गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

लखावत कहां गायब हो गए?

पिछले काफी समय से किसी भी राजनीतिक गतिविधि से वरिष्ठ भाजपा नेता औंकार सिंह लखावत का नाम गायब है। आम आदमी को तो पता भी नहीं कि वे कर क्या रहे हैं। बस इतना पता है कि आजकल जयपुर निवास करते हैं। आपको बता दें किसी जमाने में लखावत की अजमेर में तूती बोलती थी। वे अजमेर में भाजपा के भीष्म पितामह कहलाते थे। उनकी इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था। जब से प्रो. वासुदेव देवनानी अजमेर आए हैं, तब से उनका प्रभाव काफी कम हो गया है। हालांकि प्रदेश स्तर पर उनका रुतबा तब भी बरकरार रहा। इतना ही नहीं उन्होंने राजस्थान भर की पुरा धरोहरों को पुनर्जीवित करने का ऐतिहासिक कार्य किया। पिछली भाजपा सरकार के दौरान उन्होंने पेनोरमा पर अनूठा काम किया। सरकार बदल जाने के बाद भी उनका विभाग यथावत होने के कारण जिन पेनोरमा के टेंडर हो चुके थे, उनका काम जारी है। लेकिन लखावत क्या कर रहे हैं, ये सवाल बना ही हुआ है। बताया जा रहा है कि राजस्थान के ऐतिहासिक स्थलों पर काम करते हुए उन्होंने गहन अध्ययन किया। उनके पास ढ़ेर सारी जानकारी इक_ा हो गई। बताया जाता है कि वे अब न केवल और अध्ययन कर रहे हैं, अपितु कुछ विषयों को लिपिबद्ध करने में जुटे हुए हैं। उनका यह कार्य स्वांत:सुखाय तो है ही, साथ ही उम्मीद है कि वे समाज को बेहतरीन ऐतिहासिक जानकारियों से भरी पुस्तकें साझा करने में सफल होंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

जिला स्तरीय सम्मान को लेकर मचा बवाल

गणतंत्र दिवस पर दिए गए जिला स्तरीय सम्मान को लेकर बवाल मच गया है। सोशल मीडिया पर यह मसला खूब गरमा गया है। कहा जा रहा है कि ऐसे-ऐसे लोगो को सम्मान दे दिया गया है, जो कत्तई डिजर्व नहीं करते और किन्हीं प्रभावशाली लोगों के दम पर सम्मान हासिल करने में कामयाब हो गए हैं। चर्चा है कि ऐसे लोग आवेदन के बाद भी सम्मान पाने वालों की सूची में शामिल नहीं किए गए, जो कि वाकई डिजर्व करते थे, मगर उनकी ठीक से सिफारिश नहीं हो पाई, इस कारण वंचित रह गए। स्वाभाविक रूप से उनमें रोष है। हालांकि पूर्व में भी इसी प्रकार सिफारिशी लोगों सम्मानित होने की घटनाएं हो चुकी हैं, मगर संभवत: पहली बार खुल कर आरोप लग रहे हैं कि जिला प्रशासन ने जिला स्तरीय सम्मान की कद्र दो कोड़ी की कर दी है। खास करके उन सम्मानित लोगों को तकलीफ हो रही है, जो कि पात्रता के कारण पूर्व में सम्मानित हो चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से इस सम्मान को लेकर छिटपुट विवाद होता रहा है, मगर इस बार लगता है कि यह मसला तूल पकड़ सकता है।
-तेजवानी गिरधर
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मेयर पद की दो और दावेदारों के नाम हैं चर्चा में

चर्चा है कि अजमेर नगर निगम के मेयर पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए दो और नाम सामने आए हैं। एक का नाम है डॉ. नेहा भाटी व दूसरी हैं श्रीमती लीलादेवी बाकोलिया। डॉ. नेहा भाटी भाजपा की ओर से मेयर पद की दावेदार हो सकती हैं। वे प्रसिद्ध उद्योगपति स्वर्गीय रामसिंह भाटी परिवार से हैं। पिछले कुछ समय वे काफी सक्रिय हैं। हाल ही उन्होंने ब्लड डोनेशन कैम्प आयोजित किया, जिसमें अजमेर दक्षिण की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल व अजमेर नगर परिषद के तत्कालीन सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे। हालांकि माना यह जा रहा है कि कोली जाति से श्रीमती भदेल के विधायक होने व डॉ. प्रियशील हाड़ा के शहर जिला भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद मेयर पद पर भी कोली जाति की किसी महिला को टिकट दिया जाना मुश्किल है और इस पद पर जिला प्रमुख श्रीमती वंदना नोगिया का दावा मजबूत है। सर्वविदित है कि श्रीमती नोगिया पर अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी का वरदहस्त है। हालांकि डॉ. हाड़ा को शहर भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने से श्रीमती भदेल पहले से ही त्रस्त होंगी कि उनके सामने समाज में एक शक्ति केन्द्र खड़ा कर दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वे डॉ. भाटी का साथ देंगी? हो सकता है कि देवनानी खेमे की वंदना को मात देने के लिए वे डॉ. भाटी को सपोर्ट कर भी दें। आने वाला वक्त ही बताएगा कि क्या होने वाला है।
उधर पूर्व मेयर कमल बाकोलिया की पत्नी श्रीमती लीलादेवी बाकोलिया के भी मैदान में उतरने की चर्चा है। कांग्रेस में उन्हें कितना सपोर्ट मिलेगा, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, मगर इतना तय है कि बाकोलिया  के गैर कांग्रेसी मित्र उनका सहयोग कर सकते हैं। ज्ञातव्य है कि जब बाकोलिया टिकट लेकर आए तो न केवल टिकट दिलवाने में, अपितु जितवाने में भी उनके गैर कांग्रेसी मित्रों ने भरपूर सहयोग किया था। 

अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग चौबीस
श्री विजय कुमार शर्मा
पत्रकारिता के क्षेत्र में करीब 36 साल से सक्रिय श्री विजय कुमार शर्मा अजमेर में कदाचित पहले पत्रकार हैं, जो तब इंटरनेट का इस्तेमाल किया करते थे, जब स्थानीय पत्रकार इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। सोशल मीडिया नेटवर्किंग पर न्यूज पोर्टल व यू ट्यूब चैनल के क्षेत्र में भी वे सर्वाधिक सक्रिय हैं। पत्रकारिता के केरियर में उन्होंने देश में जितना भ्रमण किया है, उसे देखते हुए उन्हें अगर यायावर पत्रकार कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
वर्ष 1984 में हायर सेकंडरी परीक्षा पास करने के तुरंत बाद राजस्थान में पत्रकारिता की स्कूलिंग में अव्व्ल दैनिक न्याय से पत्रकारिता की शुरुआत की। उनका यायावर जीवन 1992 में आरम्भ हुआ, जब पारिवारिक कारणवश दैनिक न्याय के मालिक स्वर्गीय बाबा श्री विश्वदेव शर्मा ने अहमदाबाद से गुजरात वैभव समाचार पत्र आरम्भ किया। गुजरात के पहले हिन्दी दैनिक माने जाने वाले गुजरात वैभव के समाचार सम्पादक के रूप में उन्होने करीब दो वर्ष अपनी सेवाएं दीं। वहीं उनके तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल से नजदीकी सबंध बने। इसी प्रकार प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से उनकी मुलाकात भाजपा के खानपुर स्थित गुजरात प्रदेश कार्यालय में हुई, जब श्री मोदी खानपुर कार्यालय के ही एक कमरे में रहते थे। गुजरात का पानी उन्हें सूट नहीं किया और वे वापस राजस्थान आ गये। 1995 में दक्षिण भारत के पहले हिन्दी दैनिक समाचार-पत्र चमकता सितारा के सम्पादन के लिए वे चेन्नई चले गये। वहां भी राजनीतिक पहुंच बनाई और जयललिता तथा करुणानिधि से सम्बन्ध कायम किए। स्वयं श्री शर्मा ने जानकारी दी थी कि जयललिता के शासनकाल में उनके बारे में यह बात चर्चित थी कि जयललिता की कोई भी अंदरूनी जानकारी अथवा शासन-प्रशासन की किसी भी खबर के लिए विश्वसनीय जानकारी चाहिए तो उनसे सम्पर्क किया जाए।
सूफियाना मिजाज के चलते दक्षिण भारत से भी उनका जल्द ही मोह भंग हो गया और 1997 में मध्यप्रदेश आ गये। वहां कुछ समय दैनिक जागरण के रीवा संस्करण में प्रभारी सम्पादक रहे और उसके बाद जबलपुर में दैनिक स्वदेश के कार्यकारी सम्पादक रहे। उन्होंने बताया कि भोपाल में एक क्रिकेट मेच की कवरेज करने के दौरान बीना के तत्कालीन विधायक श्री सुनील जैन और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के माध्यम से दैनिक भास्कर के मालिक श्री सुधीर अग्रवाल से परिचय हुआ और उन्होंने दैनिक भास्कर के राजस्थान संस्करण में जोब ऑफर किया। दैनिक भास्कर के जयपुर संसकरण में मूर्धन्य पत्रकार श्री कमलेश्वर जी के सान्निध्य में श्री रविन्द्र शाह और श्री अनिल लोढ़ा के साथ फ्रंट पेज डेस्क संभाली। नवीनतम टैक्नोलॉजी में रुझान और बेहतर कार्यक्षमता देखते हुए उन्हें दैनिक भास्कर के बीकानेर, गंगानगर और जोधपुर संस्करण में सेंट्रल डेस्क इंचार्ज बनाया गया।
1998 के अंत में पिताश्री का देहावसान होने के कारण वे पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करने वापस अजमेर आ गये और दैनिक नवज्योति में उन्हें अंचल डेस्क का प्रभारी बनाया गया। जब दैनिक नवज्योति में डिजिटल क्रांति आई और प्रत्येक पत्रकार की कम्प्यूटर ज्ञान आवश्यक कर दिया गया तो उन्होने सभी को कम्प्यूटर पर हिन्दी में कार्य सिखाने का बीड़ा उठाया और सफलता भी हासिल की। पूर्व राज्यसभा सांसद श्री औंकार सिंह लखावत, तत्कालीन शिक्षा उपनिदेशक श्रीमती ललिता गोयल और उनके पति जिला शिक्षा अधिकारी रहे श्री कृष्ण मुरारी गोयल, डायबिटीज विशेषग्य डॉ. रजनीश सक्सेना और शहर के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों को घर जाकर उन्होने कम्प्यूटर सिखाया। वर्ष 2000 में दूरसंचार विभाग की कम्पनी संचारनेट ने जब शहर में पहले 25 इंटरनेट कनेक्शन दिए, तब उनमें से एक उनका भी था। वर्ष 2000 में ही स्थापित अजयमेरु प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक सक्रिय सदस्य विजय कुमार शर्मा भी थे।
वर्ष 2005 के अंत में चेन्नई के हिन्दी समाचार पत्र दक्षिण भारत ने उन्हें अपने यहां बुलाया और ये फिर एक बार दक्षिण भारत चले गये। वर्ष 2011 में माता का स्वास्थ्य खराब होने पर वे वापस अजमेर आ गये और अपनी पत्रकारिता को सरे राह टीवी चैनल में क्राइम रिपोर्टर के रूप में आगे बढ़ाया। इसी साल में उन्होने डिजिटल मीडिया के साथ कदम से कदम बढ़ाते हुए वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा और www.indiannewstv.in वेब चेनल की शुरुआत की जो आज 166 देशों में विजिट किया जाता है। साथ ही सोशल मीडिया मार्केटिंग और कंटेंट राइटिंग भी करते हैं। गूगल प्ले स्टोर पर इनके एप्प indiannewstv ने बड़े-बड़े नेशनल और इंटरनेशनल न्यूज एप्स को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान प्राप्त किया है और प्ले स्टोर पर 5 स्टार रेंकिंग पाने वाला एकमात्र एप्प है।
इसे उनकी सबसे बड़ी कमी कहा जाए या खूबी, यायावर प्रकृति के श्री विजय कुमार शर्मा कभी एक स्थान पर टिक कर नहीं रहे। जब भी इनसे सम्पर्क किया जाता है, तो वे एक नये स्थान पर होते हैं। फिलहाल वे दिल्ली में हैं। हां, एक खूबी उनमे यह है कि अपने व्यवहार कुशलता के कारण जहां जाते हैं, अपने दोस्तों की संख्या में इजाफा ही करते हैं। 35 साल से ज्यादा के पत्रकारिता जीवन में उन्होने अब तक एक बार भी अधीस्वीकरण, भूमि या अन्य किसी भी सरकारी सुविधा या सम्मान के लिए आवेदन नहीं किया। उनका कहना है कि मेरा सबसे बड़ा सम्मान 166 देशों में फैले मेरे लाखों विजिटर्स और उनकी प्रतिक्रियाएं हैं।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com