गुरुवार, 2 मार्च 2017

चांद के ऐलान में बदलाव की नौबत आनी ही नहीं चाहिए

महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स के सिलसिले में चांद दिखाई देने के ऐलान में बदलाव को लेकर विवाद गहरा गया है। बदलाव से खफा लोगों द्वारा हिलाल कमेटी के सदस्यों के साथ बदसलूकी के विरोध में कमेटी सदस्य इस्तीफा देने पर आमादा हैं। दुनियाभर में सूफी मत की कदीमी दरगाह में हुआ यह वाकया अफसोसनाक है। दरगाह कमेटी व नाजिम को चाहिए कि वे इस मसले का तुरंत हल निकालें और ऐसे इंतजाम पर विचार करें कि आइंदा इस किस्म की बड़ी गलती न हो।
असल में चांद दिखाई देने का ऐलान करने के लिहाज से हिलाल कमेटी की खासी अहमियत है। उर्स के दौरान किसी दिन अथवा छठी में आने के लिए जायरीन हिलाल कमेटी की ओर से किए जाने वाले चांद के ऐलान के आधार पर ही कार्यक्रम तय करते हैं और ट्रेनों में रिजर्वेशन कराते हैं। इतना ही नहीं स्थानीय स्तर पर भी सारे इंतजामों की बुकिंग इसी आधार पर की जाती है। जाहिर सी बात है कि अगर यहां चांद दिखाई देने के ऐलान में बदलाव होतो है तो वह देशभर आने वाले जायरीन के लिए परेशानी का सबब है। हालांकि हिलाल कमेटी यूं तो सोच-समझ कर ही चांद दिखाई देने का ऐलान करती है, मगर इस बार गफलत हो गई। ये कैसे हुई, इसकी जांच होनी चाहिए।
गौरतलब है कि हिलाल कमेटी ने 27 फरवरी को हुई बैठक के बाद चांद नहीं दिखाई देने का ऐलान किया। इस हिसाब से 1 मार्च से ही जमादिउस्सानी महीने की एक तारीख मानी जाती। चूंकि इस तारीख की बड़ी अहमियत है, इस कारण इसकी खबर तुरंत देशभर में फैल गई। मगर बताया जाता है कि 28 फरवरी को हिलाल कमेटी के पास अहमदाबाद से खबर आई कि चांद 27 को ही दिखाई दे चुका है और चांद की पहली तारीख 28 को ही हो गई है। इसी को आधार बना कर हिलाल कमेटी के सदर मौलाना शब्बीर और कमेटी ने ऐलान कराया कि चांद रात 27 की ही हो गई और 28 को चांद की एक तारीख है। यानि कि ख्वाजा साहब की छठी 5 मार्च को और उर्स का झंडा 24 मार्च को चढ़ेगा। जाहिर तौर पर यह ऐलान होते ही खलबली मच गई। दरगाह से जुड़े कुछ लोगों ने शहर काजी और कमेटी सदस्यों के साथ कथित तौर पर बदसलूकी की।
इस सिलसिले में शहर काजी मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी का कहना है कि तकरीबन डेढ़ साल पहले अजमेर में देशभर के उलेमा काजियों के सम्मेलन में तय किया गया था कि खबर मुस्तफीज के आधार पर अजमेर से कहीं बाहर भी चांद दिखाई दिया और अजमेर में चांद नहीं दिखा, तब भी अजमेर में चांद दिखाई देना मान लिया जाएगा। इस खबर मुस्तफीज के आधार पर पहले भी अहमदाबाद से मिली शहादत के आधार पर अजमेर में चांद का ऐलान किया जा चुका है। इस बार हुआ तो लोगों ने विरोध कर दिया। सवाल उठना लाजिमी है कि अगर खबर मुस्तफीज की ही अहमियत है तो चांद के बारे में ऐलान पहले कैसे कर दिया गया। ऐसा करने से पहले कमेटी को पुख्ता हो जाना चाहिए था।
बहरहाल, ताजा हालात ये है कि हिलाल कमेटी के सदस्यों के साथ बदसलूकी के विरोध में कमेटी सदस्य कमेटी के मोहतमिम दरगाह नाजिम के छुट्टी से लौटने पर इस्तीफा देने का ऐलान कर चुके हैं। बेशक हिलाल कमेटी के सदस्यों के साथ हुई बदसलूकी गलत है, मगर उन्हें ये भी सोचना चाहिए कि इस प्रकार चांद की तारीख में बदलाव करने पर लाखों लोगों को कितनी परेशानी होती है और लोगों का गुस्सा होना लाजिमी है। हिलाल कमेटी के सदस्यों को भी सोचना चाहिए कि वे कितनी जिम्मेदारी वाली जगह पर बैठे हैं, जहां के ऐलान पर पूरे देश के जायरीन की नजर रहती है। अगर इस प्रकार चांद दिखाई देने में बदलाव की नौबत आती है तो फिर आइंदा लोग उनके पहले ऐलान पर कैसे ऐतबार करेंगे। बेहतर ये है कि दरगाह नाजिम कमेटी सदस्यों के साथ बैठ कर यह इंतजाम करें कि तारीख में बदलाव की नौबत ही न आए। इसके लिए कोई टाइम मुकर्रर करना चाहिए कि उसके बाद खबर मुस्तफीज को नहीं माना जाएगा, वरना ऐसा वाकया फिर मुकाबिल हो सकता है।
-तेजवानी गिरधर
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