मंगलवार, 9 मई 2023

अश्फाक हुसैन की नजर पुष्कर पर?


एक ओर जहां राजनीतिक विष्लेशक आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से पुश्कर में पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड की दावेदारी पर माथापच्ची कर रहे हैं, वहीं कानाफूसी है कि दो और नाम भी अंदरखाने चल रहे है। चर्चा है कि सेवानिवृत्त आईएएस व दरगाह कमेटी के पूर्व नाजिम जनाब अष्फाक हुसैन और सेवानिवृत्त संभागीय आयुक्त हनुमान सिंह भाटी आगामी विधानसभा चुनाव में पुश्कर से कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर सकते हैं। हालांकि जयपुर से छपी एक खबर में अष्फाक हुसैन की दावेदारी झुंझुनूं से बताई जा रही है, मगर समझा जाता है कि विकल्प के तौर पर पुश्कर को भी रखेंगे। उसकी वजह ये है कि पिछले चुनाव में भी उनका नाम पुश्कर में जमीन तलाषने को लेकर सामने आया था। तब उनके रिष्तेदार वरिश्ठ पत्रकार जनाब जाकिर हुसैन ने तो खुल कर दावेदारी की थी। 

अष्फाक हुसैन अजमेर व पुश्कर से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। यहां की नेतानगरी के मिजाज व जातीय समीकरण को भी भलीभांति जानते हैं। वे अजमेर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर तो रहे ही हैं, दो बार दरगाह नाजिम के पद पर भी काम कर चुके हैं। अजमेर व पुश्कर के मुसलमानों में सुपरिचित हैं। उनकी अपनी खुद की फेन फॉलोइंग भी है। जहां तक राजनीतिक पकड का सवाल है जानकार लोगों को पता है कि वे मुख्यमंत्री अषोक गहलोत के करीबी हैं। अजमेर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर रहते हुए उनकी ही प्रषासनिक रिपोर्ट पर गहलोत ने उपचुनाव में स्वर्गीय श्री नानक राम जगतराय को कांग्रेस का टिकट दिया था। नानकराम जीते भी। बाद में गहलोत उन्हें जोधपुर भी लेकर गए। 

जहां तक भाटी का सवाल है, वे लंबे समय तक विभिन्न पदों पर अजमेर में रहे हैं। यहां की राजनीतिक आबोहवा को बखूबी समझते हैं। जाहिर तौर पर पुश्कर में राजपूत वोट बैंक उनकी दावेदारी का आधार है। 

प्रसंगवष बता दें कि अजमेर में कलेक्टर रह चुके और राजस्थान सरकार में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त मुख्यमंत्री के सलाहकार निरंजन आर्य सोजत से कांग्रेस टिकट की दावेदारी करेंगे। इसी प्रकार अजमेर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर पद से सेवानिृत्त हुए सुरेष सिंधी अजमेर उत्तर से कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर सकते हैं। चर्चा ये भी है कि राजस्थान कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग की आयुक्त सुश्री रेणु जयपाल अजमेर दक्षिण से दावेदारी कर सकती हैं। ज्ञातव्य है कि वे पूर्व मंत्री जसराज जयापाल की पुत्री व पूर्व विधायक डॉ राजकुमार जयपाल की बहिन हैं। यूं दावेदारी डॉ जयपाल की ही है, लेकिन कयास है कि उनकी बहिन की दावेदारी ऐन वक्त पर सामने आ सकती है।

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शनिवार, 6 मई 2023

नानकराम की बगावत से हुई थी देवनानी की अजमेर में एंट्री


अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में वासुदेव देवनानी पिछले चार चुनावों से लगातार जीतते आ रहे हैं। इससे या तो यह साबित होता है कि इस सीट पर भाजपा मतदाताओं का प्रभाव अधिक है, जातीय समीकरण भाजपा के पक्ष में है और कांग्रेस कमजोर, या फिर देवनानी चुनावी राजनीति में चतुर हैं। देवनानी दो बार राज्यमंत्री रहे हैं, इस कारण उन्होंने अपनी पकड मजबूत कर रखी है, मगर यदि पिछले आंकडों पर नजर डालें तो स्पश्ट हो जाएगा कि इस सीट पर कांग्रेस का भी जनाधार रहा है। यहां तक कि देवनानी जब पहली बार चुनाव लडने उदयपुर से यहां आए, तब यदि पूर्व विधायक नानकराम जगतराय बगावत नहीं करते तो कांग्रेस के नरेन षहानी भगत नहीं हारते। देवनानी व भगत के बीच मतांतर भी बहुत अधिक नहीं रहा। भगत मात्र दो हजार चार सौ चालीस मतों से पराजित हुए। देवनानी को 26 हजार 684 और भगत को 24 हजार 244 मत मिले। कांग्रेस के बागी निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व विधायक नानकराम जगतराय को 5 हजार 953 मत मिले। अर्थात कांग्रेस की हार की वजह बागी का खड़ा होना रहा। अन्यथा कांग्रेस की जीत होती और देवनानी की अजमेर में एंटी ही नहीं होती। और यह एंटी ऐसी हुई कि देवनानी उसके बाद लगातार तीन बार जीतते ही गए।

आइये, पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के डॉ.श्रीगोपाल बाहेती देवनानी से मात्र 688 मतों से पराजित हुए। देवनानी को 41 हजार 907 व बाहेती को 41 हजार 219 मत मिले।

उसके बाद 2013 के चुनाव में देवनानी ने बाहेती को 20 हजार 479 वोटों से हराया। देवनानी को 68 हजार 461 मत मिले जबकि डॉ. बाहेती को 47 हजार 982 मत मिले। इस चुनाव में प्रदेष भर में भाजपा की लहर थी।

2018 के चुनाव में मोदी लहर का असर था। कांग्रेस के महेन्द्र सिंह रलावता को देवनानी ने 8 हजार 630 मतों से हराया। देवनानी को 67 हजार 881 व रलावता को 59 हजार 251 मत मिले। इन तीनों चुनावों में देवनानी जीते ही इस वजह से कि कांग्रेस ने किसी सिंधी को टिकट नहीं दिया और सिंधी मतदाता एक मुष्त भाजपा की झोली में जा गिरे। इतना ही नहीं, एक मात्र इसी वजह से अजमेर दक्षिण में श्रीमती अनिता भदेल भी लगातार जीतती आई हैं।

यहां ज्ञातव्य है कि राजस्व मंत्री किशन मोटवानी के निधन के कारण इस सीट पर 2002 में उपचुनाव हुआ। कांग्रेस के नानकराम जगतराय ने भाजपा के लक्ष्मणदास टिलवानी को 4 हजार 753 मतों से हराया। नानकराम को 24 हजार 313 और टिलवानी को 19 हजार 660 मत मिले। इससे पूर्व 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के किशन मोटवानी ने भाजपा के हरीश झामनानी को 11 हजार 342 मतों से पराजित किया था। मोटवानी को 34 हजार 802 और झामनानी को 23 हजार 460 वोट मिले थे।

ये आंकडे बताते हैं कि अजमेर उत्तर में भले ही भाजपा लगातार चार बार जीती हो, अजेय प्रतीत होती है, मगर कांग्रेस बहुत कमजोर भी नहीं है।