयरमैन रहे। शहर भाजपा का भार तो दुबारा संभाल रहे हैं। हालांकि पिछली बार वे पूरी तरह से अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायकों से दबे हुए थे। इसी कारण नगर परिषद चुनाव में उनकी एक नहीं चली। मगर उन्होंने कभी आक्रामक रुख नहीं अपनाया। निर्विवाद रहने के कारण एडीए के चेयरमैन पद तक पहुंचे। भाजपा की सरकार चली गई तो विपक्ष में सबको साथ लेकर चलने वाले हेडा जी को फिर मौका मिल गया। उम्मीद ये की जा रही है कि इस बार वे दोनों विधायकों की दबाव की राजनीति से उबर जाएंगे। मगर सवाल सिर्फ ये कि विपक्ष में आक्रामक रहने की जरूरत होती है, और हेडा व आर्य दोनों ठंडे दिमाग के हैं तो पार्टी की धार कमजोर नहीं रह जाए।
तेजवानी गिरधर
7742067000

लोकसभा चुनाव के लिए नित नए दावेदार सामने आ रहे हैं

आगामी लोकसभा चुनाव की चर्चा शुरू होने के साथ पहले से सुपरिचित दावेदार तो सामने आए ही थे, मगर दोनों ही पार्टियों में छायी चुप्पी के बीच कुछ और दावेदार भी उभर कर आ रहे हैं। ये वाकई दावेदार हैं या अपनी दावेदारी सोशल मीडिया के जरिए उछाल रहे हैं, इस बारे में कुछ कहना संभव नहीं, मगर इतना तय है कि ये दावेदार आमतौर पर चर्चित नहीं हैं। हो सकता है कि कुछ वाकई जमीन पर पकड़ रखते हों या फिर ऊपर तक पहुंच रखते हों, मगर संभावना इस बात की भी है कि वे लोकसभा चुनाव के बहाने चर्चा में आना चाहते हैं, भले ही टिकट न मिले।
जितने भी दावेदार हैं, वे कोई न कोई जातीय आधार लेकर चल रहे हैं। चूंकि यह सीट जाट बहुल है, इस कारण दोनों ही दलों में जाट दावेदार अधिक उम्मीद में हैं। जैसे कांग्रेस में अजमेर डेयरी चेयरमेन रामचंद्र चौधरी। वे विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में लौटे, तो यही एजेंडा था कि लोकसभा चुनाव में दावेदारी करेंगे। उन्होंने विशेष रूप से मसूदा में कांग्रेस के राकेश पारीक को जितवाने में अहम भूमिका निभाई। वे कांग्रेस के लगभग हर कार्यक्रम में शिरकत भी कर रहे हैं। इसी प्रकार पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चौधरी भी लाइन में हैं। एक दावेदार पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया हो सकते थे, मगर पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बगावत कर अपनी दावेदारी खत्म कर ली। अब लगता नहीं कि ऐन चुनाव से पहले उन्हें कांग्रेस में शामिल करने के साथ टिकट भी दे दिया जाएगा।
भाजपा में जाट दावेदारों के तौर पर पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना, पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी का नाम चल रहा है। पिछली बार लोकसभा उपचुनाव में हारे रामस्वरूप लांबा विधानसभा चुनाव में नसीराबाद से जीत कर अपनी मंजिल हासिल कर ही चुके हैं। इस बीच कम चर्चित, मगर प्रभावशाली दीपक भाकर ने जिस प्रकार अपना प्रचार शुरू किया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने टिकट का जुगाड़ बैठा लिया है।
इस बीच एक और दावेदार का नाम सोशल मीडिया पर चल रहा है। वो हैं मालपुरा टोडारायसिंह के विधायक कन्हैयालाल चौधरी। बताया जा रहा है कि उन्होंने ग्राउंड सर्वे में अपना नाम जुड़वा लिया है। उन्होंने लोकसभा उपचुनाव में दूदू-फागी के प्रभारी के रूप में भाजपा का जम कर प्रचार किया था। दावा ये किया जा रहा है कि चूंकि अजमेर सीमा मालपुरा टोड़ा सीमा से जुड़ी हुई है, इस कारण  मालपुरा टोडारायसिंह क्षेत्र में कराए विकास कार्यों की गूंज पड़ोसी क्षेत्र होने के नाते अजमेर लोकसभा क्षेत्रवासियों तक भी गयी है।
करीब सवा लाख राजपूत वोटों के दम पर कांग्रेस में अजमेर उत्तर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके महेन्द्र सिंह रलावता, केकड़ी के पूर्व प्रधान भूपेन्द्र सिंह शक्तावत, देहात जिला कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ आदि दावेदारी कर रहे हैं। एक नाम और नाम सामने आया है। वो केकड़ी ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह शक्तावत का। उनका नाम पिछले दिनों एक बड़े दैनिक ने तीन प्रबल दावेदारों में शुमार किया था। बताया जाता है कि शक्तावत अजमेर के पूर्व सांसद व राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा के करीबी हैं। कहते हैं कि शर्मा के विधानसभा चुनाव न लडऩे की सूरत में शैलेन्द्र सिंह शक्तावत का नाम प्रबल दावेदार के रूप में सामने आया था।
उधर भाजपा में युवा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने भी टिकट हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
बात अगर वैश्यों की करें तो भाजपा में हाल ही शहर भाजपा अध्यक्ष के पद पर पूर्व एडीए चेयरमैन पद पर शिवशंकर हेड़ा की ताजपोशी के साथ वैश्यों की दावेदारी कमजोर हुई है। इसी प्रकार अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत की दावेदारी भी लोकसभा चुनाव प्रभारी बनने के साथ समाप्त सी हो गई है। ज्ञातव्य है कि खुद हेड़ा के अतिरिक्त पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा व धर्मेश जैन भी दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस में यूं तो एक मात्र प्रमुख नाम पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती का है, मगर सुनने में आया है कि पूर्व सांसद व पूर्व विधायक विष्णु मोदी भी जाजम बिछा रहे हैं। आपको याद होगा कि जब पहली बार सचिन पायलट अजमेर आए थे, उससे ठीक पहले डॉ. बाहेती ही एकमात्र ऐसा नाम था, जिस पर शहर व देहात कांग्रेस एकमत थे।
गूजरों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की माताश्री रमा पायलट का नाम चल रहा है तो भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री नाथूसिंह गुर्जर भी टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
राजनीति में लगभग हाशिये पर चले गए प्रो. रासासिंह रावत, जो कि पांच बार अजमेर के सांसद रहे हैं, ने भी उम्मीद नहीं छोड़ी है।
भाजपा संगठन में आईटी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आशीष चतुर्वेदी भी अजमेर संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवारी की जंग में कूद पड़े हैं।
तेजवानी गिरधर
7742067000