रविवार, 10 जून 2012

सीईओ के गले की हड्डी बना किंग एडवर्ड मेमोरियल


नगर निगम के सीईओ सी आर मीणा के लिए रेलवे स्टेशन रोड स्थित किंग एडवर्ड मेमोरियल गले की हड्डी बन गया है। एक ओर जहां निगम के मेयर कमल बाकोलिया ने मेमोरियल का कब्जा लेने को कहा है तो दूसरी ओर चूंकि इसकी अध्यक्ष कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल और प्रशासक उपखंड अधिकारी हैं, इस कारण कार्यवाही करने को लेकर असमंजस और झिझक में हैं। मेयर बाकोलिया की नहीं मानते तो आदेशों की अवमानना होती है व पहले से ही बन-बिगड़ रहे संबंधों में ज्यादा खटास आती है और मानते हैं तो जिला प्रशासन नाराज हो सकता है। ज्ञातव्य है कि जिला प्रशासन के अंडर में होने के कारण इसका प्रशासनिक अधिकारी उपयोग करते हैं और वे एकाएक नहीं चाहेंगे कि इसे खाली किया जाए।
उल्लेखनीय है नगर निगम ने मेमोरियल कमेटी को करीब छह माह पहले नोटिस दे कर कहा था कि निगम ने स्मारक बनाने के लिए जमीन आवंटित की थी, लेकिन उसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है, जो कि नियमों के विपरीत है। लिहाजा निगम जमीन का कब्जा वापस लेगी। निगम का नोटिस मिलने के बाद कमेटी ने संभागीय आयुक्त न्यायालय में अपील की। इस पर संभागीय आयुक्त ने निगम को कमेटी का पक्ष सुनने के बाद कार्रवाई करने के निर्देश दिए। कमेटी ने निगम के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह जमीन लीज पर दी गई है, जिसे वह निरस्त नहीं कर सकती। निगम ने इस दलील को इस आधार पर मानने से इंकार कर दिया कि कमेटी मेमोरियल का व्यावसायिक उपयोग नहीं कर सकती।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंग्रेजों के जमाने में 25 मार्च 1911 को नगर पालिका की साधारण सभा में प्रस्ताव पारित कर कमेटी को ब्रिटिश राजा किंग एडवर्ड की याद में स्मारक बनाने के लिए ब्यावर रोड पर जमीन दी। जब कमेटी ने शहर के नजदीक जमीन देने का आग्रह किया तो 6 सितंबर 1911 की साधारण सभा में स्टेशन रोड के मौजूदा स्थान पर जमीन देने का प्रस्ताव पारित हुआ। शुरू में जरूर यह एक स्मारक की भांति ही था, मगर बाद में इसका व्यावसायिक उपयोग शुरू कर दिया गया।
कुल मिला कर अब स्थिति ये है कि सीईओ मीणा पर यह दबाव है कि वे मेमोरियल को खाली करवाएं। हालांकि समझा जाता है कमेटी इतनी आसानी से खाली करने वाली नहीं है और वह मामले को स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक तक ले जा सकती है। शहर के बेहद कीमती स्थान पर बने मेमारियल भवन पर कब्जा करने की मेयर बाकोलिया की यह पहल शहर के हित में और वे इसको खाली करवा कर इसका बेहतर उपयोग करवा सकते हैं, मगर यह इतना आसान नहीं लगता कि प्रशासन खाली करने के लिए राजी हो जाएगा।
-तेजवानी गिरधर
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