शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

तो फिर बाबा रामदेव की रैली को सहयोग क्यों नहीं किया?


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख सुनील कुमार ने अखबार वालों से बात करते हुए कहा कि संघ का योग गुरू बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़ गए अभियान में पूरा सहयोग रहेगा। मगर सच्चाई ये है कि पिछले दिनों अजमेर में जो रैली हुई थी, उससे अधिसंख्यक स्वयंसेवकों और भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने जानबूझ कर दूरी बना रखी थी। इक्का-दुक्का हिंदूवादी नेता जरूर रैली में दिखाई दिए, लेकिन योजनाबद्ध रूप से संघ का रैली को कोई योगदान नहीं रहा। हालांकि यह सही है कि रैली के आयोजकों ने जो तैयारी बैठक बुलाई थी, उसमें अधिसंख्य संघनिष्ठ लोग ही शामिल थे, लेकिन जैसे उन्हें यह लगा कि बाबा रामदेव अपने इस अभियान व ताकत का बाद में राजनीतिक इस्तेमाल करेंगे, तो उन्होंने दूरी कायम कर ली। हकीकत तो ये है उस बैठक में ही संघ के स्वयंसेवकों ने कह दिया कि ऊपर से आदेश मिलने पर ही सहयोग दिया जा सकता है। इससे आयोजकों में तनिक मायूसी भी रही। परिणाम भी सामने आ गया। यदि वाकई संघ और भाजपा रैली का सहयोग करते तो वह रैली ऐतिहासिक होती। यूं रैली ठीक ठाक थी, मगर वह केवल आर्यसमाजियों की वजह से। ऐसा प्रतीत होता है कि संघ की पूर्व में बाबा रामदेव को सहयोग करने की कोई योजना नहीं थी और अब जा कर सहयोग का मानस बनाया है। या फिर ये भी हो सकता है कि जब पत्रकारों ने यह पूछा कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान को संघ सहयोग करेगा तो औपचारिकतावश उन्होंने यह कह दिया होगा कि संघ का पूरा समर्थन है।
वैसे यह सच्चाई है कि आज भले ही संघ बाबा रामदेव को सहयोग करने की बात करे, मगर आगे चल कर जब बाबा रामदेव लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े करेंगे तो भाजपा को उससे भारी परेशानी होगी, क्यों वे भाजपा के ही वोट काटेंगे।
क्या डॉ. जयपाल लॉबी ने ठान रखी है भ्रष्टाचार मिटाने की?
विपक्ष के नाते भाजपा को जो भूमिका अदा करनी चाहिए, वह अजमेर में कांग्रेस के नेता अदा कर रहे हैं। एक दृष्टि से देखा जाए तो यह वाकई बड़े साहस की बात है कि अपनी ही सरकार के होते हुए प्रशासन के खिलाफ जम कर अभियान चला रखा है। हाल ही पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल के शागिर्द रमेश सैनानी ने प्रॉपर्टी डीलर्स एसोसिशन के बैनर पर आवासन मंडल के अधिकारियों की खाट खड़ी कर दी।
आइये, जरा पीछे चलते हैं। पिछले दिनों पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल के नेतृत्व में नगर सुधार न्यास में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ जो अभियान चलाया गया, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। वे न केवल न्यास सचिव अश्फाक हुसैन को चुनौती दे कर आए, बल्कि उन्हीं की पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं ने ठीक वैसा हंगामा किया जो कि भाजपा को शोभा देता। बहरहाल, जहां तक भूमिका का सवाल है, वह जरूर विपक्ष जैसी नजर आती है, मगर उनके अभियान का परिणाम ये रहा कि न केवल दीपदर्शन सोसायटी को कथित रूप से अवैध रूप से आवंटित जमीन का आवंटन रद्द हुआ, अपितु कहीं न कहीं लिप्त जिला कलेक्टर राजेश यादव, न्यास सचिव अश्फाक हुसैन व विशेषाधिकारी अनुराग भार्गव अजमेर से रुखसत हो गए। इस लिहाज से भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाये अभियान के लिए वे साधुवाद के पात्र हैं। ठीक इसके विपरीत विपक्षी पार्टी भाजपा पूरी तरह से नकारा साबित हुई है। कांग्रेस जब काफी आगे निकल गई, और लोगों ने विपक्षी दल भाजपा के लोगों का मुंह काला किया कि आप बैठे-बैठे क्या कर रहे हो, तब जा कर उसे होश आया और औपचारिक रूप से न्यास प्रशासन के खिलाफ ज्ञापन दिया। उसमें भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई खास सबूत नहीं दिए, केवल भाजपा शासन काल में शुरू हुए विकास कार्यों के ठप्प होने की शिकायत की। डॉ. जयपाल के नेतृत्व में चंद वरदायी नगर की जमीन के मामले में भी उनकी शिकायत भी जोर-शोर से उठाई गई और उस पर जांच चल रही है। न्यास से जुड़े ये मामले अभी शांत ही नहीं हुए कि एक दिन पहले डॉ. जयपाल के खासमखास सेनानी ने आवासन मंडल पर धावा बोल दिया और वहां व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर अधिकारियों को जम कर खरी खोटी सुनाई। अमूमन अपने राज में किसी भी पार्टी के लोग प्रशासन की पोल नहीं खोलते कि इससे सरकार बदनाम होगी, मगर डॉ. जयपाल लॉबी ने उस अवधारणा को समाप्त कर दिया है। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकार उन्हीं की है और उसी की छत्रछाया में काम कर रहे प्रशासन को खींच कर रख रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें प्रशासन को ठीक से चलाने का राज समझ में आ गया है।