गुरुवार, 8 नवंबर 2012

खादिमों में आ रही है नई जागृति


महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के जागरूक खादिमों ने चिश्तिया तंजीम खुद्दाम ए ख्वाजा बुजुर्ग अलैह रहमत नामक संस्था का गठन कर नौजवान खादिमों को रूहानी तालीम देने की बीड़ा उठाया है। यह एक अच्छी पहल है। विशेष रूप से इस मायने में कि इससे युवा खादिमों में संस्कार विकसित होंगे। साथ ही कतिपय खादिमों के दुव्र्यवहार की वजह से बदनाम हो रही पूरी कौम को राहत मिलेगी।
समझा जाता है कि इस नई संस्था में कुछ प्रगतिशील विचारों के खादिम शामिल हुए हैं, जो कि कदीमी दरगाह की महत्ता के प्रति चिंतित हैं। संस्था ने आस्ताने में व्यवस्था कायम करने पर भी जोर दिया है। इससे जाहिर होता है कि संस्था ने इन दिनों आस्ताना शरीफ में हो रही बदइंतजामी पर गौर किया है। यह आम शिकायत है कि जो जायरीन नजराना देते हैं, वे तो सुकून से जियारत कर पाते हैं, जबकि आम जायरीन को लंबी लाइन में लग कर आस्ताना शरीफ में जाने का मौका मिलता है और वे ठीक से जियारत नहीं कर पाते। अगर संस्था ने इस पर ध्यान दिया तो स्वाभाविक है कि जो जायरीन यहां की बदइंजामी से परेशान हो कर गलत छवि अपने दिमाग में बैठाते हैं, उनकी धारणा में परिवर्तन आएगा।
जाहिर सी बात है कि खादिमों की दो रजिस्टर्ड अंजुमनों के होते हुए अगर कुछ खादिमों को नई संस्था के गठन का विचार आया है तो वे खादिमों की बिगड़ती छवि के प्रति भी चिंतित रहे होंगे। वरना ये काम तो अंजुमनें ही कर सकती हैं। दरगाह इलाके में परचे बांट कर कौम के लोगों का सहयोग लेने की कवायद का मतलब यही है कि संस्था अपना जनाधार कायम करना चाहती है। जानकारी के मुताबिक परचे में संस्था के सरगना हफ्तबारीदारान सैयद अनीस मियां चिश्ती के साथ मौलाना सैयद मेहंदी मियां, मौलाना सैयद मुसव्विर, सैयद सरवत संजरी, सैयद इफ्तेखार नियाजी, सैयद गुलफाम चिश्ती और शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती के नाम दिए गए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस नई संस्था से दरगाह में बिगड़ रहे माहौल में सुधार आएगा।
-तेजवानी गिरधर