मंगलवार, 26 मार्च 2013

देवनानी ने की कंवल प्रकाश को टिकट की सिफारिश

अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट की दौड़ में नंबर वन होने के बावजूद दौड़ से अपने आपको अलग करते हुए शहर जिला भाजपा के प्रचार मंत्री कंवल प्रकाश किशनानी को टिकट देने की सिफारिश कर दी है। कानाफूसी है कि उनका हृदय परिवर्तन इस कारण हुआ है कि अजमेर के औंकारसिंह लखावत निष्ट सारे भाजपा नेता उनके खिलाफ हो गए हैं। अव्वल तो वे टिकट लेने नहीं देंगे। गर संघ के दबाव में टिकट लेकर आ भी गए तो जीतने नहीं देंगे। गर जीत गए तो मंत्री नहीं बनने देंगे, क्योंकि सारे अनिता भदेल को ही जिताने व उन्हें ही मंत्री बनाने की पैरवी करने वाले हैं। ऐसे में अपना बुढ़ापा खराब करने की बजाय बेहतर है कि सम्मानजनक तरीके से दौड़ से अपने आप को अलग कर लिया जाए।
ज्ञातव्य है कि ये वही देवनानी हैं, जिन्होंने कभी लंबे अरसे तक अजमेर भाजपा के भीष्म पितामह औंकार सिंह लखावत का अजमेर नगर की सीमा में प्रवेश प्रतिबंधित करवा रखा था। अब जब कि लखावत चारण शैली अपनाते हुए वसुंधरा शरणम गच्छामि हुए हैं, वे फिर से पावर में आ गए हैं और उनका एक सूत्रीय कार्यक्रम है कि येन केन प्रकारेण देवनानी को निपटाया जाए। देवनानी भी खतरे को भांप गए हैं। यही वजह है कि उनका हृदय परिवर्तन हो गया है। टिकट की दौड़ से अलग होने की एवज में वे भाजपा सरकार बनने पर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष बनाने की मांग करेंगे। बुरा न मानो होली है।

बुरा न मानो होली है


लालफीताशाह
उमराव सालोदिया-गाने की फुर्सत, भई वाह
हबीब खान गौरान-ठठेरा से यारी
पी.एस. जाट-फार्मूला नंबर दस
प्रोफेसर पी.एस. वर्मा-कांटों का ताज
डॉ. सुभाष गर्ग-तंवर का भूत
प्रो. रूप सिंह बारेठ-अल्लाह की गाय
किरण सोनी गुप्ता-संभाग का चित्र जाए भाड़ में
वैभव गालरिया-शक्ल ही तो बाबू सी है
अनिल पालीवाल-मुझे क्या पता
गौरव श्रीवास्तव-पूरी चादर ही फटी है जनाब
राजेश मीणा-ठठेरा का ढक्कन
वीरभान अजवानी-मस्त रहो मस्ती में
लोकेश सोनवाल-तुम डाल-डाल मैं पात-पात
अजय सिंह-जल्दबाजी में मुंह जल गया
डॉ. रामदेव सिंह-ढ़ाई घर की चाल
डॉ. राजीव पचार-खूब बचे
हनुमान सिंह भाटी-अजमेरीलाल
हनीफ  मोहम्मद-वक्त वक्त का फेर
के.के. पाठक-कीचड़ में कमल
हेमंत माथुर-मन के जीते जीत है
आशुतोष गुप्ता-दुखियारा जीव
प्रिया भार्गव-जैसी करनी वैसी भरनी
गजेन्द्र सिंह राठौड़-जी हुकुम
सी. आर. मीणा-सारी छकड़ी भूल गए
किशोर कुमार-रास आ गया अजमेर
जगदीश पुरोहित-हेकड़बाज
भंवरलाल-टोटकेबाज
सुनीता डागा-हम चौड़े, गली संकड़ी
मेघना चौधरी-चलो अब हज चलें
जयसिंह राठौड़-सोलह-आठ का पाना
भगवतसिंह राठौड़-जै माता जी की
भंवर सिंह नाथावत-इन्हीं रास्तों से जो गुजरा हूं
वनिता श्रीवास्तव-मैने तो आदेश कर दिए
निशु अग्निहोत्री-मगरमच्छ से बैर
सुरेश सिंधी-ना काहू से दोस्ती
के.सी. वर्मा-छुपा रुस्तम
एल. डी. यादव-सूफी
मिरजू राम शर्मा-जरा बचके रहियो
सत्येंद्र कुमार नामा-एंटीक पीस
सुधीर बंसल-नामा का बेनामा
मनोज सेठ-मुफ्त की क्रेडिट
सी.पी. कटारिया-जी शाब
आजम खान-इतिहासकार
प्यारे मोहन त्रिपाठी-यहीं डायरेक्टर बनूंगा
राजेन्द्र गुप्ता-मक्खबाज
मुकुल मिश्रा-जय-जय शिव शंकर

सफेदपोश
सचिन पायलट-बगावत चालू आहे
डॉ. प्रभा ठाकुर-विज्ञप्तिबाज सांसद
भूपेन्द्र सिंह यादव-पेराशूट से टपका
नसीम अख्तर-कब तक नसीब के सहारे
डॉ. रघु शर्मा-मुंह की बवासीर
सुशील कंवर पलाड़ा-मने कांई ठा
नरेन शहाणी भगत-सिर कढ़ाई में
कमल बाकोलिया-दिन ढ़ले हम चले
ब्रह्मदेव कुमावत-टाइम पास
औंकारसिंह लखावत-जय-जय वसुंधरा
वासुदेव देवनानी-अभिमन्यु
अनिता भदेल-किस्मत की सिंकदर
महेन्द्र सिंह गुर्जर-पुरखों की कमाई
रामचन्द्र चौधरी-चवन्नी यूं ही चलती रहेगी
रासा सिंह रावत-मुझे तो टिकट चाहिए
प्रो. सांवरलाल जाट-अपना खूंटा पक्का है
सरिता गैना-तैयारी पुष्कर से
जसराज जयपाल-दफ्तरदाखिल
डॉ. श्रीगोपाल बाहेती-इस बार तैयारी पूरी है
भंवर सिंह पलाड़ा-बेताज बादशाह
डॉ. के. सी. चौधरी-मेंढ़क फिर टर्राएगा
सत्यकिशोर सक्सैना-जाने कहां गए वो दिन
महेन्द्र सिंह रलावता-दिग्गी राजा के भरोसे
अजीत सिंह राठौड़-तीन लोक से मथुरा न्यारी
प्रो. बी. पी. सारस्वत-गुलगुले से परहेज
नरेश सत्यावना-जो हम से टकराएगा
इंसाफ अली-इंतजाम अली
धर्मेश जैन-भली करेंगे राम
धर्मेन्द्र गहलोत-इधर कुआं उधर खाई
डॉ. प्रियशील हाड़ा-एक मौका और दो
सोमरत्न आर्य-हरफनमौला
नवलराय बच्चानी-खंडहर
ललित भाटी-पायलट साहब ही जय
बाबूलाल सिंगारिया-छुपा रुस्तम
हाजी कयूम खान-कछुआ चाल
सुरेन्द्र सिंह शेखावत-दोनों कमलों से उम्मीद
डॉ. राजकुमार जयपाल-नारी विशेषज्ञ
श्रीकिशन सोनगरा-लखावत का डंसा..
पुखराज पहाडिय़ा-हाशिये पर
पूर्णाशंकर दशोरा-अपनी तो जैसे तैसे
शिवशंकर हेडा-मेरा टिकट तो पक्का है
राजेश टंडन-नाम के अध्यक्ष
प्रमिला कौशिक-भाटी जी की हेड-टेल
सतीश बंसल-जुगाड़ बैठ ही गया
कैलाश कच्छावा-अपनी तो अनिता जी
हरीश झामनानी-लहर के भरोसे
कंवल प्रकाश किशनानी-देवनानी हाय-हाय
अरविंद शर्मा गिरधर-चिरांध
सरोज जाटव-कभी हम भी थे
सबा खान-केमरे पर नजर
कुलदीप कपूर-राजनीति का ठठेरा
अरविन्द यादव-नए आका की शरण में
डॉ. सुरेश गर्ग-कालीदास
तुलसी सोनी-न इधर के न उधर के
प्रताप यादव-एक बार टिकट दे दे बाबा
प्रकाश गदिया-बाबा का पगल्या
महेश ओझा-खूंटी पर
मोहन लाल शर्मा-धरती पकड़
संपत सांखला-भदेल का पिछलग्गू
भारती श्रीवास्तव-मैं भी दावेदार हूं
वनिता जैमन-अभी तो मैं जवान हूं
जयंती तिवारी-छाप का क्या करूं?
कमला गोखरू-मसूदा के दौरे
नीरज जैन-राजनीतिक आतंकवादी
हरिश मोतियानी-धरने से क्या होगा
दीपक हासानी-माल भी गया माजना भी
देवेन्द्र सिंह शेखावत-बुरा फंसा अध्यक्ष बन कर
विजय नागौरा-भगत का ठगत
कैलाश झालीवाल-अभी तो मैं जवान हूं
नौरत गूजर-पंगेबाज
सुनिल मोतियानी-चिरांध
ललित गूजर-पायलट साहब जिंदाबाद
महेन्द्र तंवर-फोकट पार्षद
शैलेन्द्र अग्रवाल-सेवादारी
बिपिन बेसिल-पिछलग्गू
जयकिशन पारवानी-वासुदेवाय नम:
सोनम किन्नर-न इधर की न उधर की
शरद गोयल-मीडिया के दम पर
अशोक तेजवानी-फाइल बंद
गुलाम मुस्तफा-उछलकूद थोड़े ही छूटेगी
जे पी शर्मा-यादव साहब जिंदाबाद
नरेश राघानी-रायता तो डोल ही दूंगा
इब्राहिम फखर-खिदमत के दम पर
मुंसिफ अली खान-नया नया मुसलमान
जुल्फिकार चिश्ती-तूफान चिश्ती
अशोक मटाई-भगत का सिरदर्द
सुकेश कांकरिया-मैं भी लाइन में हूं
सत्यनारायण गर्ग-चुगलखोर

छपास स्पेशलिस्ट
डी.बी. चौधरी-रस्सी जल गई मगर
रमेश अग्रवाल-दुकान चल पड़ी
दौलत सिंह-न मैं खाऊं, न...
नरेन्द्र सिंह चौहान-वरिष्ठ चिरकुट
सुरेन्द्र चतुर्वेदी-चढ़ी जवानी बूढ़े नूं
राजेन्द्र शर्मा-अल्लाह की गाय
सतीश शर्मा-उड़ान यहां आ कर ठहरी
एस.पी. मित्तल-भाई साहब जिंदाबाद
गिरधर तेजवानी-अकड़ अमचूर
आर. डी. कुवेरा-मेरे प्लॉट का क्या हुआ
संतोष गुप्ता-शिकायत का मारा
ओम माथुर-जो हम से टकराएगा
राजेन्द्र गुंजल-मुझ से अच्छा कौन
राजेन्द्र हाड़ा-भड़ास डॉट कॉम
हरीश वर्यानी-एक पैर यहां, दूसरा वहां
गोपाल सिंह लबाना-सात पीढ़ी का इंतजाम
ऋषिराज शर्मा-जड़ जिंदा रह गई थी
तिलोक जैन-रुतबे का हथियार
अशोक शर्मा-दुनिया जाए भाड़ में
प्रेम आनंदकर-जिस गांव में रहना..
अजय गुप्ता-दरवेश
सुरेश कासलीवाल-हम चौड़े गली संकड़ी
जगदीश बोड़ा-एक और गुंजल
अमित वाजपेयी-हम से बढ़ कर कौन
निर्मल मिश्रा-दिन ढ़ले हम चले
अरविन्द गर्ग-फफूंद
पंकज यादव-कानून का कीड़ा
संजय माथुर-तेरा पीछा ना छोड़ूंगा
सचिन मुद्गल-मिशन जर्नलिज्म
प्रताप सनकत-गाडी मेरे दम पर
राजेन्द्र गुप्ता-ज्योतिषी
सुरेश लालवानी-वाह रे सिंधी वाह
युगलेश शर्मा-चिकित्सा महकमे की दाई
विक्रम चौधरी-छोड़ दी उछलकूद
रजनीश शर्मा-ओम जी की जै
सुमन शर्मा-वो भी क्या दिन थे
नरेन्द्र भारद्वाज-चुर्रघुस्स
राजेन्द्र याज्ञिक-लापता पंडित
पी. के. श्रीवास्तव-बिन पिये ही ये हाल है
दिलीप मोरवाल-जेएलएन के तार मेरे हाथ
मुकेश खंडेलवाल-नौकरी जिंदाबाद
तीरथदास गोरानी-टे्रजडी किंग
देवेन्द्र सिंह-अब मैं खुश हूं
शिव कुमार जांगीड़-कौन किसके काम आता है
भानुप्रताप गुर्जर-कहां गई चमक
मधुलिका सिंह-एक हसीना
बलजीत सिंह-कौन माथा लगाए
संतोष खाचरियावास-उन्हें लिखना नहीं आता
क्षितिज गौड़-क्या तलाश ली सोने की खान
गिरीश दाधीच-नौकरी पक्की
आरिफ कुरैशी-रास आ गई ख्वाजा नगरी
योगेश सारस्वत-हम में भी है दम
रजनीश रोहिल्ला-किनारा मिल ही गया
रहमान खान-छकड़ी भूल गए
मोईन कादरी-डायरेक्टर
रूपेन्द्र शर्मा-हर मर्ज की दवा
मनोज दाधीच-इंचार्ज तो मैं हूं
अभिजीत दवे-फिर चल पड़ी
सुरेन्द्र जोशी-प्रवासी
जाकिर हुसैन-जुगाड़
मनवीर सिंह-मिशन कश्मीर
राजकुमार वर्मा-हमारे भी दिन थे
राकेश भट्ट-तीर्थराज पुष्कर की जै
प्रियांक शर्मा-दो नाव में सवारी
अनिल माहेश्वरी-हस्तीनापुर से बंधा हूं
गजेन्द्र बोहरा-गुरु घंटाल
बद्रीश घिल्डियाल-जी भाईसाहब
समंदर सिंह-सारे आरटीओ जेब में
एन. के. जैन-ऐसे निकलता है अखबार
विकास छाबड़ा-दुकानदार
नवाब हिदायतुल्ला-असली पत्रकार
संजय अग्रवाल-निशुल्क सेवा
अमर सिंह-तोकू कोई और नहीं, मौकू..
बालकिशन-छुट्टन मियां
तिलक माथुर-चवन्नी अठन्नी में
अखिलेश शाह-ठसका कायम है
सुधीर मित्तल-अब पंगा नहीं लेता
विजय शर्मा-क्या क्या न किया
अनुराग जैन-कोई मुझे खांचे से निकालो
माधवी स्टीफन-छम्मक छल्लो
अंतिमा व्यास-भैया की मेहरबानी से
कौशल जैन-जी भाई साहब का जी भाई साहब
आशु-पूरा बोझ मेरे माथे
एम. अली-भाई के भरोसे नहीं
नरेश शर्मा-अकेला मैं ही काफी हूं
आशुतोष-ना काहू से दोस्ती
याद हुसैन कुरैशी-हम चौड़े गली पतली
मधुसूदन चौहान-डीबी का झंडाबरदार
संतोष सोनी-सेटिंग चालू आहे
रईस खान-ख्वाजा का खादिम
इन्द्र नटराज-इमारत कभी बुलंद थी
महेश नटराज-फोटो सप्लायर
मुकेश परिहार-पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
अशोक बुंदवाल-पिछलग्गू
सत्यनारायण झाला-अब मैं संपादक हूं
दीपक शर्मा-सबको पीछे छोड़ दिया
मोहन कुमावत-चमक कहां खो गई
जय माखीजा-बेटा बाप से भी बढ़ कर
मोहम्मद अली-बहुभाषिया
बालकिशन झा-रंगीला रतन
अनिल-चलती का नाम गाड़ी
नवीन सोनवाल-काम चल रहा है
दिनेश गर्ग-पत्रकारिता के दम पर
नानक भाटिया-मैं पत्रकार हूं

इत्यादि-इत्यादि
अरुणा रॉय-सोनिया की कठपुतली
दरगाह दीवान-शिव सेना की गोदी में
कालीचरण खंडेलवाल-हवा निकल चुकी है
सुनिल दत्त जैन-लार तो टपक रही है
सीताराम गोयल-सबसे बड़ा रुपैया
मनोज मित्तल-अब के नहीं छोड़ेंगे
जगदीश वच्छानी-एनआरआई किंग
धनराज चौधरी-असली खिलाड़ी
रणजीत मलिक-उखड़ आया गढ़ा मुर्दा
किशन गुर्जर-हम भी कभी अध्यक्ष थे
जे. पी. दाधीच-हम से है दुनिया
डॉ. लाल थदानी-देखन में छोटे लगें
कमलेन्द्र झा-सारेगामापा
रासबिहारी गौड़-घर की मुर्गी
रणजीत मलिक-कोलावेरी डी
अनन्त भटनागर-न्यूज तो मैं ही पढूंगा
उमरदान लखावत-लो प्रोफाइल
दशरथ सिंह सकराय-करणी सेनापति
गोपाल गर्ग-मैं शायर तो नहीं
सूर्य प्रकाश गांधी-फोकट पत्रकार
कोसिनोक जैन-डीबी की मेहरबानी से
कीर्ति पाठक-केजरीवाल की पूंछ
प्रमिला सिंह-मौके का इंतजार
प्रकाश जैन पाटनी-खिचड़ी धार्मिक
शंकर बन्ना-कमांडर
लाखन सिंह-जुगाड़
गोपाल बंजारा-पकावें हम, खावें पत्रकार
जयबहादुर माथुर-बच्चा मास्टर
उमेश चौरसिया-मैं भी साहित्यकार हूं
सुनिल बुटानी-नो पॉलिटिक्स प्लीज
वासुदेव माधानी-हेकड़बाज
दिलीप पारीक-लापता
बसंत सेठी-ठठेरा कहां लगता है
प्रभु लौंगानी-टांग ऊंची ही रही
दौलत लौंगानी-दरगाह न्यूज एजेंसी
मोहन चेलानी-लाल सलाम
हरीश हिंगोरानी-हम भी लाइन में हैं
महेन्द्र तीर्थानी-शाहणी की चाबी
हरि चंदनानी-चिरांध
महेश तेजवानी-साईं की मेहर है
राजकुमार लुधानी-ठठेरा का बाप
बलराम हरलानी-मुझे भी नेता बना दो
भगवान कलवानी-हर जगह हाजिर
मनोज आहूजा-कुमावत की पूंछ
तेजू लौंगानी-देवनानी की जय
प्रकाश जेठरा-मोहनलाल सिंधी
बुरा न मानो होली है।

वसुंधरा के कहने पर चुनाव नहीं लड़ेंगे लाला बन्ना

यूं तो अजमेर नगर परिषद के पूर्व सभापति और भाजपा के युवा नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने पक्का ही कर रखा था कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से हर हालत में चुनाव लड़ेंगे। चाहे भाजपा टिकट दे या नहीं। मगर ताजा जानकारी ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कहने पर वे चुनाव लडऩे की जिद छोड़ रहे हैं। बताया जाता है कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि भाजपा की सरकार बनने पर युवा बोर्ड गठित कर उसका अध्यक्ष बना दिया जाएगा। इस समझौते में राज्यसभा सदस्य भूपेन्द्र सिंह यादव ने अहम भूमिका अदा की है, जो शेखावत के लंगोटिया यार हैं। पता चला है कि वसुंधरा ने उन्हें यह समझा कर चुनाव न लडऩे के लिए राजी किया कि अव्वल तो उन्हें टिकट दिया जाना संभव नहीं है। इसकी एक वजह ये है कि राजपूत कोटे से एक टिकट पहले से भंवर सिंह पलाड़ा को देनी पड़ेगी। ऐसे में दूसरी टिकट भी राजपूत को देना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त नगर निगम चुनाव में मेयर पद के भाजपा प्रत्याशी डॉ. प्रियशील हाड़ा ने भी विरोध का झंडा गाड़ रखा है कि उन्होंंने उनका साथ नहीं दिया था, वरना वे जीत जाते। जीसीए छात्रसंघ के चुनाव में बेटे उमरदार लखावत की हार नहीं भूल पाए प्रदेश उपाध्यक्ष औंकार सिंह लखावत भी गुपचुप तरीके से विरोध कर रहे हैं। वसुंधरा राजे ने समझाया कि अगर वे निर्दलीय चुनाव लड़े तो सतीश बंसल, नानकराम जगतराय इत्यादि की तरह दस हजार के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाएंगे। हां, इतना जरूर है कि उनकी वजह से भाजपा प्रत्याशी धराशायी हो जाएगा। बेहतर यही है कि फिलहाल शांत हो जाएं, सरकार बनने पर उचित इनाम दे दिया जाएगा। बुरा न मानो होली है।

नरेन शहाणी भगत के घर डाला एसीबी ने छापा

आय से अधिक संपत्ति के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत के घर पर छापा मारा है। अचानक हुई इस कार्यवाही से भगत सकते में आ गए, वहीं यह खबर जंगल में आग की तरह पूरे शहर में फैलने से सनसनी पसर गई। हालांकि ब्यूरो ने इस कार्यवाही को पूरी तरह से गोपनीय रखा है, मगर सुविज्ञ सूत्रों के अनुसार भगत के घर बड़ी मात्रा में नकदी मिली है, जिसे गिनने के लिए स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर से नोट गिनने की चार मशीनें लगाई गई हैं। यद्यपि यह कहना अभी मुश्किल है कि नकद मिली राशि कितनी है, मगर समझा जाता है कि यह करीब दस करोड़ रुपए से अधिक होनी चाहिए। यह जांच के बाद ही पता लगेगा कि इतनी बड़ी धन राशि उनके पास कहां से आई। समझा जाता है कि भगत ने यह राशि आगामी विधानसभा चुनाव में खर्च के लिए जमा कर रखी थी। ब्यूरो के सूत्रों ने बताया कि भगत के धुर विरोधी एडवोकेट अशोक मटाई की शिकायत पर यह कार्यवाही की गई है। बुरा न मानो होली है।

ज्ञान सारस्वत होंगे वसुंधरा का तुरप का पत्ता

अजमेर नगर निगम के वार्ड दो के निर्दलीय पार्षद ज्ञान सारस्वत अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में भी निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगे। जैसे वार्ड चुनाव में तुलसी सोनी को पटखनी दे कर देवनानी को झटका दिया था, वैसे ही विधानसभा चुनाव में खुद देवनानी को ही निपटा देंगे।
असल कहानी ये है कि यूं तो ज्ञान की खुद ही ये इच्छा रही कि वे देवनानी को हराने के लिए निर्दलीय खड़े होंगे, मगर कुछ समझदार मित्रों ने समझाया कि इससे देवनानी तो हार जाएंगे, मगर उन्हें क्या मिलेगा। बात उनके समझ में आई। उन्होंने सोचा कि पिछले तीन साल में भाजपा की ओर से वैसे भी कोई मनुहार न की गई है, ऐसे में बेहतर ये है कि कांग्रेस ज्वाइन कर ली जाए। इसी सिलसिले में उन्होंने हाल ही अजमेर के कांग्रेस सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट के हाथों अपनी वेबसाइट और निर्माण कार्यों का शुभारंभ करवाया। जैसे ही वसुंधरा को ये पता लगा, उन्होंने तुरंत एक मैसेंजर भिजवा कर ज्ञान को जयपुर बुलवा लिया। उन्होंने समझाया कि अगर वे कांग्रेस में शामिल हो गए तो उनका भाजपा मानसिकता वाला जनाधार समाप्त हो जाएगा। ऐसे में बेहतर ये है कि फिलहाल ऐसा कोई निर्णय न लें। हां, इतना जरूर है कि जैसे ही भाजपा की सरकार बनेगी, उन्हें कोई बड़ा इनाम दे दिया जाएगा। इसके एवज में एक काम उन्हें करना होगा। वो ये कि उन्हें देवनानी के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा, ताकि वे हार जाएं और सरकार बनने पर उन्हें मंत्री बनाए जाने की मजबूरी समाप्त हो जाए। अर्थात वे देवनानी को टिकट देने में आनाकानी भी नहीं करेंगी और उनका कांटा भी निकाल लेंगी। ज्ञान को यह बात ठीक से समझ में आ गई है। इसके लिए वसुंधरा ने उन्हें चुनाव से दो माह पहले बीस लाख रुपए भिजवाने का विश्वास दिलाया है। बुरा न मानो होली है।