मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

कांग्रेस में एक ओर सिंधी चेहरा उभरा

अजमेर शहर जिला कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए प्रदेश कांग्रेस सचिव सुनिल पारवानी को यह दायित्व देने के पीछे पार्टी का जो भी मकसद रहा हो, मगर अजमेर उत्तर के सिंधी दावेदारों ने तो इसे इस रूप में लिया है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में गंभीर दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं। जाहिर तौर इससे दावेदारों में खलबली मच गई है। अब तक वे सोच रहे थे कि उनमें से कोई न कोई स्थानीय दावेदार टिकट हासिल कर लेगा, चूंकि इस बार किसी सिंधी को टिकट दिया जाना संभावित है, मगर अब लग रहा है कि पारवानी दमदार होने के कारण पेराटूपर की टपक सकते हैं।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस का जाहिर एजेंडा ये लगता है कि पारवानी को सिंधी समाज में कांग्रेस की पेठ बनाने के लिए भेजा गया है, मगर साइलेंट एजेंडा ये माना जा रहा है कि उन्हें पूरे दो साल का भरपूर समय दे कर चुनाव लडऩे की तैयारी का मौका दिया गया है। वस्तुत: भूतपूर्व केबीनेट मंत्री स्वर्गीय किशन मोटवानी के बाद कोई भी सिंधी नेता कांग्रेस में दमदार तरीके से स्थापित नहीं हो पाया, इस कारण धीरे धीरे कांग्रेस विचारधारा के सिंधी भी भाजपा की ओर खिसक गए। चूंकि अजमेर की दोनों सीटों पर सिंधियों का दबदबा है, इस कारण कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए सिंधियों में घुसपैठ करनी ही होगी। कदाचित इसी के मद्देनजर पारवानी को अजमेर का प्रभारी बनाया गया है। उनकी इस नियुक्ति से गंभीर दावेदारों नरेश राघानी, डॉ. लाल थदानी, हरीश हिंगोरानी, रश्मि हिंगोरानी आदि में खलबली होना स्वाभाविक है। वे यह जानते हैं कि कम गंभीर दावेदार अथवा यूं ही दावेदारी ठोकने वाले इस स्थिति का फायदा उठाना चाहेंगे। वे पारवानी की मिजाजपुर्सी करके पार्टी में कोई न कोई पद हासिल करने की जुगत बैठाएंगे। यानि कि पारवानी को स्वत: ही फॉलोअर मिल जाएंगे, जिसका वे चाहें तो आगे चल कर फायदा उठा सकते हैं।
हालांकि अभी यह दूर की ही कौड़ी है कि पारवानी को अजमेर भेजने का मकसद यहां चुनाव की जमीन तैयार करना है, मगर इसके राजनीतिक मायने तो यही निकाले जा रहे हैं।

-तेजवानी गिरधर
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सोमवार, 25 अप्रैल 2016

देवनानी के हटने से भदेल खेमे में खुशी

शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी को अजमेर के प्रभारी मंत्री पद से हटा कर चूरू का प्रभारी मंत्री बनाये जाने से एक ओर जहां भाजपा के महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल खेमे में खुशी है, वहीं जिला प्रशासन के लिए दिक्कत खड़ी हो गई है। भदेल खेमा इस कारण खुश है कि देवनानी का जिला प्रशासन में सीधा दखल समाप्त हो गया है और राज्य मंत्री के नाते अब दोनों मंत्री प्रशासन के लिए बराबर हो गए हैं। जिला प्रशासन को परेशानी इस कारण महसूस हो रही है कि अब उसे दोनों का बराबर तवज्जो देनी होगी, वरना पहले प्रभारी मंत्री के नाते केवल देवनानी की बात मानने का बहाना मिला हुआ था। वह बड़ी आसानी से अनिता को नजरअंदाज कर रहा था और देवनानी खेमे के भाजपा नेता व कार्यकर्ता मजे में थे।
हालांकि भदेल खेमा इस वजह से खुश है कि देवनानी का कद कम हुआ है, अजमेर जिले के संदर्भ में यह सही भी है, मगर ऐसा अकेले देवनानी के साथ नहीं हुआ है, नीतिगत फैसले के तहत हर उस मंत्री को प्रभारी मंत्री पद से हटा कर अन्य जिले में लगा दिया गया है, जो कि गृह जिले में प्रभारी बने हुए थे। हां, इस निर्णय से सरकार की वह नीतिगत त्रुटि स्पष्ट रूप से उजागर हो गई कि उसने प्रभारी मंत्री बनाये जाने के दौरान यह ख्याल क्यों नहीं रखा कि गृह जिले के मंत्री को प्रभारी मंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए था। जाहिर तौर पर इससे अनेक विसंगतियां उत्पन्न हुईं। विशेष रूप से अजमेर जिले में। यहां देवनानी के बराबर की राज्य मंत्री अनिता भदेल का कद केवल इस कारण कम था क्योंकि जिला प्रशासन को प्रभारी मंत्री के नाते देवनानी को ही तवज्जो देनी पड़ती थी। खैर, अब जब कि उसके लिए दोनों बराबर हैं तो जाहिर तौर पर शहर से जुड़े हर मसले पर विवाद की स्थिति में संतुलन बनाना कठिन होगा और उसे नए प्रभारी मंत्री हेम सिंह भडाणा अथवा मुख्यमंत्री वसुंधरा का मुंह ताकना होगा।
बहरहाल, इस बदलाव से अनिता भदेल खेमा बहुत खुश है, जो कि इस फिराक में था कि कब देवनानी का कद कम हो। उसे इस बात की भी खुशी है कि देवनानी को ऐसे जिले का प्रभारी बनाया गया है, जो चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ का गृह जिला है। यह सर्वविदित है कि राठौड़ ताकतवर मंत्री हैं और वसुंधरा के करीबी हैं। ऐसे में देवनानी चाह कर भी चुरू में मनमानी नहीं कर पाएंगे।
-तेजवानी गिरधर
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बुधवार, 13 अप्रैल 2016

क्या देवनानी व हेड़ा में तालमेल नहीं?

एक ओर अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने पिछले दिनों कहा कि स्टेशन रोड पर एलिवेटेड रोड की फिजिबिलिटी नहीं है। दुकानदारों का भी भारी विरोध है। इस रोड पर पर्याप्त स्थान भी नहीं है। एडीए किसी एक ही प्रोजेक्ट पर इतनी बड़ी रकम खर्च करने की स्थिति में भी नहीं है। यानि कि साफ तौर पर मान लिया गया कि एलिवेटेड रोड का सपना चकनाचूर हो गया, लेकिन दूसरी ओर शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने फिर आस जगाई है। उन्होंने नई दिल्ली में केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू से मुलाकात कर कहा कि अजमेेर शहर में यातायात का दबाव बढ़ता जा रहा है। स्टेशन रोड पर पूरे दिन जाम के हालात बने रहते हैं। शहर में एलिवेटेड रोड की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इस पर नायडू ने एलिवेटेड रोड के लिए हृदय योजना से डीपीआर तैयार कर भिजवाने तथा आवश्यक राशि उपलब्ध कराने पर सहमति जताई।
सवाल उठता है कि बकौल हेड़ा जिस एलिवेटेड रोड की फिजिबिलिटी नहीं मानते, दुकानदारों के भारी विरोध से घबरा रहे हैं और इस रोड पर पर्याप्त स्थान भी नहीं बता रहे, उसके लिए अपेक्षित राशि जुटाने के लिए देवनानी कैसे प्रयास कर रहे हैं? साफ है कि दोनों के बीच तालमेल नहीं है।
ज्ञातव्य है कि एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव 2013 में कांग्रेस सरकार के दौरान तैयार हुआ था। एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव के अनुसार यह स्टेशन रोड पर मार्टिंडल ब्रिज से लेकर क्लॉक टावर थाना, गांधी भवन, कचहरी रोड, इंडिया मोटर्स चौराहा होते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग के पुराने दफ्तर के सामने तक जाना था। ऐसे में गांधी भवन से एलिवेटेड रोड दो हिस्सों में बंट जाता। इसका दूसरा हिस्सा जीपीओ, नगर निगम के सामने से होते हुए आगरा गेट तक जाता। तब एक कंसलटेंट से डीपीआर भी तैयार करवाई गई, जिस पर करीब 20 लाख रुपए खर्च हुए थे। इस प्रस्तावित रोड पर 200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया था।
-तेजवानी गिरधर
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रविवार, 10 अप्रैल 2016

क्या स्वर्णकार भाजपा को छोड़ भाजपा में शामिल होंगे?

तुलसी सोनी
पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी दाहरसेन मंडल के कोषाध्यक्ष जयकिशन छतवानी सोनी के कांग्रेस में शामिल होने के विवादास्पद समाचार के बाद भले ही शहर भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया हो कि खबर पूरी तरह से निराधार थी, मगर सच ये है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार द्वारा सोने के व्यापारियों व कारीगरों पर कसे गए शिकंजे की वजह से अनेक सर्राफा व्यवसायी व स्वर्णकार बहुत गुस्से में हैं। भाजपा से जुड़े कई कार्यकर्ता पार्टी छोडऩे की सोचने को मजबूर हैं।
वस्तुत: अजमेर के अधिकतर सिंधी स्वर्णकार आरंभ से आरएसएस व भाजपा से जुड़े हुए हैं। विशेष रूप से चुनाव के दौरान इनकी मजबूत टीम भाजपा के लिए पूरे जोश खरोश के साथ काम करती है। मगर हाल ही केन्द्र की भाजपा सरकार ने जैसे ही कड़ा कदम उठाया है, उनमें गुस्सा है। पहले तो उम्मीद थी कि सरकार उनकी मांग मान लेगी, इस कारण हड़ताल में जोश के साथ भाग लिया, मगर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के सख्त रवैये के चलते अब धीरे-धीरे आस टूटने सी लगी है। इस बीच हड़ताल को एक माह से भी ज्यादा समय हो जाने के कारण कई स्वर्णकार आर्थिक संकट में आने लगे हैं। बेशक उनकी आस्था भाजपा में रही है और अब भी है, मगर जब केन्द्र ने उनके पेट पर लात मारी है तो आखिर कितने दिन तक उस आस्था को बरकरार रख पाते हैं, ये देखने वाली बात है। जानकारी के अनुसार अब तंग आ कर कई स्वर्णकार भाजपा को छोडऩे का विचार करने को मजबूर हैं, मगर भाजपा के वरिष्ठ नेता तुलसी सोनी ने उन्हें रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। गुस्सा तुलसी सोनी को भी कम नहीं है, जिसका इजहार उनके भाषणों में होता है। दरगाह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चादर चढ़ाने आए केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के सामने भी आग बबूला हो गए, जिसकी वीडियो क्लिपिंग सोशल मीडिया पर वायरल हुई। मगर चूंकि आरएसएस के सच्चे स्वयंसेवक और भाजपा के जिम्मेदार नेता हैं, इस कारण एकाएक विद्रोह करने की स्थिति में नहीं हैं। एक ओर समाज में व्याप्त गुस्सा तो दूसरी ओर भाजपा के प्रति प्रतिबद्धता, बेहद मुश्किल है संतुलन बना पाना। बेशक उनके लिए भाजपा छोडऩा कठिन है, कांग्रेस में शामिल होना और भी कठिन, मगर कई स्वर्णकारों का भाजपा से मोहभंग होने को है। संभव है, जैसे जयकिशन छतवानी सोनी के मामले की तरह भाजपा अपनी लाज बचाने की खातिर इस खबर का भी खंडन करे, मगर सच ये है कि स्वर्णकारों में भाजपा के प्रति बहुत अधिक रोष है। अब देखने वाली बात ये है कि ये हड़ताल आखिर कितनी लंबी चलती है, केन्द्र सरकार क्या कदम उठाती है और मांग पूरी न होने पर वे क्या रुख इख्तियार करते हैं। देखते हैं कि आखिर कितने दिन तक तुलसी सोनी उन्हें पार्टी से विमुख होने से रोक पाते हैं।
-तेजवानी गिरधर
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विधानसभा चुनाव के लिए सिंधी दावेदार जुटे तैयारी में

चेटीचंड के मौके पर निकाले गए जुलूस के दौरान एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने जैसे आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को ही टिकट दिए जाने की संभावना जताई, जितने भी सिंधी दावेदार हैं, तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि दावेदारी करने की वे पहले भी सोच रहे थे, मगर अब उन्हें लगता है कि इस बार रास्ता साफ है और कोई गैर सिंधी आड़े नहीं आएगा। प्रतिस्पद्र्धा आपस में ही रहेगी।
अजमेर दक्षिण में आने वाले अजयनगर इलाके की पूर्व पार्षद और पिछला नगर निगम चुनाव हार चुकी श्रीमती रश्मि हिंगोरानी कुछ अतिरिक्त ही उत्साहित हैं। उन्होंने चेटीचंड के अवसर पर शहर में कई जगह शुभकामनाओं वाले फ्लैक्स लगवाए। इसके अतिरिक्त जुलूस में भी वे पूरे वक्त शामिल रहीं।  कदाचित उन्हें उम्मीद है कि महिला कोटे में उनका नंबर आ सकता है। इसी प्रकार पूर्व पार्षद सुनिल मोतियानी ने आशागंज में शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन व निगम के पूर्व मेयर कमल बाकोलिया के साथ जुलूस का शानदार स्वागत किया। समझा जाता है कि वे इस बार दावेदारी करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे। रिश्ते में उनके ही भाई पूर्व पार्षद हरीश मोतियानी भी फिर से दावेदारी कर सकते हैं। उन्होंने भी जूलूस में उत्साह के साथ भाग लिया। युवा नेता नरेश राघानी हालांकि अभी अजमेर से बाहर हैं, इस कारण जुलूस में नजर नहीं आए, मगर पिछली बार की तरह वे भी टिकट के लिए पूरी ताकत झोंकने का माद्दा रखते हैं। कर्मचारी नेता हरीश हिंगोरानी पारिवारिक कारणों से व्यस्त हैं, मगर उनसे फारिग होने पर खुल कर दमदार दावेदारी करने से नहीं चूकेंगे। पिछली बार भी उन्होंने गंभीर प्रयास किए थे। दावेदारों की सूची में पूर्व पार्षद रमेश सेनानी का नाम भी शुमार है। राजस्थान सिंधी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. लाल थदानी ने भी इस बार जुलूस में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। हालांकि पिछली बार दावेदारी कर चुके राज दरबार अगरबत्ती वाले राजकुमार और माया मंदिर वाले दीपक हासानी अभी चुप हैं, मगर वे भी चुनाव नजदीक आने पर दावेदारी ठोक सकते हैं। जैन के करीबी बिन्नी जयसिंघानी के भी दावेदारी करने की चर्चा है। एक इंश्योरेंस कंपनी के लीगल अधिकारी जगदीश अबीचंदानी को भी कुछ लोग मैदान खाली देख कर दावेदारी करने के लिए प्रेरित रहे हैं। पिछले कुछ समय से वे सिंधी समाज की गतिविधियों में पूरी तरह से सक्रिय हैं। समझा जाता है कि आने वाले दिनों में कुछ और दावेदार भी सामने आ सकते हैं।
रहा सवाल सबसे प्रबल दावेदार रहे नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत का, तो वे ये यह सोच रहे हैं कि उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हो जाएं, तो खुल कर मैदान में आ जाएं। इस कारण सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। हालांकि फिलवक्त वे कांग्रेस में नहीं हैं, मगर आरोप से फारिग होने पर कांग्रेस में शामिल होने की जुगत बैठाएंगे।
कुल मिला कर कांग्रेस में मौजूद सिंधी नेता इन दिनों सक्रिय हैं और उम्मीद करते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रतिकूल माहौल होने की संभावना के चलते चुनाव जीतना अपेक्षाकृत आसान रहेगा। खैर, टिकट चाहे जिस सिंधी नेता को मिले, वह जीते या हारे, मगर उसका लाभ अजमेर दक्षिण के कांग्रेस प्रत्याशी को निश्चित मिलेगा, क्योंकि सिंधी समुदाय को दो सौ सीटों वाली विधानसभा में एक भी टिकट न दिए जाने को आधार बना कर मुहिम चलाने का मौका नहीं मिलेगा।
-तेजवानी गिरधर
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सिंधियों को खूब रिझाया देवनानी व अनिता ने

चेटीचंड के मौके पर निकाले गए जुलूस के दौरान शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी और महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने सिंधी समाज को रिझाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। दोनों ने न केवल जुलूस के आरंभ में डांडिया खेल कर उपस्थिति दर्ज करवाई, अपितु थकावट की परवाह न करते हुए अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में जुलूस के मार्ग में लगातार रह कर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। जाहिर है कि दोनों ही सिंधी समुदाय के वोट बैंक पर कब्जा बरकरार रखना चाहते हैं। जहां अनिता भदेल सिंधियों के एक मुश्त वोटों के दम पर ही लगातार तीन बार जीत दर्ज करवा चुकी हैं, वहीं देवनानी भी इसी समाज के होने के नाते टिकट भी हासिल करते हैं और जिताने में भी सिंधी समुदाय की अहम भूमिका रहती है।
यूं रिझाया तो शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने भी, यह कह कर कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसी सिंधी को टिकट दिलाने के प्रयास रहेंगे। साफ है कि लगातार दो बार गैर सिंधी के रूप में डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के हारने के बाद कांग्रेस तीसरी बार सिंधी कार्ड खेलना चाहेगी। अजमेर उत्तर में कांग्रेस का सिंधी प्रत्याशी जीतेगा या नहीं, ये तो पक्के तौर कहा नहीं जा सकता, मगर इसका फायदा अजमेर दक्षिण के कांग्रेस प्रत्याशी को मिलेगा ही। चेटीचंड के मौके पर जुलूस में पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, पूर्व मेयर कमल बाकोलिया, पूर्व पार्षद सुनिल मोतियानी, पूर्व पार्षद हरीश मोतियानी, पूर्व पार्षद रश्मि हिंगोरानी आदि ने भी शिरकत की।
-तेजवानी गिरधर
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मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

कैसे उठी देवनानी व अनिता को मंत्री पद से हटाने की बात?

पिछले कुछ दिन से शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल सहित राज्य में पांच मंत्रियों को हटाए जाने का समाचार एक समाचार एजेंसी से जारी होने के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उसकी धूम मची हुई है। इसके साथ एक खबर ये भी उड़ रही है कि पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र व शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह को शिक्षा राज्य मंत्री बनाया जा रहा है। मंत्रियों को हटाए जाने की खबर पर सहसा विश्वास करना मुश्किल है, मगर चूंकि यह एक समाचार एजेंसी के जरिए आई, इस कारण माथा ठनकना वाजिब है।
खबर के आधार पर कयास लगाने वालों का कहना है कि देवनानी को मंत्री पद से हटाए जाने की संभावना की एक बड़ी वजह ये है कि भाजपा विधायक श्रीचंद कृपलानी मंत्री बनने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं। पिछले दिनों उन्हें यूआईटी का चेयरमेन बनाया गया, मगर उन्होंने नाराजगी दर्शाते उस पद को ग्रहण करने से इंकार कर दिया। वे चुप नहीं बैठे हैं। अगर उन्हें सिंधी कोटे से मंत्री बनाया जाता है तो ऐसे में देवनानी की छुट्टी करनी होगी। हालांकि कृपलानी सिंधी वोटों के दम पर नहीं जीतते, जिस प्रकार देवनानी जीतते हैं, मगर यदि उन्हें मंत्री बनाया जाता है तो वह सिंधी कोटे में गिना जा सकता है। जहां तक देवनानी के मंत्री पद से हटने की संभावना का सवाल है, वह काफी कठिन है, क्योंकि वे आरएसएस कोटे से हैं और उसमें भी गिनती के दमदार आरएसएस विधायकों में से। इसके अतिरिक्त शिक्षा राज्य मंत्री के नाते वे पाठ्यक्रम में आरएसएस का एजेंडा लागू करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इस कारण आरएसएस उन्हें हटाए जाने पर राजी होगी, थोड़ा कठिन लगता है। एक वजह और भी है, वो यह कि पिछले नगर निगम चुनाव में उनके अजमेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का परफोरमेंस अच्छा रहा है। उनके इलाके के पार्षदों के दम पर ही मेयर पद पर भाजपा के धर्मेन्द्र गहलोत को मेयर बनाया जा सका।
उधर अनिता भदेल के हटने के पीछे एक मात्र वजह अगर हो सकती है तो वो यह कि निगम चुनाव में वे फिसड्डी साबित हुईं। खुद अपनी जाति कोलियों के वोट तक हासिल नहीं कर पाईं। यहां तक कि खुद अपने वार्ड में भाजपा को नहीं जितवा पाईं। ज्ञातव्य है कि वे अजमेर में भाजपा की गुटबाजी को संतुलित करने की खातिर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पसंद से वे मंत्री बनाई गईं, जबकि अजमेर शहर से ही देवनानी को मंत्री बनाना सुनिश्चित था। बनाना तो उनको केबीनेट मंत्री था, मगर संतुलन की राजनीति के चलते उन्हें राज्य मंत्री के रूप में संतुष्ट होने को मजबूर किया गया। ये बात दीगर है कि उन्हें प्रभावशाली बनाते हुए अजमेर प्रभारी मंत्री भी बना दिया गया।
बहरहाल, दोनों मंत्रियों को हटाए जाने वाली खबर से अजमेर भाजपा में खलबली मची हुई है।
-तेजवानी गिरधर
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