शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

सचिन ने प्रभा की दुकान जो उठा दी है


गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित राज्य अन्य मंत्रियों, विधायकों और केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट के काफिले के साथ राज्यसभा सदस्य डॉ. प्रभा ठाकुर की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय हो गई। विशेष रूप से अजमेर-सुल्तानपुर ट्रेन के शुभारंभ समारोह में उनकी कमी को रेखांकित इसलिए किया गया क्यों कि रेल प्रशासन ने उनको भी विशिष्ट अतिथि बनाया था। वे क्यों नहीं आई, इसकी वजह तो पता नहीं, मगर इसे राजनीतिक हलकों में इस रूप में लिया जा रहा है कि सचिन से अनबन के चलते उन्होंने आना मुनासिब नहीं समझा।
असल में सचिन पायलट ने फिलवक्त तक तो अजमेर में प्रभा ठाकुर की राजनीतिक दुकान उठा ही रखी है। यूं सच्चे अर्थों में उनकी दुकान तो लोकसभा चुनाव में ही उठा दी गई थी। एक तो सचिन ने उनके लोकसभा क्षेत्र पर कब्जा कर लिया, जबकि वे इस सीट की प्रबल दावेदार थीं। फिर राहुल के नजदीक होने व सशक्त पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण सचिन राज्यमंत्री भी बन गए। ऐसे में अजमेर के सारे कांग्रेसी उनकी आजिजि में लग गए हैं। हालांकि प्रभा ठाकुर के यदाकदा अजमेर आने पर भी कांग्रेसी जुटते हैं, मगर अब दिल्ली जा कर उनके यहां हाजिरी भरने वालों की तादात कम हो गई है। ऐसा नहीं कि दिल्ली में प्रभा कमजोर हैं। वे सोनिया गांधी की करीबी हैं। राजीव गांधी के जमाने से ही दिल्ली दरबार पर पकड़ रखती हैं, इसी कारण महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनीं। मगर अब जब कि अजमेर लोकसभा क्षेत्र से चुन कर सचिन दिल्ली गए हैं और कांग्रेस के प्रिंस राहुल की किचिन केबिनेट में हैं, इस कारण उनकी चवन्नी कुछ ज्यादा ही चलती है। उन्हीं की वजह से पहली बार अजमेर को दिल्ली में तवज्जो मिलने लगी है। जब सचिन नहीं थे, तब दिल्ली में अजमेर से एकमात्र प्रभावशाली नेता प्रभा ठाकुर ही थीं, लेकिन वे अजमेर का कुछ भला नहीं कर पाईं। ऐसा नहीं कि वे अजमेर के लिए मांगती नहीं थीं। पुरजोर शब्दों में मांगती थीं। और अपनी मांग की खबरें दिल्ली में बैठे-बैठे ही अजमेर के अखबारों में छपवाती रही हैं, ताकि संदेश यह जाए कि भले ही अजमेर आने का उनके पास वक्त नहीं पर उन्हें अजमेर की बहुत चिंता है। मगर उनकी मांगों पर सुनवाई कम ही होती थी। आखिरकार एक राज्य मंत्री और सांसद में इतना तो फर्क होता ही है।
खैर, अपना तो मानना ये है कि प्रभा ठाकुर को दिल छोटा नहीं करना चाहिए। मैदान में डटे रहना चाहिए। अगर इस तरह किनारा करेंगी तो यहां के कांग्रेसी उन्हें भी हाशिये पर खड़ा करने में देर नहीं लगाएंगे। जितनी वे भुलक्कड़ हैं, उससे कहीं ज्यादा अजमेर वासी भुलक्कड़ हैं। अजमेर के कांग्रेसियों को सचिन का एकछत्र राज ही रास नहीं आ रहा। वो तो उनका जोर नहीं चलता, वरना पीछे तो उनके भी पड़े रहते हैं। प्रभा तो चीज ही क्या हैं।