शनिवार, 23 जुलाई 2016

गुबार निकालने का मौका दिया, ताकि ठंडे पड़ जाएं

कानाफूसी है कि सत्ता और संगठन में तालमेल की खातिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जो फीड बैक लेने की कवायद की है, वह कार्यकर्ताओं का गुबार निकालने को ही की गई है, ताकि वे अपना गुस्सा निकाल कर शांत हो जाएं।
असल में भाजपा आलाकमान अपने कार्यकर्ता का मिजाज बखूबी जानता है। उसे पता है कि उसके कार्यकर्ता को विरोध की कितनी बढिय़ा ट्रेनिंग दे रखी है। अब जब कि केन्द्र व राज्य दोनों जगह भाजपा की ही सरकार है और कुल मिला कर परफोरमेंस आशा के अनुरूप नहीं है तो कार्यकर्ता उबल ही रहा होगा। उसके साथ परेशानी ये है कि वो सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन भी नहीं कर सकता। कांग्रेस की सरकार होती तो अब तक आसमान सिर पर उठा लेता, मगर खुद की ही सरकार के खिलाफ बेचारा क्या बोले। और ये जो भीतर दम तोड़ती भड़ास है वह किसी दिन विस्फोट का रूप ले सकती है, लिहाजा उसे जानबूझ कर ऐसा मंच दिया गया ताकि वह अपनी भड़ास निकाल सके। भड़ास निकाल कर वह तनिक शांत हो जाएगा। उसे यही सुकून काफी राहत देगा कि उसने अमुक मंत्री-नेता के सामने खूब खरी खोटी सुनाई। उसके बाद कुछ हो या नहीं, मगर कम से कम भड़ास तो निकल गई। पार्टी के कर्ताधर्ता भी जानते हैं कि कार्यकर्ता रो धो कर बैठ जाएगा, लिहाजा बड़े ही संयम से उन्होंने कार्यकर्ता की बात सुनी और चिर परिचित अंदाज में आश्वासन भी दे दिया। इस कवायद का एक फायदा ये भी रहा कि कौन अनुशासित मूक बधिर और कौन ज्यादा उछल रहा है, ताकि उसी के अनुरूप आगे उसके साथ बर्ताव किया जाए। रहा सवाल मीडिया का तो उसे छापने का मसाला मिल गया। बाकी होना जाना क्या है, सब जानते हैं। होना वही ढ़ाक के तीन पात है।
-तेजवानी गिरधर
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