बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

विरोध से घबरा कर जयपुर शिफ्ट की भाजयुमो बैठक

अजमेर। भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को यकायक अजमेर की बजाय जयपुर करने के लिए भले ही पार्टी के अधिकृत नेता ये कहें कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की वजह से पार्टी नेताओं को जयपुर में पहुंचना सुगम होने के कारण ऐसा किया गया, मगर असलियत ये ही है कि ऐसा समानांतर वैचारिक युवा मोर्चा की कड़ी चेतावनी के कारण मजबूरी में किया गया।
असल में शहर जिला भाजयुमो के अध्यक्ष पद पर देवेन्द्र सिंह शेखावत की नियुक्ति से खफा चल रहे कार्यकर्ताओं ने समानांतर युवा मोर्चा बना कर आंदोलन छेड़ रखा है। मुहिम की शुरुआत विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी खेमे के नितेश आत्रे को अध्यक्ष न बनाने के साथ शुरू हुई थी। बाद में कुछ और ताकतें भी इसमें शामिल हो गईं। हाल ही जब यह जानकारी आई कि विधानसभा के घेराव के राज्य स्तरीय कार्यक्रम की योजना बनाने के लिए अजमेर में प्रदेश युवा मोर्चा कार्यसमिति की बैठक हो रही है तो असंतुष्ट गुट ने कार्यसमिति की बैठक नहीं होने देने का निर्णय किया। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनिल नरवाल ने तो बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि चारों मंडलों के कार्यकर्ता सैंकड़ों की संख्या में बैठक स्थल इंडोर स्टेडियम में प्रवेश करेंगे और मीटिंग हॉल पर कब्जा कर लेंगे। इस बार आर-पार की लड़ाई करेंगे और अजमेर में व्याप्त गुटबाजी व बड़े नेताओं के हस्तक्षेप से जमीनी कार्यकर्ताओं की भ्रूण हत्या होने का कड़ा विरोध करेंगे। गुटबाजी के कारण कार्यकर्ताओं को बार बार उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के भ्रष्ट आचरण और कथनी-करनी में अंतर को युवा वैचारिक कार्यकर्ता बर्दाश्त नहीं करेगा।
नरवाल का कहना था कि अजमेर शहर भाजयुमो अध्यक्ष की नियुक्ति में विधायकों के हस्तक्षेप के चलते वरिष्ठ नेता औंकार सिंह लखावत की मंशा से ऐसे व्यक्ति को नियुक्ति दे दी गई, जिसने पार्टी के विरुद्ध खुलेआम काम किया और एक दशक से भी ज्यादा समय तक मूल विचारधारा के छात्र संगठन के विरुद्ध चलते हुए कार्यकर्ताओं का शोषण किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में अजमेर में पांच से भी अधिक गुट बने हुए हैं। इसके कारण वरिष्ठ व सक्षम कार्यकर्ता हाशिये पर पड़े हैं। लखावत के वर्चस्व के कारण आज दिन तक युवा मोर्चा की कैडर बेस सक्रिय कार्यकर्ताओं की टीम की उपेक्षा की जा रही है और भाई भतीजावाद के आधार पर दायित्व देने का प्रयास किया जा रहा है, जिन पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।
बहरहाल, नरवाल के नेतृत्व में रुष्ठ कार्यकर्ताओं के इस तीखे रवैये को देखते हुए अचानक यह निर्णय किया गया कि बैठक अजमेर की बजाय जयपुर में की जाए। हुआ भी यही। बेचारे शहर अध्यक्ष शेखावत को ऐन वक्त पर सारी बुकिंग को कैंसिल करवाना पड़ा। उधर असंतुष्ट कार्यकर्ताओं के पास यही चारा बचा कि वे अजमेर में ही विरोध प्रदर्शन करें। उन्होंने यहां डाक बंगले में बैठक कर सद्बद्धि यज्ञ का आयोजन कर पार्टी नेताओं को सद्बुद्धि देेने की प्रार्थना की।
हालांकि बैठक स्थल पर हंगामा होने की आशंका के चलते बैठक का स्थान बदल दिया गया, लेकिन साथ ही सख्त रवैया अख्तियार करते हुए नरवाल को उनके दायित्व से मुक्त कर दिया गया है। युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि बंसल ने कहा कि अनिल नरवाल को संगठन के विस्तार हेतु कार्यसमिति सदस्य बनाया था, परंतु लगातार विभिन्न स्तरों पर नरवाल द्वारा संगठन विरोधी गतिविधियों का संचालन किये जाने पर दायित्व से मुक्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी में असंवेदन और अकर्मण्य पदाधिकारियों का कोई स्थान नहीं है। अब देखना ये है कि क्या इस सख्ती से असंतुष्ट कार्यकर्ता सहम कर चुप होते हैं, या फिर और उग्र हो जाते हैं।