शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

किसी बड़े खुलासे की उम्मीद थी मिसेज सिंह से

bhagwant pc 02छात्रा के साथ दुराचार के प्रयास के आरोपों से घिरे भगवंत यूनिवर्सिटी के चेयरमैन अनिल सिंह की पत्नी श्रीमती आशा सिंह ने जब पहली बार मीडिया से मुखातिब होने की सूचना दी तो सभी को लगा कि वे जरूर कोई बड़ा खुलासा करने वाली हैं, जिससे मामला यूटर्न ले लेगा, मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं। उन्होंने कमोबेश वे ही बातें रखीं, जो कि पहले भी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट रख चुका है। उन्होंने सफाई में वे ही बातें रखीं, जो कि आरोपी पक्ष से रखने की उम्मीद की जानी चाहिए।
उन्होंने छात्रा की फीस माफी के मसले पर यूनिवर्सिटी प्रशासन की वस्तुस्थिति रखी और छात्रा का साथ देने वाले पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल का नाम लिए बगैर सवाल उठाया कि उन्होंने अकेले इसी छात्रा की फीस माफी का प्रयास क्यों किया, मगर ये नहीं बता पाईं कि छात्रा का साथ देने की वजह आखिर है क्या? उन्होंने ये तो कहा कि एक लडकी को मोहरा बना कर चेयरमैन अनिल सिंह की प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करने का षड्यंत्र रचा और अजमेर पुलिस ने उन लोगों के दबाव में आकर झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया, मगर ये खुलासा नहीं किया कि आखिर इस षड्यंत्र की वजह क्या रही? आखिर सिंह से उनकी क्या दुश्मनी थी? कोई भी बेवजह क्यों किसी के खिलाफ षड्यंत्र रचेगा? श्रीमती सिंह ने लोकल गार्जियन पर भी आरोप लगाने को लेकर छात्रा को घेरने की कोशिश जरूर की, मगर उससे यह कहीं साबित नहीं हुआ कि छात्रा के व्यक्तित्व या चरित्र में क्या दोष है? कुल मिला कर श्रीमती सिंह की प्रेस कांफ्रेंस महज एक औपचारिकता ही रही, जिससे कोई बड़ा निष्कर्ष निकल कर नहीं आया।
बेशक, लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का हक है और श्रीमती सिंह ने उसका उपयोग किया, मगर फैसला को तो कोर्ट ही करेगा कि सिंह ने दुराचार की कोशिश की या नहीं? हां, इतना जरूर है कि श्रीमती सिंह के सामने आने से यह साफ हो गया है कि इस मामले में परिवार सिंह के पूरी तरह से साथ है। इसके अतिरिक्त उन्होंने जो तर्क दिए हैं, वे लगते भले ही दमदार हों, मगर इससे सिंह की छवि कितनी साफ होगी, कहा नहीं जा सकता।
आइये, देखते हैं श्रीमती सिंह की ओर संवाददाता सम्मेलन में जारी किया गया लिखित नोट:-
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