बुधवार, 19 मार्च 2014

पिछली बार भी भाजपा असमंजस में थी, सचिन के सामने किसे उतारे?

पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा अजमेर में कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट के सामने अपने प्रत्याशी को लेकर पसोपेश में नजर आई। असल में भाजपाई ये सोच रहे थे कि प्रदेश कांग्रेस की कमान का जिम्मा होने के कारण सचिन पायलट चुनाव मैदान में नहीं आएंगे। उनकी ये भी सोच थी कि चूंकि अजमेर संसदीय क्षेत्र की सभी सीटों पर कांग्रेस बुरी तरह से हार गई है, इस कारण इस बार सचिन यहां से चुनाव लडऩे का साहस नहीं जुटा पाएंगे। इसी वजह से कई स्थानीय दावेदार उछल-उछल कर दावा कर रहे थे। मगर उनका अनुमान गलत निकला। सचिन फिर से धमक गए। जाहिर तौर पर सचिन की वजह से भाजपा खेमे में खलबली है। और इसी कारण भाजपा को प्रत्याशी तय करने में देरी हुई है। मजेदार बात ये है कि यह स्थिति तब है, जबकि भाजपा ने अजमेर संसदीय क्षेत्र की सभी सीटों पर कब्जा करके करीब दो लाख वोटों की बढ़त बना रखी है। यानि कि सचिन हो या कोई और, भाजपा का कोई भी उम्मीदवार जीत सकता है। मगर धरातल का सच ऐसा है नहीं। वरना सचिन के नाम की घोषणा से पहले और नहीं तो घोषणा के तुरंत बाद प्रत्याशी घोषित कर दिया जाता।
आपको याद होगा कि पिछली बार भी भाजपा को प्रत्याशी तलाशने में देरी हुई थी। उसे स्थानीय दावेदारों में दम नहीं लग रहा था, इस कारण भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्वरी को उतारा था। ज्ञातव्य है कि पिछली सबसे दमदार स्थानीय प्रत्याशी प्रो. सांवरलाल जाट थे, मगर पार्टी उन पर दाव नहीं खेल पाई। इस बार तो जाट राज्य सरकार में केबीनेट मंत्री बन चुके हैं, ऐसे में वे काहे हो अदद सांसद बनना चाहते। इसी कारण उन्होंने अपने बेटे रामस्वरूप लांबा को आगे कर दिया। यहां आपको बता दें कि अजमेर में जाटों के वोट दो लाख से भी ज्यादा हैं, इस कारण भाजपा को जाट प्रत्याशी ही ज्यादा सूट कर सकता है। इसी कारण राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष छोटू राम चौधरी का नाम चला, मगर उन्हें नागौर से प्रत्याशी बना दिया गया है। इसी क्रम में किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी, पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना व उनके ससुर सी. बी. गैना और अजमेर में कलेक्टर रह चुके महावीर सिंह का नाम सामने आया। पिछली बार जाट फैक्टर के तहत फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र की धर्मपत्नी फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी का भी नाम चर्चा में आया था। इस बार धर्मेन्द्र के पुत्र सन्नी देओल का नाम भी उछला।
कुल मिला कर प्रत्याशी घोषित होने से पहले तक भाजपाई यह समझ ही नहीं पा रहे कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मन में क्या है? कुछ का अनुमान रहा कि वे अपनी पुत्रवधू श्रीमती निहारिका को उतार सकती हैं। जो कुछ भी हो, आज-कल में भाजपा प्रत्याशी का नाम सामने आ ही जाएगा, मगर इतना तय है कि सचिन की वजह से भाजपा कुछ पसोपेश में जरूर पड़ी है।