रविवार, 3 मार्च 2013

चुनाव में अहम भूमिका में होंगे भूपेन्द्र यादव

bhupendra yadavआगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के राज्यसभा सदस्य भूपेन्द्र सिंह यादव अहम भूमिका में आते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें संभावित रूप से प्रदेश प्रभारी बनाए जा रहे भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी का सहयोग करने का जिम्मा सौंपा जा सकता है। इस आशय के समाचार भाजपा मुख्यालय से छन कर मीडिया में आने लग गए हैं कि दोनों को जल्द ही जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। अजमेर में विशेष सक्रियता के चलते अपुन तो कोई छह माह पहले ही इसी कॉलम में लिख चुके हैं कि यादव की टिकट वितरण में अहम भूमिका होगी।
असल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यादव पिछले दो माह से राज्य में सक्रिय हैं। उनकी मुख्यमंत्री पद की दावेदार वसुंधरा राजे से भी कई बार मंत्रणा हो चुकी है। वे चुनाव में टिकट तय करने सहित विभिन्न मुद्दों पर अगले कुछ दिनों में राज्य के नेताओं के साथ बैठक करेंगे।
ज्ञातव्य है कि जब उन्हें राजस्थान में लॉंच किया गया तभी इस बात के आसार बन गए थे कि सोची समझी रणनीति के तहत यहां से राज्यसभा सदस्य बनाए जा रहे हैं। वसुंधरा के प्रभुत्व के चलते ही उनके बाहरी होने की आवाज को दबा दिया गया था। राजस्थान में बाहरी होने का ठप्पा न लगे, इसलिए दिल्ली से भाजपा की सदस्यता होने के बाद भी उन्होंने अजमेर आ कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण। राजस्थान में भी उन्होंने अजमेर को उन्होंने इसलिए तरजीह दी है, क्योंकि अजमेर में उन्होंने अपना अध्ययन काल बिताया है। आपको याद होगा कि जीतने के बाद भी वे सबसे पहले अजमेर ही आए और उसके बाद भी आए दिन अजमेर आते रहते हैं। राज्यसभा सदस्य बनने के बाद वे काफी सक्रिय हैं और आए दिन राष्ट्रीय मसलों पर न्यूज चैनलों पर भाजपा की पैरवी करते नजर आते हैं। वे शुरू से पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के काफी नजदीक रहे हैं, शायद इसी कारण उन्हें गडकरी के सहयोग के लिए तैनात किया जा रहा है। अब ये पक्का सा समझिये कि टिकट वितरण को लेकर जयपुर व दिल्ली होने वाली मशक्कत में वे अहम भूमिका निभाएंगे। अजमेर की बात करें तो यहां के कुछ चतुर दावेदारों ने तो उनकी भावी भूमिका को अच्छी तरह से समझते हुए काफी पहले से लाइजनिंग रखना शुरू कर दिया था। यहां बताना प्रांसगिक ही होगा कि यहां उनके लंगोटिया यार भी मौजूद हैं, जिनमें से कुछ टिकट के दावेदार भी हैं।
-तेजवानी गिरधर

रावतों की नजर पुष्कर सीट पर भी है?

election 2013पुष्कर स्थित रावत समाज के मंदिर में रावत महासभा राजस्थान की आमसभा में प्रदेश के 15 रावत बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों से टिकट की दावेदारी का फैसला करने के साथ हालांकि यह खुलासा नहीं किया गया है कि वे कौन सी सीटें हैं, मगर रावत बहुल पुष्कर में सभा आयोजित करने और रावत नेताओं के रुख से तो यही लगता है कि उनकी नजर पुष्कर पर तो है ही। रावत बहुल ब्यावर विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत के जरिए कब्जा पहले से है ही।
यहां उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में ब्यावर से टिकट मिलने के बावजूद ज्यादा टिकटों की मांग कर रहे रावतों ने भाजपा का रायता ढोल दिया थ। यहां तक कि भाजपा सांसद प्रो. रासासिंह रावत व मगरा विकास बोर्ड के अध्यक्ष मदनसिंह रावत भी अपनी पार्टी की लुटिया डूबते हुए देखते रहे, मगर कुछ कर नहीं पाए। अकेले रावतों की बगावत के कारण भाजपा को पुष्कर, नसीराबाद और मसूदा सीट से हाथ धोना पड़ा था। पुष्कर में भाजपा के बागी श्रवण सिंह रावत के मैदान में आ डटने के कारण भाजपा के भंवर सिंह पलाड़ा को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की नसीम अख्तर ने भाजपा के पलाड़ा को 6 हजार 534 मतों से हराया। नसीम को 42 हजार 881 व पलाड़ा को 36 हजार 347 वोट मिले। भाजपा के बागी श्रवणसिंह रावत को 27 हजार 612 वोट खा गए। अर्थात यदि श्रवण सिंह मैदान में नहीं होते तो पलाड़ा की जीत सुनिश्चित थी।
इसी प्रकार मसूदा में ग्यारसीलाल रावत के निर्दलीय रूप में मैदान में उतरने के कारण भाजपा के नवीन शर्मा हार गए थे। जरा परिणाम के आंकड़ों पर नजर डाल लीजिए। वहां निर्दलीय ब्रह्मदेव कुमावत ने कांग्रेस के रामचंद्र चौधरी को 7 हजार 655 मतों से हराया। कुमावत को 41 हजार 973 व चौधरी को 34 हजार 318 मत मिले। भाजपा के नवीन शर्मा को 31 हजार 80 मत मिले, जबकि निर्दलीय ग्यारसीलाल रावत ने 12 हजार 916 मतों का झटका दे दिया। अगर रावत मैदान में न होते तो कदाचित शर्मा जीत सकते थे।
अब नसीराबाद की बात कर लें। वहां कांग्रेस के महेन्द्र सिंह ने भाजपा के प्रो.सांवरलाल जाट को 71 मतों से पराजित किया। गुर्जर को 52 हजार 815 व जाट को 52 हजार 744 मत मिले। रावत समाज के शक्तिसिंह ने 6 हजार 535 वोट की सेंध मारी। अर्थात यदि शक्तिसिंह मैदान में नहीं होते तो प्रो. जाट आसानी से जीत सकते थे। वहां रावत समाज के फतवे की वजह से भाजपा के दोनो दिग्गज भाजपा नेता रासासिंह रावत व मदन सिंह रावत भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार तक नहीं कर पाए।
कुल मिला कर ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले चुनाव में जो झटका रावत समाज ने दिया, उसी के प्लेटफार्म पर खड़े हो कर अब फिर दावेदारी की हुंकार भरी जा रही है। समाज अजमेर जिले में कम से कम दो सीटों पर तो कब्जा करना चाहेगा ही। ऐसे में पहले से कब्जे वाली ब्यावर सीट पर टिकट की प्रबल दावेदारी तो होगी ही, पुष्कर पर भी वे दमदार तरीके से दावा करेंगे। समाज के तेवर कितने तीखे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महासभा के प्रदेश मंत्री एडवोकेट राजेन्द्र रावत ने खुल कर कहा कि बाहरी प्रत्याशियों व गत चुनावों में समाज के प्रत्याशियों का विरोध करने वाले समाज के लोगों को अगले चुनाव में प्रत्याशी के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। समझा जा सकता है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, माहौल और गरमाएगा।
-तेजवानी गिरधर

अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र


राजस्थान विधानसभा चुनाव की सरगरमी शुरू हो चुकी है। सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं। चुनाव में टिकट के दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं। यहां पेश है अजमेर उत्तर विधानसभा सीट की टिकट के दस प्रमुख भाजपाई दावेदारों का परिचय:-
प्रो. बी.पी. सारस्वत
BP SARASWATमहर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर में सेंटर फोर एन्थे्रप्रिनियरशिप एंड स्माल बिजनिस मैनेजमेंट के डायरेक्टर प्रो. बी. पी. सारस्वत उच्च शिक्षा जगत के साथ राजनीति में भी एक जाना-पहचाना नाम है। वे मूल्य आधारित विचारधारा के पोषक हैं और मूल्यों की रक्षा के कारण ही वर्तमान उठापटक की राजनीति में अप्रासंगिक से नजर आते हैं। नैतिक मूल्यों की रक्षा की खातिर ही उन्होंने भाजपा के शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष पद को त्याग दिया, हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय रहे हैं और पूर्व में ब्यावर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार रहे हैं। पिछली अशोक गहलोत सरकार के दौरान विहिप नेता प्रवीण भाई तोगडिय़ा के त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम के दौरान उनको सहयोग करने वालों में प्रमुख होने के कारण उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था।
उनका जन्म जिले के छोटे से गांव ब्रिक्चियावास में सन् 1960 में हुआ। विद्यार्थी काल से ही वे संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। वे सन् 1981 से 86 तक परिषद के विभाग प्रमुख रहे। वे सन् 1992 से 95 तक संघ के ब्यावर नगर कार्यवाह रहे। वे सन् 1997 से 2004 तक विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री रहे हैं। वे सन् 1986 से 97 तक राजस्थान यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के अनेक पदों पर और 2001 से 2003 तक अजमेर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। काम के प्रति निष्ठा की वजह ही उन्हें विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाती रही हैं। उनकी चौदह पुस्तकें और बीस पेपर्स प्रकाशित हो चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में सोलह विद्यार्थियों ने पीएचडी की है और नौ से अधिक विद्यार्थी कर रहे हैं। वे चीन, सिंगापुर, श्रीलंका व पाकिस्तान आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं।
धर्मेन्द्र गहलोत
dharmendra gahlotअजमेर नगर निगम के पहले महापौर रहे श्री धर्मेन्द्र गहलोत अपने जुझारू व्यक्तित्व के कारण अलग पहचान रखते हैं। उनका जन्म 29 मार्च 1966 को श्री पदमचंद गहलोत के घर हुआ। उन्होंने बी.कॉम. व एलएलबी की शिक्षा अर्जित की और वकालत को अपना पेशा बनाया। वे सन् 1999 में प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष रहे हैं। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सहमंत्री और ओ.बी.सी. प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री व जिलाध्यक्ष भी रहे। सन् 2000 से 2005 तक नगर परिषद के उप सभापति, 2005 से 2008 तक सभापति रहे। उन्हीं के कार्यकाल में अजमेर को नगर निगम का दर्जा मिला और उन्हें पहले महापौर बनने का गौरव हासिल हुआ। आपने निगम को कम्प्यूटराइज्ड बना कर शहर को एक नया आयाम दिया। सेंदरिया में राजस्थान बायोमेडिकल का निर्माण करवाया, जो कि वर्तमान में भी संचालित किया जा रहा है। राजस्थान में पहली बार ऐनर्जी सेविंग का कार्य भी आपके कार्यकाल में ही किया गया और जिसके कारण शहर की सुन्दरता में तो निखार आया ही साथ ही बिजली की भी बचत हुई। मिशन अनुपम के तहत चौराहों और सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया। ई गर्वनेंस लागू करवाने पर आपको राष्ट्रीय स्तर पर क्रिस्टल अवार्ड से नवाजा गया। आपके द्वारा कराए गए कार्यक्रमों में गरबे, रासलीला, कवि सम्मेलन, भजन संध्या, दशहरा महोत्सव, दीपदान, क्रिकेट प्रतियोगिता, सम्राट अशोक की सवारी, रोजा अफ्तार, मेघावी छात्र-छात्राओं, स्वयंसेवी संस्थाओं व वृद्धजनों आदि का आदि शामिल हैं। अजमेर जिला माली (सैनी) सामूहिक विवाह समिति के महामंत्री रहते हुए उन्होंने कई सम्मेलन आयोजित करवाए हैं। अजमेर जिला बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव भी रहे हैं। वर्तमान में भी शहर कार्यकारिणी के महामंत्री हैं।
धर्मेश जैन
Dharmesh Jainवरिष्ठ भाजपा नेता व नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष श्री धर्मेश जैन का जन्म श्री मांगीलाल पोड़वाल के घर 19 जून 1943 को हुआ। उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा अर्जित की है। आपने एक पंखे की दुकान से अपना व्यवसाय प्रारंभ किया। आप शुरू से ही मेहनती और जूझारू प्रवृत्ति के रहे और इसी की बदौलत आज अजमेर में मुख्य स्थानों पर उनका होटल और रेडीमेड कपड़े का एक्सक्लूजिव शोरूम हैं। आपने पार्टी में एक आम कार्यकर्ता से लेकर न्यास अध्यक्ष के पद तक का सफर तय किया। आप पार्टी से पिछले 49 साल से जुड़े हुए हैं। आप सन् 1972 में जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष, 1975 में लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष, 1980 में भा.ज.पा. के गठित होने पर आप अजमेर जिले के मंत्री, 1983 में महामंत्री, 1986 से लेकर 1998 तक उपाध्यक्ष, 1998 से 2001 तक न्यास के ट्रस्टी, 2000 में कोषाध्यक्ष, 2006 से 2008 तक आप अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे। न्यास अध्यक्ष पद रहते हुए पुष्कर घाटी पर सांझी छत और गौरव पथ उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं।  इसी प्रकार जैन समाज की संस्थाओं में भी अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। वर्तमान में श्री वर्धमान स्थाकवासी जैन श्रावक संघ के संघपति, होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष, ओसवाल जैन औषधालय के उपाध्यक्ष व इलैक्ट्रॉनिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष हैं। वे महावीर इंटरनेशनल के पूर्व अध्यक्ष और इंटरनेशनल गवर्निंग कौंसिल में भी रहे हैं। लायंस चेरिटेबल ट्रस्ट के भी अध्यक्ष रहे हैं। उनकी गिनती अजमेर लोकसभा क्षेत्र के टिकट के दावेदारों मे रही है।
हरीश झामनानी
Harish Jhamnaniअजमेर पश्चिम, जो कि अब अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र है, के पूर्व विधायक श्री हरीश झामनानी का जन्म 14 अप्रैल 1943 को सिंध-नवाबशाह, जो कि अब पाकिस्तान में है, में श्री झामनदास के घर हुआ। वे बाल्यकाल से ही आर.एस.एस. के स्वयं सेवक रहे हैं। आप आर.एस.एस. में 1959 में प्रथम वर्ष शिक्षित हुए। महानगर के शारीरिक प्रमुख व भाऊ प्रभुदास के साथ सहकार्यवाह भी बने। आपने कई कांग्रेस सरकार विरोधी और जनहित के आन्दोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1975 के आपातकाल समय में जेल में भी रहे। आंदोलनों के सिलसिले में तिहाड़ जेल के साथ-साथ कई अन्य जेलों में भी रहे। मधुर व्यवहार के कारण लोकप्रिय श्री झामनानी 1990 में अजमेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से एम.एल.ए. रहे। विधायककाल में उनकी सबसे बड़ी पहचान ये रही कि वे किसी भी उचित काम के लिए किसी को आनाकानी नहीं करते थे। आम लोगों के लिए उनके दारवाजे सदैव खुले रहते थे। वे सन् 1993 व 1998 में कांग्रेस के श्री किशन मोटवानी से हार गये। वे सन् 1995 में शहर जिला भाजपा अध्यक्ष भी बने। दो बार प्रदेश भाजपा कार्यकाणी के सदस्य भी रहे। इसके अतिरिक्त भाजपा के पुरुषार्थी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। व्यावसायिक दृष्टिकोण से साइकिल पार्ट्स व स्टील रेलिंग का कारोबार कर रहे हैं। आप व्यावसायिक गतिविधियों में भी अग्रणी रहे हैं और उसी की बदोलत सन् 1989 में अजमेर जिला लघु उद्योग संघ के जिला अध्यक्ष बने। वर्तमान में आप अजमेर शहर जिला भाजपा के उपाध्यक्ष के पद पर हैं।
डॉ. कमला गोखरू
kamala gokharuडॉ. (श्रीमती) कमला गोखरू (जैन) का जन्म 18 सितंबर 1954 को अजमेर के बिजयनगर कस्बे में हुआ। आपने एमबीबीएस, एमएस गायनोकॉलोजी, एआईसीजी, एफआईएससी की डिग्रियां हासिल की हैं और उदयपुर मेडिकल कॉलेज में गायनोकॉलोजी एंड ओब्स्टर्टिक्स में असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रोफेसर रही हैं। इससे पूर्व ब्यावर, मसूदा व पीसांगन में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं दी हैं। आपने तकरीबन तीस साल तक सेवाएं दी हैं। आपके पति जाने-माने हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र कुमार गोखरू जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कार्डियालॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एवं हैड हैं।आप सन् 2003 से भाजपा की सक्रिय सदस्य हैं। आप भाजपा चिकित्सक प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, अजमेर शहर जिला भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री, भारत विकास परिषद, अजमेर शाखा की अध्यक्ष रही हैं। एक बार नगर सुधार न्यास की ट्रस्टी भी रही हैं। आपने 150 से अधिक मेडिकल कैंपों का आयोजन किया है। आपकी स्वलिखित पुस्तकों में से स्वास्थ्य गांवों की ओर का श्रीमती वसुंधरा राजे ने विमोचन किया है। आपने अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के लगभग 38 शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। आप अजमेर जिला बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, जन अभाव अभियोग समिति, राजकीय महाविधालय विकास समिति, गवर्निंग काउंसिल ऑफ इंडियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलोजी, संत परमहंस लॉ कॉलेज, अजमेर की सदस्य भी रही हैं। फेडरेशन ऑफ आबस्टेट्रिक्स एंड गायनकोलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की उपाध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसियेशन, अजमेर व जैन मेडिकोस एसोसियेशन, अजमेर की उपाध्यक्ष, राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसियेशन, अजमेर की सह सचिव एवं कोषाध्यक्ष, राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर विश्वविद्यालय व विजयसिंह पथिक महाविद्यालय की कोषाध्यक्ष, इंडियन जनरल ऑफ कार्डियोलोजी की सह संपादक रही हैं। आपको राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन की ओर से चिकित्सा सेवा रत्न, जैन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से जैन रश्मि और राष्ट्रीय समता स्वतंत्र मंच की ओर से समरसता स्वर्णपदम अवार्ड सहित अनेक सम्मान हासिल हुए हैं। आपको जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अजमेर एल्युमिनी एसोसिएशन 1974 की ओर से लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड-गोल्ड मेडल हासिल हुआ है।
कंवल प्रकाश किशनानी
kanwalइंडिया मोटर्स चौराहे पर राहगीरों को बरबस आकृष्ट करते स्वामी कॉम्प्लैक्स और वहीं से संचालित स्वामी न्यूज चैनल ऐसे नाम हैं, जिनसे शायद ही कोई ऐसा शख्स हो, जो वाकिफ न हो। महानगरीय संस्कृति की ओर बढ़ते अजमेर के साथ अपनी हिस्सेदारी निभाते विशाल स्वामी कॉम्पलेक्स की भव्यता और भीतरी खुबसूरती, यकायक उस शख्स को जानने को उकसाती है, जिसकी कल्पनाशीलता ने यह नायाब तोहफा दिया है। उस शख्स का नाम है कंवल प्रकाश किशनानी, जो विविध आयामीय गतिविधियों में भागीदारी के कारण आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं।
भोपाल में 13 जनवरी 1968 को श्री तुलसीदास किशनानी और श्रीमती मेंघीबाई के घर-आंगन में जन्मे श्री कंवल प्रकाश ने बी.कॉम. तक शिक्षा अर्जित की है। उन्होंने सन् 1990 में शहर के पहले फास्ट फूड रेस्टोरेंट गणगोर फास्ट फूड की स्थापना की। इसके बाद सन् 1996 में जयपुर हाईवे पर स्वीट ड्रीम गार्डन रेस्टोरेंट शुरू किया। इसी साल जाने-माने ब्राह्मण घराने के पंडित आत्माराम जी व्यास व श्रीमती शांतिदेवी ने उन्हें गोद लिया। उन्होंने सन् दो हजार में स्वामी कॉम्पलैक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई व सन् 2003 में स्वामी न्यूज चैनल और स्वामी एंटरटेनमेंट पाक्षिक समाचार पत्र का शुभारंभ किया। पिछले दोनों विधानसभा चुनावों में उनकी टिकट की दावेदारी रही है, मगर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा के आग्रह पर पार्टी के लिए काम करना स्वीकार किया। लोकसभा चुनाव में उन्होंने अजमेर दक्षिण में भाजपा का मीडिया सेल संभाला। वर्तमान में शहर जिला भाजपा के प्रचार मंत्री पद रहते हुए उन्होंने पार्टी की गतिविधियों के प्रचार-प्रसार को नया आयाम दिया है। वे लियो क्लब इंटरनेशनल के सचिव, अध्यक्ष व संरक्षक रहे हैं। लॉयंस क्लब यूनिक के चार्टर चेयरमैन, लॉयंस इंटरनेशनल के जोन चेयरमैन व रीजनल चेयरमैन और लॉयंस इंटरनेशनल के लियो चेयरमैन का पदभार भी संभाला। लॉयंस क्लब यूनिक में रहते उन्होंने यूनिक ब्लड बैंक की स्थापना कर अजमेर में रक्तदान को एक आंदोलन का रूप दिया। वे गुरुनानक शिक्षण समिति के आजीवन सदस्य, सिंधी सेंट्रल पंचायत के उपाध्यक्ष, ओम सांई समिति के ट्रस्टी और ब्रेन ट्रस्ट सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं और सिंधी वैवाहिक समिति व झूलेलाल मेला समिति के संयोजक व मेला अध्यक्ष और संगीत महाविद्यालय के सचिव रहे हैं। वे प्रसिद्ध संत स्वामी श्री हिरदाराम जी महाराज के काफी करीब रहे हैं।
शिवशंकर हेड़ा
Shiv Shankar Hedaभाजपा के पूर्व शहर जिलाध्यक्ष श्री शिवशंकर हेड़ा अपने हंसमुख स्वभाव, मिलनसारता एवं कार्यशैली के कारण कार्यकर्ताओं एवं जनमानस में लोकप्रिय हैं। हेड़ा का जन्म 6 मई 1951 को श्री भगवती प्रसाद हेड़ा के घर अजमेर में हुआ। शिक्षा-दीक्षा नसीराबाद व अजमेर में हुई। आप ने सी.ए. का कोर्स नई दिल्ली के इंस्टीटयूट ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया से पूरा किया। आप पार्टी में बतौर कार्यकर्ता जुड़े और पार्टी में कई पदों पर आसीन रह कर पार्टी को मजबूती प्रदान करने का हरसंभव प्रयास किया। आपका परिवार 1952 में ही राजनीतिक दृष्टि से जनसंघ से जुड गया था तथा प्रथम विधानसभा चुनाव में आपके पिताजी स्व. श्री भगवती प्रसाद जी हेड़ा ने अजमेर जिले के तत्कालीन झड़वासा विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। आप पार्टी में 1967 से लगातार कार्यरत हैं। आप पार्टी में 1977 से 1980 तक जिला कार्यकारिणी सदस्य, 1981 से 1986 तक संयुक्त महामंत्री, 1987 से 1993 तक शहर जिला उपाध्यक्ष, 94 से 97 तक नगर सुधार न्यास के ट्रस्टी, 1999 से 2005 तक संघ के महानगर संघचालक, अगस्त 2006 से फरवरी 2011 तक शहर जिलाध्यक्ष और इसी दौरान 2006 से 2009 तक प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी रहे। इसके अलावा आप पाली जिले के संगठनात्मक चुनाव प्रभारी, अजमेर, नागौर और भीलवाड़ा जिलों के नगर पालिका/नगर परिषदों के चुनाव प्रभारी रहे। इस दौरान आपने पार्टी को अधिकतर स्थानों पर जीत दिलवाई। आप 1989 व 1991 में अजमेर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव संयोजक रहे। आप पार्टी के अलावा सामाजिक और व्यावसायिक संगठनों में भी सक्रिय रहे हैं। आप अजमेर माहेश्वरी मंडल के अध्यक्ष, माहेश्वरी शिक्षण संस्थान के फाउंडर ट्रस्टी, माहेश्वरी पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष और महामंत्री रहे। आप 1996-97 में अजमेर टैक्स बार एसोसिएषन के अध्यक्ष भी रहे।
सुरेन्द्रसिंह शेखावत
surender sakawatछात्र राजनीति से अजमेर नगर परिषद सभापति के पद तक पहुंच चुके श्री सुरेन्द्र सिंह शेखावत की पहचान एक युवा और ऊर्जावान नेता के रूप में है। लाला बन्ना के नाम से सुरपरिचित श्री शेखावत को 10 अप्रैल 2000 को नगर के प्रथम नागरिक का दायित्व संभालने का मौका मिला। इस पद पर वे 28 अगस्त दो हजार तक रहे और जनहित के अनेकानेक कार्य किए।
22 जून, 1965 को श्री बिरधीसिंह शेखावत के घर जन्मे लाला बन्ना ने बी.ए. एम.ए. ज्योग्राफी तक शिक्षा अर्जित की है। स्कूल व कॉलेज में अध्ययन के दौरान आपने अनेकानेक सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लिया। छात्र जीवन में अजमेर के इतिहास में पहली बार उन्हें स्वाधीनता दिवस पर बेस्ट स्टूडेनट ऑफ अजमेर का सम्मान हासिल हुआ था। नगर की विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े लाला बन्ना ट्रेवल्स का व्यवसाय करते हैं। छात्र राजनीति से ही भाजपा से जुड़े लाला बन्ना भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री हैं। अनेक बार पार्टी के जन आंदोलन में राज्य व राज्य से बाहर गिरफ्तारी दे चुके हैं। अजमेर नगर परिषद के भूतपूर्व सभापति स्वर्गीय वीर कुमार के आप बेहद करीबी रहे। आप राजकीय महाविद्यालय, अजमेर के उपाध्यक्ष, राजस्थान बास्केटबाल एसोसियेशन के अध्यक्ष रहे हैं। प्रताप फाउंडेशन से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। ऐसी जनचर्चा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनका टिकट लगभग फाइनल हो चुका था। इस बार भी वे एक प्रबल दावेदार के रूप में देखे जा रहे हैं। मीडिया फ्रेंडली श्री शेखावत की फैन फॉलोइंग काफी अधिक है।
तुलसी सोनी
Tulsi Soniसिंध प्रांत के ठारूशाह कस्बे, जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में है, में श्री रोचीरामजी ढूलानी के घर 25 अक्टूबर 1946 को जन्मे श्री तुलसी सोनी ने बी. कॉम. तक शिक्षा अर्जित की है। विभाजन के बाद उनका परिवार पहले मुम्बई आया। फिर वहां से 1950 में अजमेर आ गये और सोने-चांदी का व्यवसाय शुरू किया। आपके पिता जी सिंध से ही संघ के स्वंंयसेवक व क्रंातिकारी विचारो के थे। सिंध में भी पिताजी का बहुत बड़ा सोने-चादी का कारखाना था। वहीं पर भारत को आजाद कराने के आंदोलन में शामिल क्रांतिकारियों को उनके कारखाने में बम बनाने की की शिक्षा दी जाती थी। इस दौरान पिताजी की दो अंगुलियां बम फटने से क्षतिग्रस्त हो गई थीं। पिताजी ने 8 साल की आयु में संघ में जाने की प्रेरणा दी। आपने अपने कुछ मित्रों के साथ कुत्ताशाला, गंज में चन्द्रकुंड, जो कि राजस्थान की प्रथम शाखा है, में जाना प्रारम्भ किया। संघ में गटनायक, शिक्षक, मुख्य शिक्षक, कार्यवाहक और एक बार नगर का कार्यवाहक रहते हुए संघ शिक्षा शिविरों में भाग लिया। जनसंघ के कार्यकक्रमों में भाग लेते हुए चुनावों के दौरान भी काम किया। उनका पूरा परिवार संघमय व भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में है। उनके बड़े भाई श्री वीरू ढूलानी मुम्बई केमाहीम क्षेत्र के संघ में नगर कार्यवाह हैं। एक अन्य भाई जेठा ढूलानी थाना मुम्बई में भारतीय सिन्धू सभा के अध्यक्ष हैं।
जुझारू प्रवृत्ति के धनी श्री तुलसी सोनी सन् 1975 में आपातकाल के दौरान लगाई भूमिगत हो गए और अपने दायित्व का निर्वाह किया। संघ अधिकारियों की अनुमति पर 17 अप्रैल 1979 हो दस जनों के साथ गिरफ्तारी दी और अजमेर के कारागृह में मीसा में बंद रहे। जेल में अपने हकों की खातिर अनशन किया। 7 दिन बाद बंदी जीवन के हक मिलने पर अनशन तोड़ा। आपातकाल के बाद जनता पार्टी बनी, उसमें भी सक्रियता से काम किया। बाद में भाजपा में सक्रियता से भाग लिया। उन्हें 1997 से 2000 तक बंजरग मंडल अध्यक्ष, 2001 से 2005 तक शहर जिला उपाध्यक्ष व 2005 से 2011 तक भाजपा शहर जिला महामंत्री का दायित्व मिला। पिछले नगर निगम चुनाव में पार्टी में बगावत के कारण आपको हार का मुंह देखना पड़ा। आप सामाजिक संगठनों में भी सक्रिय हैं और श्री स्वर्णकार संघ व संत कंवरराम कॉलोनी के अध्यक्ष, आर्य समाज, स्वामी दयानंद निर्वाण स्थली के उपाध्यक्ष, खजाना गली व्यापारिक संघ के अध्यक्ष रहे है।
प्रो. वासुदेव देवनानी
Vasudev Devnaniपहले अजमेर पश्चिम और फिर अजमेर उत्तर सीट से लगातार दो बार विधानसभा चुनाव जीत कर भारतीय जनता पार्टी का परचम फहराने वाले प्रो. वासुदेव देवनानी का जन्म अजमेर में श्री भगवान दास के घर 11 जनवरी 1948 को हुआ। बी.ई. विद्युत की डिग्री अर्जित कर विद्या भवन पॉलीटेक्निक कॉलेज, उदयपुर से अपने शिक्षक जीवन की शुरुआत की। शिक्षक से प्राचार्य के सफर में उन्होंने अपने कार्यकाल में इस महाविद्यालय को उत्तर भारत के 178 पॉलिटेक्निक कॉलेजों में से सर्वोत्तम कॉलेज का गौरव दिलवाया।
विद्यार्थी जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ कर सामान्य कार्यकर्ता के रूप में अपना सफर शुरू करते हुए 2 साल तक प्रदेश मंत्री, 17 साल तक प्रदेश उपाध्यक्ष व 6 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रह कर कुशलतापूर्वक संगठन का संचालन किया। छात्र आंदोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। सामाजिक जीवन में रूरल डवलपमेंट एंड रिकन्सट्रक्शन एक्टिविटी (रुद्रा) के नाम से एक स्वयंसेवी संगठन का गठन कर ग्रामीण क्षेत्र में अनेक कार्य किए। बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े देवनानी ने पहली बार दिसंबर 2003 में अजमेर पश्चिम से भाजपा के बेनर पर विधायक बने और पहली बार ही शिक्षा राज्य मंत्री का पद हासिल कर लिया। जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में कैथ लैब स्थापित करवाने का श्रेय उनके खाते में दर्ज है। लगातार दूसरी बार चुने जाने के बाद वे धरातल पर काफी सक्रिय हैं और जनहित के हर मुद्दे पर जनता के बीच और विधानसभा में आवाज बुलंद करते रहते हैं। उन्होंने भारतीय सिंधु सभा, राष्ट्रीय चेतना जागरण परिषद, विश्व संवाद केन्द्र, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति एवं सिंधी भाषा विकास समिति सहित अनेक संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर रह कर कार्य किया है। वे प्रदेश भाजपा के पिछले चुनाव में सदस्यता अभियान के संयोजक भी रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर

शिवशंकर हेड़ा कर रहे हैं चुनाव की तैयारी

Shiv Shankar Hedaभाजपा के पूर्व शहर जिलाध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से चुनाव लडऩे की पूरी तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने सघन जनसंपर्क करना शुरू कर दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि उनका टिकट लगभग पक्का है। जमीनी स्तर पर उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की कितनी मांग है, इसके लिए वे प्रमुख भाजपा कार्यकर्ताओं व अन्य संस्थाओं से अपने पक्ष में हाईकमान के नाम सिफारिशी पत्र भी लिखवा रहे हैं। बेशक मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी भी सघन जनसंपर्क कर रहे हैं, ताकि टिकट मिलने के बाद ज्यादा मशक्कत न करनी पड़े, मगर उन्हें छोड़ कर संभवत: वे पहले दावेदार हैं, जो अभी से इतने सक्रिय हैं। उनकी सक्रियता की सारे भाजपाइयों में काफी चर्चा भी है। कई लोगों ने उन्हें समर्थन देने और टिकट मिलने पर तन-मन-धन से काम करने का वादा किया है, मगर समर्थन पत्र लिख कर देने में झिझक रहे हैं। वो इस कारण कि अगर अन्य दावेदारों को पता लगेगा तो वे नाराज हो जाएंगे। उनका एक सवाल ये भी है कि यदि टिकट पक्का ही है तो फिर समर्थन पत्र लिखवाने का जरूरत क्या है? इस सिलसिले में उनका तर्क ये है कि जब पार्टी स्तर पर भी पर्यवेक्षकों के सामने अपनी राय रखनी होती है तो अधिसंख्य कार्यकर्ता गोपनीयता चाहते हैं, ताकि किसी को पता न लगे कि किसने किसकी पैरवी की है। संभव है कि हेड़ा को हाईकमान के किसी पुख्ता सूत्र ने टिकट दिलवाने का आश्वासन दिया हो, साथ ही जमीन से समर्थन पत्र भिजवाने को कहा हो, इसी कारण वे समर्थन पत्र लिखवाने पर जोर दे रहे हों, ताकि उनका दावा और मजबूत हो जाए। जो कुछ भी हो, मगर उनकी इस सक्रियता से पार्टी में खलबली मची हुई है।
ज्ञातव्य है कि हेड़ा राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। 1952 में प्रथम विधानसभा चुनाव में उनके पिताजी स्व. श्री भगवती प्रसाद हेड़ा ने अजमेर जिले के तत्कालीन झड़वासा विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। हेड़ा स्वयं 1967 से पार्टी में सक्रिय हैं। 1977 से 1980 तक जिला कार्यकारिणी सदस्य, 1981 से 1986 तक संयुक्त महामंत्री, 1987 से 1993 तक शहर जिला उपाध्यक्ष, 94 से 97 तक नगर सुधार न्यास के ट्रस्टी, 1999 से 2005 तक संघ के महानगर संघचालक, अगस्त 2006 से फरवरी 2011 तक शहर जिलाध्यक्ष और इसी दौरान 2006 से 2009 तक प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी रहे हैं। 1989 व 1991 में अजमेर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव संयोजक रहे।
-तेजवानी गिरधर