शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

परचे की हवा अजमेर दक्षिण में न चली जाए

हाल ही किसी शरारती ने सिंधी समाज को निशाना बनाते हुए अजमेर उत्तर के कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती की ओर से जो परचा शहर में जगह-जगह शाया किया, उससे अजमेर उत्तर के सिंधियों में तो रोष है ही, यह हवा अजमेर दक्षिण की ओर भी चले जाने का अंदेशा व्याप्त हो गया है।
वस्तुत: किसी शातिर दिमाग ने डॉ. बाहेती को परेशान करने और शांत बैठे सिंधी समाज में आग सुलगाने के लिए यह परचा जारी किया था। इससे सिंधी समाज में डॉ. बाहेती के विरुद्ध माहौल बनने लगा है। हालांकि डॉ. बाहेती ने डेमेज कंट्रोल करते हुए तुरंत सिंधी समाज के कांग्रेसी नेताओं को साथ लेते हुए प्रेस कांफ्रेंस बुलवा ली। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये परचा एक साजिश है और वे किसी समाज के खिलाफ नहीं है, मगर भाजपा मानसिकता के लोग परचे का चर्चा बरकरार रखने में जुटे हुए हैं। यह हवा मतदान का दिन आते-आते कितनी रह पाती है, ये तो पता नहीं, मगर यह हवा अजमेर दक्षिण के सिंधी मतदाताओं में भी प्रवेश करने का अंदेशा उत्पन्न हो गया है। जाहिर तौर पर भाजपा प्रत्याशी श्रीमती अनिता भदेल के लिए यह हवा सौभाग्य का संदेश ला रही है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत भाटी को तनाव दे रही है। इसी के चलते उन्होंने पाल बांध ली है। उनकी कोशिश ये रहेगी कि डॉ. बाहेती के खिलाफ बन रहा माहौल अजमेर दक्षिण में डाइल्यूट हो जाए। इसके पीछे उनके पास एक तगड़ा तर्क है। वो ये कि वे तो आखिरी वक्त तक अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को ही टिकट देने पर अड़े हुए थे। अव्वल तो उनकी शर्त ही ये थी कि अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को ही टिकट देने पर ही वे अजमेर दक्षिण से चुनाव लड़ेंगे। आखिरी वक्त तक यही भरोसा दिलाया जाता रहा कि ऐसा ही होगा, मगर ऐन वक्त पर पासा पटल गया। तब तक वे चुनाव की पूरी तैयारी कर चुके थे, अत: मैदान में उतरना उनकी मजबूरी हो गया। उनका ये तर्क सिंधियों के कितना गले उतरता है, ये तो पता नहीं, मगर अकेला यही तर्क उनको राहत प्रदान कर सकता है।

देवनानी अब अपनी टीम के भरोसे

अजमेर उत्तर के भाजपा प्रत्याशी प्रो. वासुदेव देवनानी इस बार केवल अपनी टीम के भरोसे ही हैं, अधिसंख्य भाजपा नेता उनके साथ लगने की बजाय पार्टी के प्रति अपनी वफादारी दिखाने की खातिर खानापूर्ति के लिए अजमेर दक्षिण में सेवाएं दे रहे हैं।
असल में देवनानी को यह अहसास पहले से ही था कि इस बार वे टिकट ले कर भी आ गए तो टिकट कटवाने का आतुर लखावत एंड कंपनी उन्हें जीतने नहीं देगी। कोई चार माह पहले ही विभिन्न वार्डों में देवनानी को हराने की रणनीति तैयार की जा चुकी थी। स्थिति को भांपते हुए देवनानी ने तभी अपनी विश्वसनीय टीम गठित कर ली थी। बाकायदा वार्ड और बूथ वार भरोसे के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दे दी थी। अब उसी टीम के दम पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी हालत ये हो गई कि पार्टी के नाते काम करने आने वाले पर वे यकायक यकीन ही नहीं कर पा रहे। इसी कारण उन्हें शक्की कहा जाने लगा है। कई कार्यकर्ता तो इसी कारण नाराज हो रहे हैं कि उन्हें शक की नजर से देखा जा रहा है। वे काम तो करना चाहते हैं, मगर उन्हें देवनानी की पर्सनल टीम पास फटकने ही नहीं दे रही। कुल मिला कर टीम के नजरिये से देखा जाए तो देवनानी कमजोर दिखाई दे रहे हैं, मगर जल्द ही आरएसएस मोर्चा संभाल लेगा। उसके बाद कारसेवा करने वाले और अजमेर उत्तर की बजाय दक्षिण में काम करने वालों पर निगरानी बढ़ा दी जाएगी।

इस बार कैसे लड़ेंगी अनिता भदेल?

आसन्न विधानसभा चुनाव में अजमेर दक्षिण सीट को लेकर एक ही चर्चा आम है कि इस बार भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल कैसे चुनाव लड़ेंगी? अर्थात मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत भाटी के जिस धन बल व बाहुबल के दम पर लगातार दो बार चुनाव जीतीं, वह इस बार उनके साथ नहीं है। ऐसे में केवल भाजपा कार्यकर्ताओं के बल पर क्या उन्हें चुनाव लडऩे में दिक्कत नहीं आएगी? अकेले इसी फैक्टर को ध्यान में रखा जाए तो यही राय उभर कर आती है कि इस बार उन्हें चुनाव जीतने के लिए भारी मशक्कत करनी होगी। एक तो उन्हें ऑरीजनल भाजपा कार्यकर्ताओं की टीम को मजबूत करना होगा, क्योंकि पहले हेमंत भाटी की जिस टीम का सहारा मिलता था, वह तो मूल रूप से कांग्रेसी थी, केवल हेमंत के कहने पर अनिता के लिए काम करती थी। दूसरा हेमंत भाटी के धनबल से दो चार होना होगा। कुल मिला कर इस बार उन्हें दस साल में जोड़ी टीम व भाजपा कार्यकर्ता ही काम आएंगे, हेमंत की बैसाखी उनका साथ देने की बजाय उनके खिलाफ जो काम कर रही है।
वैसे बताया जा रहा है कि इस बार आरएसएस कुछ ज्यादा मुस्तैदी से काम करने वाली है। अभी भले ही भाटी मजबूत नजर आ रहे हों, मगर जैसे ही आरएसएस पूरी कमान अपने हाथ में लेगी, हेमंत को भी पसीने आ जाएंगे।