बुधवार, 5 अगस्त 2015

मेयर पद की दावेदार भारती श्रीवास्तव का टिकट कटा, निर्दलीय उतरी मैदान में

अजमेर नगर निगम चुनाव में मेयर पद की कथित दावेदार श्रीमती भारती श्रीवास्वत का टिकट पक्का था, जिसमें कोई शक-शुबहा का सवाल ही नहीं उठता था, मगर उनका टिकट कट गया। असल में उनके टिकट पर पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत ग्रहण बन कर आए। वे अपने चहेते विनीत जैन की पत्नी श्रीमती सलोनी जैन को टिकट दिलवाना चाहते थे। उन्होंने अजमेर में हुई कोर कमेटी की बैठक में उनका नाम भी रखा, मगर उनकी नहीं चली। इस पर उन्होंने जयपुर में प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को दुहाई दी कि आखिरकार वे पांच बार सांसद रहे हैं, क्या उनकी पसंद से एक भी टिकट नहीं मिलेगा, इस पर परनामी ने उनकी बात मान ली। और इस प्रकार भारती का टिकट कट गया। जाहिर तौर पर इससे भारती को तगड़ा झटका लगा। उन्होंने अपने समर्थकों के दबाव में निर्दलीय के रूप में नामांकन पत्र भर दिया। समझा जा सकता है कि जो नेता मेयर बनने की सपने देख रहा हो, उसका टिकट कटेगा तो उस पर क्या गुजरेगी। राजनीतिक हलकों में चर्चा थी कि मेयर को लेकर अगर झगड़ा बढ़ा तो ऐन वक्त पर शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी भारती का नाम आगे कर देंगे। कानाफूसी है कि खुद भारती के मुंह से भी मेयर पद की दावेदार होने की बात निकली बताई जाती है। खैर, अब जब कि वे निर्दलीय मैदान में आ गई हैं तो निश्चित रूप से अधिकृत प्रत्याशी श्रीमती सलोनी जैन के लिए बड़ी परेशानी होने वाली है। इसकी वजह ये है कि एक तो उनकी वार्ड पर अच्छी पकड़ हैं और साधन संपन्नता की दृष्टि से कम नहीं पडऩे वाली हैं। 

रमेश सेनानी का टिकट कटा, फिर जुड़ा

पूर्व पार्षद व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रमेश सेनानी का पक्का टिकट नामांकन भरने के दिन सुबह-सुबह कट गया तो वे भौंचक्के रह गए। वार्ड 57 में उनकी जगह किन्हीं हरीश सिंधी के नाम टिकट दे दिया गया। इस पर सेनानी ने अपने आका पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल को इसकी जानकारी दी और पूछा कि ये क्या हो गया? इस पर डॉ. जयपाल ने उनसे तसल्ली रखने और अपना नामांकन पत्र कांग्रेस से ही भरने को कहा। डा. जयपाल ने तुरंत प्रदेश हाईकमान से संपर्क साधा और कहा बताया कि ऐन वक्त पर ये कैसे कर दिया गया, जबकि इस वार्ड में सिंगल नेम पैनल था। हाईकमान को उनकी बात माननी पड़ी और तुरत फुरत में सेनानी के नाम सिंबल बनाया गया। तब जा कर सेनानी की सांस में सांस आई। मगर यह पता नहीं लग पाया कि हरीश सिंधी किस संपर्क सूत्र के माध्यम से सूची में नाम शामिल करवाने में कामयाब हो गए थे। 

राजू साहू उर्फ राजकुमार साहू को ही मिला टिकट

अजमेर नगर निगम चुनाव में आखिरी दौर में वार्ड आठ में राजू साहू उर्फ राजकुमार साहू को ही टिकट मिला। ज्ञातव्य है कि अपुन ने पहले ही लिख दिया था कि वार्ड आठ में भाजपा की नजर आखिरी दौर में राजू साहू पर पड़ गई है। हालांकि पूर्व में ऐसा माना जा रहा था कि रमेश सोनी के अतिरिक्त विमल पारलेखा, कमल बाफणा, अनिल नरवाल, गगन साहू, विजय साहू व लाल जी दावेदार हैं, मगर अचानक राजू साहू का नाम भी उभर आया। हुआ भी वही, जिसका अनुमान था।
इस मामले में अजमेर के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. सांवरलाल जाट को झटका लगा। असल में वे वार्ड आठ से विमल पारलेचा के पुत्र को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन देवनानी इसके लिए वे तैयार नहीं थे। दोनों की नाइत्तफाकी पहले से ही चल रही है। इस कारण देवनानी ने पैनल में एकमात्र नाम राजकुमार साहू का लिखा। हालांकि जाट ने पूरा जोर लगा दिया, मगर देवनानी की जिद के आगे प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी झुक गए। आखिरकार साहू टिकट लेने में कामयाब हो गए। 

शिवशंकर हेड़ा ने ऐन वक्त पर मना किया परचा भरने से

अजमेर नगर निगम के आसन्न चुनाव में शहर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने ऐन वक्त पर वार्ड 55 के लिए नामांकन पत्र भरने से इंकार कर दिया, नतीजतन इस वार्ड से घोषित अधिकृत उम्मीदवार मौजूदा पार्षद नीरज जैन का वार्ड बदलने से बच गया, अन्यथा उन्हें वार्ड 2 में शिफ्ट करना तय हो गया था। परिणामस्वरूप वार्ड 2 से घोषित अधिकृत उम्मीदवार प्रदीप हीरानंदानी का टिकट कटने बच गया।
हुआ असल में ये कि अचानक हाईकमान से संदेश आया कि हेड़ा को वार्ड 55 चुनाव लड़ाया जाए। ऐसे में शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के लिए संकट ये पैदा हो गया कि वे अपने चहेते नीरज जैन को कहां से लड़ाएं। ऐसे में तय ये किया गया कि वार्ड 2 के प्रत्याशी प्रदीप का टिकट काट दिया। वो गनीमत रही कि हेड़ा ने ऐन वक्त पर परचा भरने से मना ही कर दिया।