शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

जिला कलेक्टर गौरव गोयल को अजमेर रोकना होगा

यह सही है कि कोई भी बड़ा अधिकारी एक पद पर हद से हद दो साल और खींचतान कर तीन साल तक ही रहता है। आरएएस अधिकारी तो फिर भी एक ही शहर में भिन्न भिन्न पदों पर रह लेते हैं, मगर आईएएस ज्यादा दिन तक एक ही शहर में नहीं रहते। अजमेर के संदर्भ में बात करें तो जिला कलेक्टर गौरव गोयल भी कुछ समय बाद अन्यत्र स्थानांतरित हो जाएंगे। ऐसे में स्मार्ट सिटी अजमेर का क्या होगा, उसका भगवान ही मालिक है। बेशक अगला जो भी कलेक्टर होगा, वह भी काम ही करेगा, मगर काम काम में फर्क होता है। आपको याद होगा कि अजमेर में अब तक जो भी कलेक्टर रहे हैं, उनमें सर्वाधिक लोकप्रियता श्रीमती अदिति मेहता ने हासिल की। उनके बाद कई कलेक्टर आए, मगर गौरव गोयल ने अदिति मेहता की याद ताजा कर दी है। और उसकी एक मात्र वजह है उनकी ऊर्जा, स्वतंत्र कार्यशैली व सकारात्मक सोच। बड़ी मुद्दत बाद ऐसा कलेक्टर मिला है और वह भी अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के दौरान।
प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की नजर गौरव गोयल पर है। वे उन्हें किसी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए जयपुर ले जाना चाहती हैं। बताया तो ये भी जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी गोयल की कार्यशैली पसंद है। वे भी उन्हें दिल्ली ले जाना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो स्मार्ट सिटी का जो सपना हम देख रहे हैं, वह वैसा ही पूरा नहीं हो पाएगा, जैसा गोयल के यहां रहने पर होगा। ये तो हो नहीं सकता कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने तक गोयल यहां रहें, मगर एक बार उनकी देखरेख में ढांचागत कार्ययोजना पर गाइड लाइन तैयार हो जाए, बाद में भले ही अन्य अधिकारी उस पर अमल करें। असल बात तो ये है कि अजमेर का स्मार्ट सिटी की सूची मेें लाने का पूरा श्रेय ही गोयल को दिया जाना चाहिए। राजनीतिक लाभ के लिए भले ही भाजपा के जनप्रतिनिधि इस उपलब्धि को अपने खाते में गिनवाएं, मगर सच ये है कि गोयल से पहले जिन अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट पर काम किया, उन्हें ख्याल ही नहीं था कि इसका प्रजेंटेंशन कैसे तैयार किया जाना चाहिए। यही वजह रही कि उनकी सारी कवायद बेकार रही। जब गोयल ने इस पर काम किया, तब जा कर अजमेर सूची में शामिल हो पाया। आज भी स्थिति ये है कि स्मार्ट सिटी की आरंभिक गति का ताना बाना वे ही बुन रहे हैं। वे अजमेर के भौगोलिक व सामाजिक ढांचे को समझ चुके हैं और उनका सारा ध्यान यहां कि जरूरतों पर है। सबसे बड़ी बात ये है कि वे त्वरित निर्णय करते हैं और किसी के दबाव में नहीं आते। कदाचित उनकी इस कार्यशैली से स्थानीय जनप्रतिनिधि नाइत्तफाकी रखते हों, मगर उसकी बदौलत हमारा सपना साकार हो पाएगा। अब जब कि इस प्रकार की चर्चाएं हैं कि मुख्यमंत्री वसुंधरा किसी भी दिन उन्हें जयपुर ले जा सकती हैं तो जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे पूरी नजर रखें और गोयल को कुछ और समय के लिए अजमेर में रखने का दबाव बनाएं। हो सकता है कि गौयल की सख्त व स्वतंत्र कार्यशैली निजी तौर पर उनको रास न आती हो, मगर अजमेर हित इसी में है कि गौयल अभी अजमेर में ही रहें।
-तेजवानी गिरधर