बुधवार, 6 मार्च 2013

स्पष्ट नहीं है कि अजमेर विकास प्राधिकरण का स्वरूप

ajmer map mराजस्थान सरकार के वर्ष 2013-14 के बजट में अजमेर नगर सुधार न्यास में पुष्कर और किशनगढ़ औद्योगिक क्षेत्र समाहित कर अजमेर विकास प्राधिकरण का गठन करने की तो घोषणा कर दी गई है, मगर अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसका स्वरूप क्या होगा?
यह सही है कि अजमेर विकास प्राधिकरण का कार्य जयपुर और जोधपुर विकास प्राधिकरण की तर्ज पर ही होगा, मगर चूंकि जयपुर व जोधपुर के प्राधिकरणों के स्वरूप में अंतर है, इस कारण अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इसका स्वरूप किसके जैसा होगा या फिर इन दोनों से भिन्न होगा? ज्ञातव्य है कि जयपुर विकास प्राधिकरण और जोधपुर विकास प्राधिकरण के गठन का कार्य उनके लिए अलग से कानून बनाकर किया गया था। यही वजह है कि जयपुर और जोधपुर के प्राधिकरणों के गठन में कुछ अंतर भी है। इसी तरह अजमेर में गठन के लिए भी नया अधिनियम लाया जाएगा और इसके संचालन के लिए अलग-अलग नियम भी बनाएं जाएंगे। अधिनियम व नियमों के तहत ही नवगठित प्राधिकरण कार्य करेगा। यहां ज्ञातव्य है कि स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल कोई दो साल पहले ही अजमेर दौरे के दौरान कह गए थे कि अजमेर में विकास प्राधिकरण बनाना प्रस्तावित है। इस बारे में कुछ का ये भी कहना है कि प्राधिकरण का प्रस्ताव तो पिछली भाजपा सरकार में ही बन गया था।
naren shahani 5खैर, जहां तक जयपुर की बात है, उसके लिए जयपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम लागू किया गया था और उसमें नगरीय विकास विभाग के मंत्री चेयरमैन होते हैं और वाइस चेयरमैन राज्य मंत्री को बनाया जाता है। इसके विपरीत जोधपुर प्राधिकरण में अध्यक्ष का मनोनयन राजनीतिक आधार पर ही होता है, जो प्राधिकरण का मुखिया रहता है। अजमेर में चेयरमैन कौन होगा, इस बारे में तभी स्पष्ट होगा, जबकि अलग से अधिनियम लाया जाएगा। इस वक्त अजमेर में नगर सुधार न्यास के सदर पद पर नरेन शाहनी भगत काबिज हैं। कुछ का मानना है कि प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया उनके कार्यकाल में पूरी हो जाती है तो उन्हें प्राधिकरण के पहले अध्यक्ष का बनने का गौरव प्राप्त होगा, मगर कुछ का मानना है कि अभी इस बारे में कुछ तय नहीं है। इसके अतिरिक्त प्राधिकरण के चेयरमैन को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाएगा या नहीं, इस बारे में भी निर्णय बाद में ही होगा। हां, इतना जरूर ठीक प्रतीत होता है कि प्राधिकरण का आयुक्त कोई आईएएस ही होगा। 
बेशक, प्राधिकरण बनने के बाद उसे मिलने वाले संसाधनों से अजमेर के दोनों तीर्थस्थलों तीर्थराज पुष्कर व दरगाह ख्वाजा साहेब सहित किशनगढ़ मार्बल मंडी का चहुंमुखी विकास हो सकेगा, मगर राजनीति में रुचि लेने वालों में चर्चा इसके चेयरमैन पद को लेकर है। वो इसलिए कि अभी न्यास अध्यक्ष पद पर भगत काबिज हैं। सवाल ये उठता है कि अगर प्राधिकरण के अध्यक्ष भी वे ही होंगे तो क्या सरकार विधानसभा चुनाव में उनसे इस्तीफा ले कर अजमेर उत्तर विधानसभा का टिकट देगी या फिर आगे भी कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद में इसी पद पर बरकरार रखेगी? कहने की जरूरत नहीं है कि भगत की रुचि विधायक बनने में है और इसी उम्मीद में हैं कि उन्हें ही टिकट दिया जाएगा। जो कुछ भी होगा, वह आगामी कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।
-तेजवानी गिरधर