नगर निगम चुनाव में वार्ड दो में एक ओर जहां शैलेश गुप्ता व मधुरिमा मिश्रा के चुनाव मैदान से हटने का फायदा कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी मनोज बैरवा को राहत मिली है, वहीं रेलिश बंसल के नाम वापस लेने से भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप हीरानंदानी को फायदा मिला है। ऐसे में कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधी टक्कर है।
असल में शैलेष गुप्ता कांग्रेस के काफी दमदार दावेदार माने जा रहे थे और उनका तर्क था कि जब वार्ड सामान्य हो गया है तो उन्हें मौका मिलना ही चाहिए, मगर कांग्रेस ने जीत का समीकरण मनोज बैरवा के पक्ष में माना। वे निवर्तमान पार्षद कमल बैरवा के छोटे भाई हैं। कमल बैरवा की स्वजातीय व अन्य पर अच्छी पकड़ है। हालांकि गुप्ता काफी गुस्से में हैं, मगर अब उनके मैदान में हट जाने से बैरवा ने राहत महसूस की है। इसी प्रकार मधुरिमा मिश्रा भी क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखती हैं, उनका हटना भी बैरवा को राहत दे रहा है। उधर भाजपा के प्रदीप हीरानंदानी को शहर भाजपा उपाध्यक्ष सतीश बंसल के पुत्र रेलिश बंसल के मैदान से हटने का सीधा फायदा होगा। ज्ञातव्य है कि बंसल शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के करीबी है। जाहिर तौर पर उनके कहने पर ही बंसल ने नाम वापस लिया है। बहरहाल, वार्ड भाजपा मानसिकता के भी काफी वोट हैं और संघ ने पूरी पकड़ बना रखी है, जिसके चलते प्रदीप अपने आप को मजबूत स्थिति में पाते हैं। मगर दिलचस्प बात ये है कि इस वार्ड में दोनों ही चेहरे राजनीति के लिहाज से नए हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
असल में शैलेष गुप्ता कांग्रेस के काफी दमदार दावेदार माने जा रहे थे और उनका तर्क था कि जब वार्ड सामान्य हो गया है तो उन्हें मौका मिलना ही चाहिए, मगर कांग्रेस ने जीत का समीकरण मनोज बैरवा के पक्ष में माना। वे निवर्तमान पार्षद कमल बैरवा के छोटे भाई हैं। कमल बैरवा की स्वजातीय व अन्य पर अच्छी पकड़ है। हालांकि गुप्ता काफी गुस्से में हैं, मगर अब उनके मैदान में हट जाने से बैरवा ने राहत महसूस की है। इसी प्रकार मधुरिमा मिश्रा भी क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखती हैं, उनका हटना भी बैरवा को राहत दे रहा है। उधर भाजपा के प्रदीप हीरानंदानी को शहर भाजपा उपाध्यक्ष सतीश बंसल के पुत्र रेलिश बंसल के मैदान से हटने का सीधा फायदा होगा। ज्ञातव्य है कि बंसल शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के करीबी है। जाहिर तौर पर उनके कहने पर ही बंसल ने नाम वापस लिया है। बहरहाल, वार्ड भाजपा मानसिकता के भी काफी वोट हैं और संघ ने पूरी पकड़ बना रखी है, जिसके चलते प्रदीप अपने आप को मजबूत स्थिति में पाते हैं। मगर दिलचस्प बात ये है कि इस वार्ड में दोनों ही चेहरे राजनीति के लिहाज से नए हैं।
-तेजवानी गिरधर
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