रविवार, 5 जुलाई 2015

वार्ड एक से दमदार दावेदारी करेंगे मनवर खान

आगामी अगस्त माह में होने वाले नगर निगम चुनाव के लिए वार्ड एक से कांग्रेस की ओर से युवा कांग्रेस नेता मनवर खान कायमखानी टिकट की दमदार दावेदारी करने जा रहे हैं। उनकी दावेदारी का दम ये है कि एक तो वे इस इलाके में पिछले तकरीबन 25 साल से सक्रिय हैं और दूसरा ये कि इस वार्ड के कुल लगभग आठ हजार मतदाताओं में से एक हजार दो सौ अल्पसंख्यक मतदाता हैं।
मनजी भाई के नाम से सुपरिचित मनवर खान का व्यवसाय वार्ड के अंतर्गत आने वाले रीजनल कॉलेज के सामने मुख्य मार्ग पर तकरीबन 27 साल से है और उनका इलाके के सभी लोगों से सीधा व्यक्तिगत संपर्क है। कांग्रेस में उनकी सक्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अजमेर से पुष्कर या पुष्कर से अजमेर आते-जाते वक्त शायद ही ऐसा कोई वीआईपी हो, जिसका उनकी ओर से रीजनल कॉलेज चौराहे के पास स्वागत  न किया गया हो। 21 दिसम्बर 1968 को जन्मे मनवर खान कांग्रेस में 1991 से सक्रिय हैं। वे एनएसयूआई, युवक कांग्रेस व अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। 1995 से लेकर अब तक जितने भी नगर परिषद व विधानसभा चुनाव हुए हैं, उसमें उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई है। यदि ये कहा जाए कि कोटड़ा व नौसर में उनकी टीम की वजह से ही कांग्रेस का जनाधार बना हुआ है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनकी चुनावी तैयारी का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्टर भी शाया कर दिया है।
इसके अतिरिक्त कायमखानी शोध संस्थान, श्री वीर तेजा सर्वधर्म समिति व श्री रामदेव बाबा समिति, कोटड़ा आदि से जुड़ कर सामाजिक कार्य करते रहे हैं। वर्तमान में व्यवसाय के रूप में एंगलिकन एजुकेशन प्रा. लि. और रोज-आना रेस्टोरेंट का संचालन कर रहे हैं।

धर्मेन्द्र गहलोत व लाला बन्ना मेयर की दौड़ से बाहर?

क्या अजमेर नगर निगम के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत व अजमेर नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत उर्फ लाला बन्ना आगामी अगस्त माह में होने जा रहे अजमेर नगर निगम चुनाव में मेयर पद की दौड़ से बाहर कर दिए गए हैं? ये चौंकाने सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है कि दोनों को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी ने निकाय चुनाव के लिए प्रभारी बनाया है। गहलोत भीलवाड़ा जिले की मांडलगढ़ नगर पालिका व शेखावत  को नागौर जिले की मेड़ता सिटी नगर पालिका के लिए चुनाव के लिए पार्टी प्रभारी बनाया गया है। स्वाभाविक रूप से सवाल उठता है कि अगर वे इन दोनों स्थानों पर पार्टी की जिम्मेदारी निभाएंगे तो अजमेर में चुनाव कैसे लड़ पाएंगे?
ज्ञातव्य है कि अजमेर नगर निगम मेयर पद के लिए गहलोत व शेखावत को ही सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। कुछ सूत्र तो यहां तक दावा कर रहे थे कि गहलोत को तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर हरी झंडी तक मिल चुकी है। कहने की जरूरत नहीं है कि वे शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के खासमखास हैं और चर्चा है कि वे वार्ड दो से चुनाव लडऩे का मानस बना रहे हैं। उधर शेखावत को इसलिए मेयर पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है क्योंकि वे महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल सहित दिग्गज भाजपा नेता ओम प्रकाश माथुर के बेहद करीबी हैं।
समझा जाता है कि दोनों को बाकायदा सोची समझी राजनीति के तहत प्रभारी बनाया गया है, वरना क्या भाजपा हाई कमान को ये पता नहीं था कि वे चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं? कयास है कि प्रदेश अध्यक्ष परनामी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इशारे पर ही ऐसा किया होगा। वजह ये कि गहलोत सीधे तौर पर संघ लॉबी के शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी के करीबी हैं तो शेखावत कथित तौर पर मुख्यमंत्री पद के आगामी दावेदार ओम प्रकाश माथुर के नजदीकी। गहलोत से वसुंधरा की नाराजगी तब से भी हो सकती है, जब उन्होंने उनके पिछले कार्यकाल में कचरे का ट्रक कलैक्ट्रेट में ला पटका था, जिससे सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। बताया जाता है कि उस वक्त देवनानी खम ठोक कर नहीं खड़े होते तो गहलोत को इस्तीफा देना पड़ जाता। बात अगर अजमेर भाजपा के भीष्म पितामह औंकार सिंह लखावत की की जाए तो वे भी दोनों से नाइत्तफाकी रखते हैं। गहलोत से देवनानी की वजह से तो शेखावत से उनके पुत्र उमर दान लखावत को कॉलेज इलैक्शन के वक्त हरवाने की वजह से। जो कुछ भी हो, दोनों को प्रभारी बनाने का ऐलान बेहद चौंकाने वाला है। जाहिर तौर पर इससे स्थानीय भाजपा में भूचाल आएगा और मेयर पद की लाइन में लगे अन्य दावेदारों की बाछें खिलेंगी। इनमें पार्षद जे. के. शर्मा, पूर्व उपसभापति सोमरत्न आर्य व पार्षद नीरज जैन शामिल हैं।
तेजवानी गिरधर
7742067000