मंगलवार, 18 अगस्त 2015

चुनाव में षिक्षकों ने क्या गुल खिलाया

अजमेर नगर निगम चुनाव के दौरान हालांकि इस विषय पर कोई खास चर्चा नहीं रही, मगर बताया जाता है कि स्कूलों में षिक्षकों का कार्यसमय बढाए जाने से षिक्षक वर्ग षिक्षा राज्य मंत्री प्रो वासुदेव देवनानी से खासा नाराज रहा। हालांकि संगठित रूप से उसका विरोध कहीं चर्चा में नहीं रहा, मगर बताया जाता है कि षिक्षकों ने अंडरग्राउंड विषेष रूप से अजमेर उत्तर में भाजपा को नुकसान पहुंचाया है। वे अपने मकसद में कितने कामयाब रहे, इसका आकलन करना कठिन है, मगर यदि वाकई ऐसा हुआ है तो यह साइलेंट फीचर परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

क्या इस बार चुप रही आरएसएस

अजमेर नगर निगम चुनाव में आरएसएस के भाजपा के समर्थन में खुल कर काम न करने की जानकारी आ रही है। हालांकि पूर्व में यह माना जा रहा था हर बार की तरह इस बार भी आरएसएस पूरे जोष खरोष से मतदान करवाएगी, लेकिन मतदान के वक्त ऐसा कहीं नजर नहीं आया। बताया जाता है कि इस बार आरएसएस मुख्यालय ने कोई साफ निर्देष नहीं दिए। उसने अपने कार्यकर्ताओं से केवल इतना भर कहा कि अपने हिसाब देख लें। बताया जाता है कि ऐसा स्थानीय स्तर पर टिकट वितरण में हुई गडबडी के कारण किया गया। वार्ड चार में आरएसएस के जिम्मेदार पदाधिकारी ने अपने दायित्व से मुक्ति पा कर बागी के रूप में चुनाव लड लिया। हालांकि बताया ये जा रहा है कि संघ ने ही उनको अनुमति नहीं दी और यही कहा कि संघ खुद तय करता है कि किस कार्यकर्ता को राजनीतिक क्षेत्र में भेजना है। स्वयंसेवक अपने स्तर पर तय नहीं कर सकता कि वह राजनीति में जाएगा। बताते हैं कि संघ के कार्यकर्ता भाजपा के राजनेताओं की मनमानी की वजह से नाराज हैं। उन्हें लगा कि चुनाव के वक्त तो उनका उपयोग किया जाता है, मगर टिकट वितरण के दौरान कोई पूछ नहीं होती। समझा जाता है कि कई वार्डों में संघ की तटस्थता से भाजपा को नुकसान हो सकता है।