बुधवार, 13 अप्रैल 2016

क्या देवनानी व हेड़ा में तालमेल नहीं?

एक ओर अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने पिछले दिनों कहा कि स्टेशन रोड पर एलिवेटेड रोड की फिजिबिलिटी नहीं है। दुकानदारों का भी भारी विरोध है। इस रोड पर पर्याप्त स्थान भी नहीं है। एडीए किसी एक ही प्रोजेक्ट पर इतनी बड़ी रकम खर्च करने की स्थिति में भी नहीं है। यानि कि साफ तौर पर मान लिया गया कि एलिवेटेड रोड का सपना चकनाचूर हो गया, लेकिन दूसरी ओर शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने फिर आस जगाई है। उन्होंने नई दिल्ली में केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू से मुलाकात कर कहा कि अजमेेर शहर में यातायात का दबाव बढ़ता जा रहा है। स्टेशन रोड पर पूरे दिन जाम के हालात बने रहते हैं। शहर में एलिवेटेड रोड की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इस पर नायडू ने एलिवेटेड रोड के लिए हृदय योजना से डीपीआर तैयार कर भिजवाने तथा आवश्यक राशि उपलब्ध कराने पर सहमति जताई।
सवाल उठता है कि बकौल हेड़ा जिस एलिवेटेड रोड की फिजिबिलिटी नहीं मानते, दुकानदारों के भारी विरोध से घबरा रहे हैं और इस रोड पर पर्याप्त स्थान भी नहीं बता रहे, उसके लिए अपेक्षित राशि जुटाने के लिए देवनानी कैसे प्रयास कर रहे हैं? साफ है कि दोनों के बीच तालमेल नहीं है।
ज्ञातव्य है कि एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव 2013 में कांग्रेस सरकार के दौरान तैयार हुआ था। एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव के अनुसार यह स्टेशन रोड पर मार्टिंडल ब्रिज से लेकर क्लॉक टावर थाना, गांधी भवन, कचहरी रोड, इंडिया मोटर्स चौराहा होते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग के पुराने दफ्तर के सामने तक जाना था। ऐसे में गांधी भवन से एलिवेटेड रोड दो हिस्सों में बंट जाता। इसका दूसरा हिस्सा जीपीओ, नगर निगम के सामने से होते हुए आगरा गेट तक जाता। तब एक कंसलटेंट से डीपीआर भी तैयार करवाई गई, जिस पर करीब 20 लाख रुपए खर्च हुए थे। इस प्रस्तावित रोड पर 200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया था।
-तेजवानी गिरधर
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