रविवार, 3 नवंबर 2019

अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग बीस
श्रीमती मधु खंडेलवाल
यूं तो श्रीमती मधु खंडेलवाल कई वर्षों से साहित्य व समाज की सेवा कर रही हैं, मगर अजमेर में पहली बार लेखिकाओं को एक मंच पर ला कर साहित्याकाश पर यकायक उभर कर आ गई हैं। प्रतिदिन किसी न किसी कार्यक्रम का हिस्सा बन कर अब वे एक जाना-पहचानी हस्ताक्षर हो चुकी हैं। यदि ये कहा जाए कि वे अजमेर के उन गिनती के जीवित, यानि सक्रिय व ऊर्जावान बुद्धिजीवियों में एक हैं, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
उन्होंने 30 जुलाई, 2018 में अजमेर लेखिका मंच की स्थापना की और 62 महिलाओं को इस मंच से जोडऩे में सफलता हासिल की। जाहिर तौर पर इससे स्थापित व नवोदित लेखिकाओं को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अच्छा माध्यम मिला है। इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने साहित्य को सामाजिक सरोकारों से भी जोडऩे का अनूठा प्रयोग किया है। वर्षभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन, जैसे एन.बी.टी, केन्द्रीय कारागृह, अनाथ आश्रम, नारीशाला, दयानन्द आश्रम व हाडी रानी बटालियन में साहित्य संगोष्ठी एवं चर्चा, लाडली, महिला एवं बाल विकास विभाग अन्य कॉलेज व स्कूलों में साहित्य के कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इसके अतिरिक्त मूक-बधिर बच्चों को ब्रेन लिपि द्वारा साहित्य सृजन में योगदान किया है।
भारतीय जीवन बीमा निगम, अजमेर में बतौर उच्च श्रेणी सहायक के रूप में काम करते हुए उन्होंने छह पुस्तकों का लेखन व प्रकाशन किया है। उनकी दो पुस्तकें, सुगंध का रहस्य व एक भूल राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने प्रकाशित की हैं। पुस्तक सुगंध का रहस्य बाल साहित्य है, जिसे मयूर स्कूल के ग्रीष्मकालीन अवकाश कोर्स के रूप में शामिल किया गया है। पुस्तक एक भूल राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2018 में राज्य के सभी सरकारी पुस्तकालय में रखने हेतु क्रय की गईं। पुस्तक वैज्ञानिकों की रोचक कथाएं एवं नुपुर काफी चर्चित हैं। पुस्तक तरंग पर शॉर्ट फिल्म का फिल्मांकन किया गया।
वे राष्ट्रीय हिन्दी भाषा उन्नैयन समिति, इंदौर की प्रदेश अध्यक्ष, प्रगतिशील लेखक संघ की मानद सदस्या व भारतीय जीवन बीमा निगम में स्थित हिन्दी परिषद् की सचिव हैं। वर्ष 2018 में मेरठ लिटरेचर फैस्टिवल में वक्ता की हैसियत से शिरकत कर चुकी हैं। उनको राष्ट्रीय भाषा भारती साहित्य अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2014 से दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर निरन्तर काव्य गोष्ठी एवं कार्यक्रमों में शामिल हो रही हैं।
लेखन के अतिरिक्त उनकी रुचि समाज सेवा में भी है और समाज में निराश्रित एवं गरीब महिलाओं व निम्न तबके के लोगों को आगे बढ़ाने, शिक्षित करने एवं पुनर्वास का कार्य करने में समर्पित हैं। राजस्थान राज्य महिला आयोग की अजमेर जिला मंच की सदस्य रही हैं। गणतंत्र दिवस समारोह 2018 में जिला स्तर पर सम्मानित की जा चुकी हैं। इसी प्रकार राजस्थान राज्य महिला आयोग द्वारा महिला उत्थान हेतु सम्मान हासिल कर चुकी हैं। उन्हें राजस्थान सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा  सम्मानित किया गया है। बेटी बचाओ पुरस्कार, सावित्री बाई राष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रीय महिला शक्ति पुरस्कार।, विमेन सब्सटेन्स अवार्ड, ग्लोबल डिग्निटी अवार्ड, रन फोर ह्यूमेनिटी अवार्ड, ग्लोबल प्राइड अवार्ड, खंडेलवाल समाज प्रतिभा सम्मान, राष्ट्रीय महिला सम्मान, आईडल वूमन अचिवमेन्ट अवार्ड, एल.आई.सी. महिला सशक्तिकरण अवार्ड, नेशनल ह्यूमेनिटी अवार्ड, जयपुर रत्न सम्मान, ह्यूमटेरियन एक्सीलेन्स अवार्ड आदि उनकी उपलब्धियों में शामिल हैं। उनकी कहानी, कविताएं आदि स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

शहर भाजपा अध्यक्ष पद के लिए गहलोत सबसे ज्यादा उपयुक्त

अजमेर शहर भाजपा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पार्टी में खींचतान चल रही है। एक तरफ मौजूदा शहर भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा का गुट है तो दूसरी ओर तकरीबन 15 साल तक स्थानीय भाजपाइयों को दो फाड़ करके रखने वाले पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व पूर्व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल की एकजुटता है। उनकी एकजुटता की वजह साफ है। भले ही उन्होंने शहर भाजपा को दो हिस्सों में बांट कर रखा, मगर पावरफुल होने के कारण पूरी भाजपा उनके ही कब्जे में थी। जैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की कृपा से शिव शंकर हेड़ा अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बने, देवनानी व भदेल की दादागिरी से त्रस्त एक नया गुट डॅवलप हो गया। संयोग से अजमेर विकास प्राधिकरण से निवृत्त होने के बाद भी हेड़ा को ही शहर भाजपा की कमान सौंपी गई, इस कारण उनका गुट कुछ और मजबूत हो गया। हालांकि वे पूर्व में भी अध्यक्ष रह चुके हैं, मगर तब वे इतने पावरफुल नहीं थे। हालत ये थी कि अजमेर नगर परिषद के चुनाव में अपने एक भी चेले को टिकट नही दिलवा पाए। सारी सीटें देवनानी व भदेल के बीच ही बंटी। चाहे प्रो. रासासिंह रावत का अध्यक्षीय कार्यकाल हो या अरविंद यादव, चलती देवनानी व भदेल की ही थी। ऐसा होना स्वाभाविक भी था। दोनों के पास सत्ता की ताकत रही, इस कारण जिन-जिन के भी उन्होंने काम करवाए, वे उनके भक्त हो गए। अध्यक्ष तो संगठन प्रमुख के रूप में नाम मात्र का था। कहा भले ही ये जाए कि मजबूत संगठन की वजह से ही लगातार चार बार विधानसभा चुनावों में अजमेर की दोनों सीटें जीती गईं, मगर सच्चाई ये है कि ऐसा देवनानी व भदेल के व्यक्तिगत दमखम और जातीय समीकरण की वजह से हुआ।
खैर, अब जब कि ये समझा जाता है कि नए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया गुटबाजी खत्म करना चाहते हैं, ताकि शहर अध्यक्ष पावरफुल हो और आम कार्यकर्ता की सुनवाई हो, तो देवनानी व भदेल से त्रस्त कार्यकर्ता व छोटे नेता हेड़ा के इर्दगिर्द और अधिक लामबंद हो रहे हैं। भला यह देवनानी व भदेल को कैसे मंजूर हो सकता है कि उनका भाजपा पर से कब्जा छूट जाए, लिहाजा अपना अस्तित्व बचाने की खातिर दोनों एक दूसरे के नजदीक आ गए हैं। उन्होंने संगठन चुनाव में अपने चहेतों को मैदान में उतारने के लिए कमर कस ली है। नगर निगम चुनाव में मात्र आठ माह बचे हैं। वे जानते हैं कि यदि उनकी पसंद के पदाधिकारी न बने तो चुनाव में दिक्कत आएगी।
बात अगर शहर अध्यक्ष पद की करें तो ऐसा समझा जाता है कि संघ व भाजपा, दोनों ऐसे चेहरे की तलाश में हैं, जो मुखर हो, अनुभवी हो और सभी को साथ लेकर चल सके। फिलवक्त एक भी ऐसा चेहरा सामने नहीं आया है। आनंद सिंह राजावत जरूर दमखम रखते हैं और संगठन को ठीक से चला सकते हैं, लेकिन उन पर आमराय बनना संभव नहीं लगती। नए चेहरों में नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत, मौजूदा डिप्टी मेयर संपत सांखला और पार्षद जे. के. शर्मा व नीरज जैन हैं। चांस सभी गुटों को साथ ले कर चलने का माद्दा रखने वाले नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर सोमरत्न आर्य को भी मिल सकता था, मगर फिलहाल यौन शोषण के एक मामले में फंसने या फंसाए जाने के कारण उनका नाम बर्फ में लग गया है। इन सब के अतिरिक्त एक और दमदार नाम है मौजूदा मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का। उनका रुझान निकाय चुनाव में ही था, लेकिन अब जबकि मेयर का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हो गया है, उनकी चुनावी मंशा पर लाइन फिर गई है। मेयर पद से हटने के बाद उनके पास वकालत करने के लिए अलावा कोई काम नहीं रहेगा। ऐसे में समझा जाता है कि वे इस पद में रुचि दिखाएं। यह उनके राजनीतिक केरियर के लिए तो अच्छा है ही, भाजपा संगठन के लिए भी सूटेबल है। अध्यक्ष पद के जितने भी दावेदार हैं, उनमें से वे सर्वाधिक उपयुक्त हैं। निचले स्तर पर संगठन पर पकड़ के अतिरिक्त प्रशासनिक कामकाज का भी अच्छा खासा अनुभव है। वे अजमेर नगर परिषद के भूतपूर्व सभापति स्वर्गीय वीर कुमार की शैली के एक मात्र जुझारू नेता हैं। देवनानी के तो करीबी रहे ही हैं, हो सकता है कि अनिता भदेल भी हाथ रख दे। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि देवनानी से उनके पहले जैसे संबंध नहीं रहे, मगर राजनीति में कुछ भी संभव है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000