गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

स्कूल का समय न बदलना सराहनीय


छात्राओं की सुविधा के अनुरूप समय नहीं बदलने पर भले ही चंद छात्राओं ने सावित्री स्कूल छोड़ दी हो, मगर इस सिलसिले में शिक्षा विभाग व स्कूल प्रबंधन की ओर से अपनाए गए रवैये की सर्वत्र सराहना हो रही है।
ज्ञातव्य है कि स्कूल का समय बदले जाने की मांग पूरी न होने पर सावित्री स्कूल की 11वीं कक्षा की 3 छात्राओं ने टीसी कटवा ली है, जबकि 5 और ने भी आवेदन कर दिया है। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी सुरेश चंद शर्मा ने दो टूक शब्दों में कहा है कि सुबह आठ बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक का समय नहीं किया जा सकता। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में एकल पारी स्कूलों का समय सुबह साढ़े 10 बजे से शाम साढ़े 4 बजे तक का है। छात्राएं स्कूल से जाना चाहती हैं तो वे जा सकती हैं, इसके लिए अभिभावक पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।
असल में छात्राओं ने कहा था कि पहले से ही ट्यूशन का समय चार बजे से कर रखा है, लेकिन अब वे साढ़े 4 बजे तो स्कूल से छूटती हैं तो वे ट्यूशन नहीं जा पाती हैं। उनके इस तर्क में कोई दम नहीं है। स्कूल की पढ़ाई के बाद ट्यूशन पर जाना छात्राओं का पूर्णत: निजी मामला है, उसकी वजह से पूरी स्कूल का समय बदले जाने की मांग गैर वाजिब है। इस प्रकार अगर चंद छात्राओं की सुविधा को देखते हुए स्कूलों के समय बदले जाने लगे तो पूरी व्यवस्था ही चौपट हो जाएगी। ऐसे तो हर स्कूल के छात्र और छात्राएं अपनी सुविधा के हिसाब से स्कूल का समय रखने की मांग करने लगेंगे। इतना ही नहीं एक ही स्कूल के कुछ छात्र कोई और समय पर स्कूल चलाने की मांग करेंगे तो कुछ छात्र कोई और समय पर स्कूल खोलने की मांग करने लगेंगे। उनकी मांग पर ध्यान दिया जाता है तो इससे न केवल पूरी व्यवस्था चौपट हो जाएगी, अपितु इससे अराजकता को भी बढ़ावा मिलेगा। कम से शिक्षण संस्थाओं में तो इस प्रकार की अराजकता बेहद घातक साबित हो सकती है। कुछ निहित स्वार्थों के चलते चंद तत्त्वों ने छात्रों की मांग को उनका अधिकार बताते हुए अराजकता फैलाने की कोशिश की थी। बताया तो यहां तक जाता है कि जिस ट्यूशन की आड़ ली जा रही है, वह स्कूल की ही कुछ शिक्षिकाओं की ओर से ली जाती है, जो कि अपनी सुविधा के लिए छात्राओं को भड़का रही हैं। हालांकि पिछले दिनों जब यकायक छात्राएं आंदोलित हुई तो उस वक्त हालात को देखते हुए प्रशासन को झुकना पड़ा, पर बाद में उसने सख्त रवैया अपना लिया, जो कि तारीफ ए काबिल है।
-तेजवानी गिरधर

अजमेर के भाजपा टिकटों में होगी सांसद यादव की भूमिका


भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व राज्यसभा सदस्य भूपेन्द्र यादव जिस प्रकार अजमेर से लगाव रख रहे हैं, उससे यह संदेश साफ जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर जिले के विधानसभा टिकटों में उनकी अहम भूमिका होगी। ज्ञातव्य है कि दिल्ली से भाजपा की सदस्यता होने के बाद भी उन्होंने अजमेर आ कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है, ताकि उन पर राजस्थान में बाहरी होने का ठप्पा न रहे। राजस्थान में भी उन्होंने अजमेर को उन्होंने इसलिए तरजीह दी है, क्योंकि अजमेर में उन्होंने अपना अध्ययन काल बिताया है।
सब जानते हैं कि जब भाजपा हाईकमान ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया था तो भरी बैठक में इस पर ऐतराज हुआ था कि वे बाहरी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दबाव से मामला दबा दिया गया। इसके बाद भी उन पर बाहरी होने का ठप्पा लग रहा था, सो उन्होंने यह बेहतर समझा कि भाजपा की प्राथमिक सदस्यता अजमेर से ही ले ली जाए। आपको याद होगा कि जीतने के बाद भी वे सबसे पहले अजमेर ही आए और उसके बाद भी आए दिन अजमेर आते रहते हैं। राज्यसभा सदस्य बनने के बाद वे काफी सक्रिय हैं और आए दिन राष्ट्रीय मसलों पर न्यूज चैनलों पर भाजपा की पैरवी करते नजर आते हैं। वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के काफी नजदीक भी हैं। समझा जाता है कि हाई कमान ने उन्हें विशेष रूप से अजमेर जिम्मेदारी दे रखी है। हालांकि विधानसभा टिकट वितरण के दौरान पैनल बनाने का काम निचले स्तर पर होगा, मगर जयपुर व दिल्ली में टिकट फाइनल करते वक्त उनकी राय अहम रहेगी। चतुर दावेदार उनकी भूमिका को अच्छी तरह से समझते हैं और उन्होंने अभी से उनसे लाइजनिंग रखना शुरू कर दिया है। यहां बताना प्रांसगिक ही होगा कि यहां उनके लंगोटिया यार भी मौजूद हैं, जिनमें से कुछ टिकट के दावेदार भी हैं।
-तेजवानी गिरधर