सोमवार, 16 दिसंबर 2013

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी पर चर्चा शुरू

एक ओर जहां यह अफवाह जोरों पर है कि अजमेर जिले की आठों विधानसभा सीटों पर भाजपा के कब्जे के बाद मौजूदा सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट अजमेर से दुबारा चुनाव लडऩे का मानस नहीं बना पाएंगे, वहीं भाजपा खेमे में सचिन को ही सामने रख कर नए दावेदारों पर चर्चा शुरू हो गई है।
वस्तुत: भाजपा के पास कई विकल्प हैं। सबसे दमदार विकल्प है किसी जाट को चुनाव मैदान में उतारना। इसकी एक मात्र वजह ये है कि परिसीमन के बाद इस संसदीय क्षेत्र में जाटों के वोट तकरीबन दो लाख माने जाते हैं। भाजपा खेमा यह मान कर चलता है कि जाट प्रत्याशी सचिन को टक्कर देने की स्थिति में हो सकता है। सोच ये है कि दो लाख जाट, दो लाख वैश्य, सवा लाख रावत, एक लाख सिंधी व एक लाख राजपूत मतदाता जाट प्रत्याशी को जितवा सकते हैं। हालांकि कांग्रेस की जाटों पर भी पकड़ है, मगर यदि भाजपा की ओर से जाट प्रत्याशी खड़ा होता है कि अधिसंख्य जाट मतदाता जाट की बेटी जाट को व जाट का वोट जाट को की कहावत चरितार्थ हो सकती है। यह मार्शल कौम कहलाती हैं, इस कारण इसका मतदान प्रतिशत ज्यादा ही रहता है। बहरहाल, इस संभावना के मद्देनजर कुछ रिटायर्ड जाट अधिकारी भाग्य आजमाने की सोच रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी. आर. चौधरी व अजमेर में कलेक्टर रह चुके महावीर सिंह का नाम सामने आ रहा है। यूं पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना के ससुर सी. बी. गैना का नाम भी चर्चा में है। एक और जाट सज्जन भी बताए जा रहे हैं, जिन्होंने वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के दौरान अहम भूमिका निभाई बताई।
भाजपा के पास दूसरा विकल्प है किसी वैश्य पर दाव लगाना। हालांकि पिछली बार वैश्य समुदाय से श्रीमती किरण माहेश्वरी को मैदान में उतारा गया, मगर वे कामयाब नहीं हो पाईं। इस सिलसिले में स्थानीय वैश्य दावेदारों का मानना है कि वे स्थानीयता के नाम पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। वैश्य दावेदारों में पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन व पूर्व शहर भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा के नाम शामिल हैं।
यूं अजमेर के पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत भी दावेदारी करने के मूड में नजर आते हैं। वे शहर भाजपा अध्यक्ष रहने की बजाय पुष्कर से विधानसभा चुनाव लडऩा चाहते थे, मगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया, शायद लोकसभा चुनाव में विचार करने का आश्वासन दे कर। असल में पिछली बार परिसीमन की वजह से अजमेर संसदीय क्षेत्र का रावत बहुल मगरा इलाका कट जाने पर उन पर पार्टी ने दाव खेलना मुनासिब नहीं समझा। मगर किरण माहेश्वरी के हारने के बाद यह धारणा बनी कि रावत को राजसमंद भेजना गलत निर्णय था। अब भी जिले में सवा लाख रावत माने जाते हैं, जिनके दम पर उन्हें उतारा जा सकता है। वे यहां पांच बार सांसद रहे हैं, इस कारण उनकी पकड़ अच्छी है। इसके अतिरिक्त उन्हें स्थानीयता व सहज उपलब्धता के लिहाज से भी कमजोर नहीं पड़ेंगे।
दावेदारों में एक नाम और भी चर्चा में है। वो है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पुत्रवधू व झालावाड़ के भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह की धर्म पत्नी श्रीमती निहारिका राजे। असल में यह चर्चा विधानसभा चुनाव से पूर्व इस कारण शुरू हुई है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र के अनेक भाजपा नेताओं से वसुंधरा राजे की ओर से बाकायदा बूथ वाइज आंकड़े मंगवाए जा रहे थे, इनमें जातीय समीकरण, प्रमुख कार्यकर्ताओं के नाम व उनके मोबाइल नंबर, विभिन्न जातियों के प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं के नाम-पते इत्यादि शामिल थे। तर्क ये दिया जा रहा था कि उन्होंने विधानसभा चुनाव के सर्वे के लिए यह फीडबैक लिया, मगर इतना विस्तृत फीडबैक और वह भी केवल अजमेर संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों का तो जरूर कुछ खास बात रही होगी। चर्चा ये थी कि उन्होंने श्रीमती निहारिका राजे के लिए यहां राजनीतिक जमीन की तलाश करवाई थी। इसके पीछे एक तर्क ये भी है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र में तकरीबन डेढ़ लाख गुर्जर मतदाता हैं और श्रीमती निहारिका भी गुर्जर समाज की बेटी हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित केन्द्रीय कंपनी राज्य मंत्री सचिन पायलट भी गुर्जर समुदाय से हैं। पिछले चुनाव में किरण माहेश्वरी के हार जाने के बाद भाजपा यहां सचिन के सामने एक सशक्त उम्मीदवार की तलाश में हैं और उसमें निहारिका फिट बैठती हैं। जहां तक जातीय समीकरण का सवाल है, कांग्रेस व भाजपा के अपने-अपने जातीय वोट बैंक हैं। उनमें अगर परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहने वाले गुर्जर समुदाय में सेंध मार ली जाती है तो एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
यूं पिछली बार दावेदार की चुके नगर निगम के पूर्व महापौर धर्मेन्द्र गहलोत, मगरा विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मदनसिंह रावत, युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा, अजमेर नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व केकड़ी प्रधान रिंकू कंवर आदि के भी दावा ठोकने के आसार हैं।
-तेजवानी गिरधर