सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

मुस्तफा ने किया पलट कर भाजपा पर भी वार

कहते हैं न कि कोई अपनों को भले ही गालियां दे, मगर अगर गैर अपनों को गाली दें तो वह उसे बर्दाश्त नहीं होता। कुछ ऐसा ही वाकया नगर निगम के मनोनीत कांग्रेसी पार्षद सैयद गुलाम मुस्तफा चिश्ती ने पेश किया है। कल तक नगर निगम के मेयर कमल बाकोलिया के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले चिश्ती ने एक लिखित बयान जारी कर भाजपा पार्षद दल की बैठक पर सवाल खड़े किए हैं और उससे दोहरे चरित्र पर अपना नजरिया स्पष्ट करने को कहा है। उनका कहना है कि शहर भाजपा जनता के साथ धोखा कर गुमराह कर रही है। भाजपा पार्षद दल की बैठक में जिन मुद्दों पर नगर निगम की साधारण सभा में विरोध करना तय किया गया है, उन मुद्दों पर भाजपा पार्षद व उप महापौर अपनी सैद्धांतिक सहमति व्यक्त कर चुके हैं।
गुलाम मुस्तफा ने कहा कि भाजपा साधारण सभा निगम परिसर के अन्यत्र करने के मुद्दे पर धरना और मामला सदन में उठाने की घोषणा कर चुकी है, जबकि भाजपा पार्षद दल के मुख्य सचेतक भागीरथ जोशी व पार्षद नीरज जैन व भारती श्रीवास्तव फायसागर पार्क में सभा करने का सार्वजनिक समर्थन का ऐलान कर चुके हैं। इसी प्रकार महात्मा गांधी मार्ग का नाम बदलने के प्रस्ताव का गांधीजी के प्रति आस्था प्रकट कर विरोध करने वाली भाजपा का दोहरा चरित्र इससे भी साबित होता है कि उनके दल के उप महापौर अजित सिंह राठौड़ नाम बदलने का समर्थन कर चुके हैं। निगम के पूर्व महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने तो कचहरी रोड का नाम महात्मा गांधी मार्ग होने पर सवालिया निशान लगा दिया है कि निगम रिकार्ड उपलब्ध करवाएं कि इस मार्ग का नाम रिकार्ड में गांधीजी के नाम पर है या नहीं। यह भी तब जबकि वे खुद महापौर रह चुके हैं और रिकार्ड से बखूबी वाकिफ हैं। इससे उनकी गांधीजी के प्रति आस्था का पता चलता है।
गुलाम मुस्तफा का कहना है कि जहां विपक्ष मजबूत होता है, वहां सत्ता पक्ष संवेदनशील हो कर कार्य करता है। निगम में भाजपा निष्क्रिय है, यही कारण है कि भाजपा पार्षद ने अपने नेतृत्व पर अविश्वास व्यक्त कर मेरे द्वारा उठाई गए मुद्दों का समर्थन कर रहे हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण है कि मुख्य सचेतक के रूप में भागीरथ को नियुक्त करना।
उनका कहना है कि सुभाष उद्यान व फॉयसागर पार्क को बीओटी पर देने के प्रस्ताव पर भी भाजपा को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। वह अपनी बैठक में तय कर चुकी है कि सदन पटल पर बीओटी आधारित शर्तें रखनी चाहिए, इससे जाहिर होता है कि भाजपा पार्कों को सशर्त ठेके पर देने के समर्थन में है, जो कि जनता के पार्कों में घूमने के अधिकार पर कुठाराघात है।
बेशक गुलाम मुस्तफा की इन बातों में दम तो नजर आता है और मेयर बाकोलिया पर भी जो आरोप लगाए थे, उनमें भी दम था, मगर यकायक पलट कर भाजपा पर वार करने का राज समझ में नहीं आता। कहीं ऐसा तो नहीं कि उनके बाकोलिया पर वार करने को कांग्रेस विरोधी कृत्य माने जाने को डाइल्यूट करने के लिए भाजपा का रुख किया है। बहरहाल, जो कुछ हो, उनके सवालों का जवाब न तो कांग्रेस के पास है और न ही भाजपा के पास।
-तेजवानी गिरधर