शनिवार, 8 अगस्त 2015

वार्ड दो में कांग्रेस व भाजपा में सीधी टक्कर

नगर निगम चुनाव में वार्ड दो में एक ओर जहां शैलेश गुप्ता व मधुरिमा मिश्रा के चुनाव मैदान से हटने का फायदा कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी मनोज बैरवा को राहत मिली है, वहीं रेलिश बंसल के नाम वापस लेने से भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप हीरानंदानी को फायदा मिला है। ऐसे में कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधी टक्कर है।
असल में शैलेष गुप्ता कांग्रेस के काफी दमदार दावेदार माने जा रहे थे और उनका तर्क था कि जब वार्ड सामान्य हो गया है तो उन्हें मौका मिलना ही चाहिए, मगर कांग्रेस ने जीत का समीकरण मनोज बैरवा के पक्ष में माना।   वे निवर्तमान पार्षद कमल बैरवा के छोटे भाई हैं। कमल बैरवा की स्वजातीय व अन्य पर अच्छी पकड़ है। हालांकि गुप्ता काफी गुस्से में हैं, मगर अब उनके मैदान में हट जाने से बैरवा ने राहत महसूस की है। इसी प्रकार मधुरिमा मिश्रा भी क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखती हैं, उनका हटना भी बैरवा को राहत दे रहा है। उधर भाजपा के प्रदीप हीरानंदानी को शहर भाजपा उपाध्यक्ष सतीश बंसल के पुत्र रेलिश बंसल के मैदान से हटने का सीधा फायदा होगा। ज्ञातव्य है कि बंसल शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के करीबी है। जाहिर तौर पर उनके कहने पर ही बंसल ने नाम वापस लिया है। बहरहाल, वार्ड भाजपा मानसिकता के भी काफी वोट हैं और संघ ने पूरी पकड़ बना रखी है, जिसके चलते प्रदीप अपने आप को मजबूत स्थिति में पाते हैं। मगर दिलचस्प बात ये है कि इस वार्ड में दोनों ही चेहरे राजनीति के लिहाज से नए हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

डॉ. बाहेती के कहने से बैठे रहीम, शैलेन्द्र को मिलेगा फायदा

नगर निगम चुनाव में वार्ड एक से खड़े हुए निर्दलीय रहीम खान के कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र अग्रवाल के समर्थन में बैठने से उन्हें सीधा फायदा होगा। समझा जाता है कि रहीम खान पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के कहने से माने हैं। असल में रहीम खान के बड़े भाई युवा कांग्रेस नेता मनवर खान कायमखानी हैं, जिन्होंने टिकट की दावेदारी की थी। उनका दावा था कि एक तो वे इस इलाके में पिछले तकरीबन 25 साल से सक्रिय हैं और दूसरा ये कि इस वार्ड के कुल लगभग आठ हजार मतदाताओं में से एक हजार दो सौ अल्पसंख्यक मतदाता हैं। मनजी भाई के नाम से सुपरिचित मनवर खान का व्यवसाय वार्ड के अंतर्गत आने वाले रीजनल कॉलेज के सामने मुख्य मार्ग पर तकरीबन 27 साल से है और उनका इलाके के सभी लोगों से सीधा व्यक्तिगत संपर्क है। जाहिर तौर पर वार्ड के मुस्लिम वोटों पर उनकी गहरी पकड़ है। वे पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के करीबी है। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि टिकट मिलेगा, मगर ऐसा हो नहीं पाया। इस पर उन्होंने अपने भाई को निर्दलीय मैदान में उतार दिया। स्वाभाविक है कि डॉ. बाहेती के कहने से ही रहीम खां बैठे हैं। असल में डॉ. बाहेती का अग्रवाल पर वरदहस्त है, उसी के चलते उन्होंने अपने शागिर्द मनवर खान को उनके भाई रहीम खां को बैठाने के लिए मना लिया है। बहरहाल, रहीम खां के बैठने से अग्रवाल को फायदा होना ही है। इसी से भाजपा प्रत्याशी मित्तल तनिक चिंतित हैं।
-तेजवानी गिरधर
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