
यह सही है कि अजमेर विकास प्राधिकरण का कार्य जयपुर और जोधपुर विकास प्राधिकरण की तर्ज पर ही होगा, मगर चूंकि जयपुर व जोधपुर के प्राधिकरणों के स्वरूप में अंतर है, इस कारण अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इसका स्वरूप किसके जैसा होगा या फिर इन दोनों से भिन्न होगा? ज्ञातव्य है कि जयपुर विकास प्राधिकरण और जोधपुर विकास प्राधिकरण के गठन का कार्य उनके लिए अलग से कानून बनाकर किया गया था। यही वजह है कि जयपुर और जोधपुर के प्राधिकरणों के गठन में कुछ अंतर भी है। इसी तरह अजमेर में गठन के लिए भी नया अधिनियम लाया जाएगा और इसके संचालन के लिए अलग-अलग नियम भी बनाएं जाएंगे। अधिनियम व नियमों के तहत ही नवगठित प्राधिकरण कार्य करेगा। यहां ज्ञातव्य है कि स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल कोई दो साल पहले ही अजमेर दौरे के दौरान कह गए थे कि अजमेर में विकास प्राधिकरण बनाना प्रस्तावित है। इस बारे में कुछ का ये भी कहना है कि प्राधिकरण का प्रस्ताव तो पिछली भाजपा सरकार में ही बन गया था।

बेशक, प्राधिकरण बनने के बाद उसे मिलने वाले संसाधनों से अजमेर के दोनों तीर्थस्थलों तीर्थराज पुष्कर व दरगाह ख्वाजा साहेब सहित किशनगढ़ मार्बल मंडी का चहुंमुखी विकास हो सकेगा, मगर राजनीति में रुचि लेने वालों में चर्चा इसके चेयरमैन पद को लेकर है। वो इसलिए कि अभी न्यास अध्यक्ष पद पर भगत काबिज हैं। सवाल ये उठता है कि अगर प्राधिकरण के अध्यक्ष भी वे ही होंगे तो क्या सरकार विधानसभा चुनाव में उनसे इस्तीफा ले कर अजमेर उत्तर विधानसभा का टिकट देगी या फिर आगे भी कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद में इसी पद पर बरकरार रखेगी? कहने की जरूरत नहीं है कि भगत की रुचि विधायक बनने में है और इसी उम्मीद में हैं कि उन्हें ही टिकट दिया जाएगा। जो कुछ भी होगा, वह आगामी कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।
-तेजवानी गिरधर