शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

अब खुल कर दावेदारी करेंगे छीतरमल टेपण

जिला लघु उद्योग केन्द्र में रोजगार अधिकारी के पद से वीआरएस ले चुके छीतर मल टेपण इस बार विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी खुल कर करेंगे। ज्ञातव्य है कि वे लंबे अरसे से दावेदारी करते रहे हैं, मगर तब सरकारी नौकरी की मर्यादा आड़े आती थी। हालांकि वे पहले भी पिछड़े तबके के लोगों को न्याय दिलवाने में जुटे रहते थे, मगर अब खुल कर फुल टाइम इसी काम में जुटने जा रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने वकालत का पेशा भी शुरू करने का निर्णय किया है और जिला बार एसोसिएशन में रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। उनकी मंशा गरीबों की फ्री में वकालत करने की है, जिससे उन्हें जनाधार बनाने में मदद मिलेगी।
आपको बता दें कि टेपण अखिल भारतवर्षीय खटीक महासभा, पुष्कर के अध्यक्ष हैं। अपने समाज एवं एससी-एसटी वर्ग के लिए सामाजिक कार्य करने एवं मदद करने के लिए वे अलग ही पहचान बना चुके हैं। अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में उनकी खटीक समाज के लगभग दस हजार वोट हैं, जिन पर उनकी गहरी पकड़ है। अब तक की समाजसेवा, समाज के पर्याप्त वोट और एससी-एसटी वर्ग में पेठ के दम पर वे दमदार तरीके से दावेदारी करेंगे। उन्होंने गुलाबबाड़ी, आदर्श नगर समेत दक्षिण विधानसभा में जनाधार बढ़ाने के लिए जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है। करीब 50 हजार परिवारों के टेलीफोन नंबरों का रिकॉर्ड भी टेपण ने एकत्रित कर अपनी तैयारी को पुख्ता किया है।
ज्ञातव्य है कि टेपण गुजरे 33 साल से एमएलए के टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। 1880 में पहली दफा केकडी से टिकट मांगा था और उसके बाद तीन बार अजमेर दक्षिण से टिकट की दावेदारी कर चुके हैं। मगर अब तकं कांग्रेस ने इन्हें ने मौका नहीं दिया। इस दरम्यान में इन्होंने करीब 14 विभागों में प्रतिनियुक्ति पर नौकरी करते हुए अपनी पेठ बनाने का काम किया। वीआरएस लेने के बाद टिकट की चाह में कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो कभी केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट के दर हाजिरी दे रहे हैं।
हालंाकि टेपण की महत्वाकांक्षा अपनी जगह है, मगर आपको बता दें कि दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक ललित भाटी की दावेदारी को कमजोर नहीं आंका जा सकता। वे कोली समाज के सर्वाधिक मजबूत नेता हैं। केंद्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट को लोकसभा चुनाव में कोलियों का समर्थन दिलवाने के कारण संभव है वे उन्हें सपोर्ट करें। वर्तमान में वे शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता का सहयोग करते हुए पायलट खेमे के प्रमुख नेताओं में शुमार हैं। यूं अजमेर दक्षिण सीट पर पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल की नजरें भी टिकी हैं। हालंाकि पिछले चुनाव में भाटी के निर्दलीय रूप से मैदान में उतर जाने के कारण भाजपा की विधायक श्रीमती अनिता भदेल से हार चुके हैं। सचिन पायटल से उनकी नाइत्तफाकी किसी से छिपी नहीं है। अन्य दावेदारों में खटीक समाज के ही कांग्रेसी पार्षद विजय नागौरा भी दावेदारी का मानस रखते हैं। उन पर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शहाणी का हाथ है। वैसे टेपण की अपने खटीक समाज में नागौरा से कहीं अधिक पकड़ और पहचान है। ऐसे में टेपण की दावेदारी उनसे ज्यादा मजबूत हो सकती है। शहर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप यादव भी एक मजबूत दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं। वे भी पिछले लंबे अरसे से टिकट मांगते रहे हैं। अब देखना ये है कि इन पांच दावेदारों में से किसकी किस्मत चेतती है।
-तेजवानी गिरधर

मुस्तफा के सवालों का ये जवाब नहीं बाकोलिया जी

अजमेर नगर निगम में कांग्रेस के मनोनीत पार्षद सैयद गुलाम मुस्ताफा चिश्ती ने अपनी ही पार्टी के मेयर कमल बाकोलिया के खिलाफ मोर्चा खोल कर कुछ अहम सवाल खड़े किए हैं। इस पर बाकोलिया ने प्रतिक्रिया में यह कह कर अपना पिंड छुड़वाने की कोशिश की है कि कांग्रेस के पार्षद को यदि कोई शिकायत है तो वह पार्टी के मंच पर आकर अपनी बात रख सकता है, जिलाध्यक्ष एवं प्रदेशाध्यक्ष को बता सकता है। इस तरह से विरोध करना सही नहीं है। कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष नरेश सत्यावना ने तो मुस्तफा को पार्टी से ही निकालने की मांग कर डाली है।
पार्टी अनुशासन की आड़ में बचने के लिए दोनों ने भले ही इस प्रकार की प्रतिक्रियाएं दी हों, मगर मुस्तफा ने जो सवाल उठाए हैं, वे जस के तस अब भी मुंह बाये खड़े हैं। बेशक बाकोलिया की पार्टी अनुशासन और पार्टी मंच की बात में दम है, मगर उन्होंने जिन सवालों के जवाब देने से बचना चाहा है, असल में वे आम आदमी के सवाल हैं, जिनका जवाब उन्हें सार्वजनिक मंच पर ही देना चाहिए। अहम सवाल तो ये उठ खड़ा हुआ है कि कांग्रेस के मनोनीत पार्षद को उनसे सार्वजनिक मंच पर सवाल करने की आखिर नौबत ही कैसे आई? जाहिर है कि जब निजी तौर पर उठाए गए सवालों को उन्होंने नजरअंदाज किया होगा, तभी कोई पार्षद पार्टी की मर्यादा को लांघ कर उनसे मुंहजोरी करने को मजबूर हुआ होगा। इसका इजहार खुद मुस्तफा ने भी दिया है कि बाकोलिया से जनहित में साधारण सभा आयोजित करने का आग्रह कई बार किया लेकिन उन्होंने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया।
ज्ञातव्य है कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम के तहत बोर्ड की साधारण सभा की बैठक 60 दिन के भीतर होनी चाहिए, जिसे कि बाकोलिया पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं। मुस्तफा ने साफ आरोप लगाया है कि निगम में तीन साल में तीन बार ही साधारण सभा का आयोजन किया, जबकि नियमानुसार 20 बार साधारण सभा का आयोजन होना था। इस सिलसिले में उनकी दलील है कि तत्कालीन भाजपा सरकार ने मेड़ता एवं माउंट आबू नगर पालिका अध्यक्ष को इसलिए निलंबित कर दिया था कि दोनों ने एक माह के भीतर नियमित साधारण सभा का आयोजन नहीं किया था। इसी दलील को आधार बना कर उन्होंने मेयर के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग कर डाली है।
मुस्तफा की इस मांग में दम इस कारण है कि समय पर साधारण सभा आयोजित नहीं होने पर जनहित में किए जाने वाले कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। प्रमुख रूप से खांचा भूमि, अमानत राशि रिफंड, नक्शे पास कराना, दुकानों की लीज अवधि आदि महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय नहीं हुए हैं। इसके अतिरिक्त करोड़ों के सफाई ठेका व अन्य घोषणाओं के फैसले साधारण सभा में होने चाहिए थे। निगम में लोग काम के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन किसी के भी काम नहीं होने से उनमें निगम के प्रति नाराजगी देखी जा सकती है। मुस्तफा का ये भी आरोप है कि जब से मेयर बाकोलिया ने पदभार संभाला है, तब से जनता से जुड़े मुद्दों पर निर्णय नहीं हुए। महज बजट बैठकें ही आयोजित की गई हैं। निगम में जनता से चुने प्रतिनिधियों को महत्व नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से कई पार्षदों में रोष है। निगम में वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ समय आने पर कई पार्षद सामने आएंगे। मुस्तफा ने विपक्ष को भी लपेटने में गुरेज नहीं किया और उसको आइना दिखाते हुए कहा कि निगम में विपक्ष अपनी सक्रिय भूमिका नहीं निभा पा रहा है। इसका खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है।
लब्बोलुआब मुस्तफा ने जिस तरह जनता के हित में सवाल उठाए हैं, वे पूरी तरह से जायज हैं, जिनके उत्तर देना बाकोलिया की जिम्मेदारी है। आज भले ही मुंह फेर लें, लेकिन कल जब पार्टी जनता की अदालत में जाएगी तो वह भी इसी तरह से मुंह फेर सकती है।
-तेजवानी गिरधर