शुक्रवार, 10 मई 2013

पाक जायरीन को लेकर अब भी असमंजस


पाकिस्तान को दी जायरीन को न भेजने की सलाह
एक ओर जहां ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स में आने वाले पाकिस्तानी जायरीन जत्थे की सुरक्षा सहित अन्य इंतजामात को युद्धस्तर पर पुख्ता किया जा रहा है, वहीं इस्लामाबाद से खबर है कि पाकिस्तान ने कहा है कि भारत ने उसे सलाह दी है कि सुरक्षा कारणों से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स के लिए अजमेर जाने वाले पाकिस्तानी जायरीनों की यात्रा को रद्द कर दिया जाए। अर्थात स्थानीय स्तर पर हो रहे जबरदस्त विरोध के चलते पाक जायरीन का आना अब भी संदिग्ध है।
ज्ञातव्य है कि पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की हत्या के बाद पूरे देश सहित अजमेर में पाकिस्तान के प्रति गुस्सा है। राष्ट्र रक्षा संकल्प समिति व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सहित अनेक संगठनों व भाजपा नेताओं ने पाक जायरीन के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। उन्हें व्यापारियों का भी सहयोग मिल रहा है। कुल मिला कर उन्होंने कड़ा विरोध करने के लिए कमर कस ली है। इसी सिलसिले में उन्हें मनाने के लिए जिला प्रशासन ने कवायद भी की, मगर वह कामयाब नहीं हो पाई। दूसरी ओर ऊपर के निर्देशों पर प्रशासन पाक जायरीन के आगमन की जरूरी तैयारियां भी कर रहा है। संभावना है कि गरीब नवाज के 801 वें उर्स में भाग लेने के लिए पाकिस्तानी जायरीन का जत्था 13 या 14 मई को अजमेर पहुंचेगा और 19 या 20 मई को प्रस्थान करेगा। पाक जायरीन को हर साल की तरह पुरानी मंडी मार्ग स्थित सेंट्रल गल्र्स स्कूल में ठहराया जाएगा। जिला प्रशासन की ओर से जायरीन की व्यवस्था के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। सेंट्रल गल्र्स स्कूल में रंग रोगन व सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। विभिन्न संगठनों के विरोध के बीच जिला कलेक्टर वैभव गालरिया व एसपी गौरव श्रीवास्तव ने दो टूक शब्दों में कहा है कि पाक जायरीन की विशेष सुरक्षा रहेगी। स्कूल से लेकर दरगाह जाने और आने तक हर पाक जायरीन को सुरक्षा घेरे में रखा जाएगा जिससे उन्हें कोई परेशानी न हो। जानकारी ये भी है कि पाक जायरीन की सुरक्षा के लिए दिल्ली से सुरक्षा बलों की अतिरिक्त कुमुक भेजी जा रही है।
दूसरी ओर इस्लामाबाद से खबर है कि पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उप-उच्चायुक्त गोपाल बागले ने यहां के विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशियाई मामलों के महानिदेशक के साथ मुलाकात के दौरान भारत की अनुशंसा से अवगत कराया। बयान के अनुसार बागले ने कहा कि हालिया द्विपक्षीय घटनाओं के मद्देनजर भारत में जो सुरक्षा माहौल बना है, उसकी वजह से भारत सरकार पाकिस्तानी जायरीनों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने की स्थिति में नहीं होगी। बयान में कहा गया है, भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार से सिफारिश की है कि जायरीनों के अजमेर दौरे को रद्द किया जाए। राजनयिक सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि भारतीय कैदी सरबजीत सिंह और पाकिस्तानी कैदी सनाउल्लाह रंजय की मौत के बाद उपजे तनाव के कारण भारत की ओर से यह अनुशंसा की गई है। पाकिस्तानी विदेश विभाग ने कहा कि अजमेर दौरे को लेकर धार्मिक मामलों के मंत्रालय को जरूरी सलाह दे दी गई है।
इस प्रकार विरोधाभासी समाचारों के चलते अब भी पाक जायरीन के आने को लेकर असमंजस बना हुआ है।
-तेजवानी गिरधर

संदेश यात्रा का विरोध करने वालों ने ही दिया निमंत्रण


शनिवार, 11 मई को अजमेर आ रही कांग्रेस संदेश यात्रा की तिथि और स्थान को लेकर विरोध करने वाले कांग्रेसियों का यकायक हृदय परिवर्तन कैसे हो गया, इसको लेकर सभी अचंभे में हैं। विरोध की पहल करने वालों की ओर से ही यात्रा के आगमन का संदेश देने के लिए वाहन रैली की पहल की गई तो अचंभा होना ही है।
ज्ञातव्य है कि विरोध की मुख्य भूमिका अदा कर रहे मनोनीत पार्षद सैयद गुलाम मुस्तफा ने 11 मई को अजमेर आने वाली कांग्रेस संदेश यात्रा और सुभाष उद्यान में आयोजित की जाने वाली आमसभा का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने यहां तक कहा कि ख्वाजा साहब के उर्स की व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की बजाए कांग्रेस संदेश यात्रा पर ध्यान दे रही है। उनका कहना था कि संदेश यात्रा 11 मई को अजमेर आएगी और इस मौके पर दरगाह व उसके आस-पास के मेला प्रभावित क्षेत्रों के व्यापारी, कांग्रेसी, अल्पसंख्यक समेत अन्य लोग संदेश यात्रा में सम्मिलित नहीं हो पाएंगे। इसके अलावा सुभाष उद्यान में आमसभा रखी गई है, जो जायरीन के लिए परेशानी का सबब बन जाएगी। उर्स में आने वाले जायरीन सुभाष उद्यान में विश्राम करते हैं और नगरीय सेवा से कायड़ व ट्रांसपोर्ट नगर विश्राम स्थली आने व जाने वाले जायरीन दरगाह जाने के लिए इसी स्थान पर उतरेंगे। इससे जायरीन को परेशानी होगी। उन्होंने संदेश यात्रा की तिथि बदलकर 11 मई से पूर्व या 20 मई के बाद करने की की मांग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ चंद्रभान से भी की।
इसी प्रकार गुलाम मुस्तफा सहित शहर कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश गर्ग, युवक कांग्रेस महासचिव विश्वास तंवर और युवक कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष अजीत सिंह छाबड़ा ने भी प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिख कर शिकायत की कि प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को बुलाए बिना जिस प्रकार संदेश यात्रा की तिथियां तय की गई हैं, वह कुलड़ी में गुड़ फोडऩे के समान है। पत्र में मांग की गई है कि उर्स के मद्देनजर संदेश यात्रा की तिथियों में परिवर्तन किया जाए। पत्र में लिखा था कि जन अभाव अभियोग निकराकरण समिति के अध्यक्ष मुमताज मसीह ने सर्किट हाऊस में सन्देश यात्रा को लेकर एक बैठक ली, जिसकी सूचना आम कांग्रेसजन को नहीं दी गई। यहां तक कि डी.सी.सी. सदस्यों को भी इससे वंचित रखा गया। भाजपा द्वारा सुराज यात्रा के लिए सामान्य व्यक्ति को भी पीले चावल तक बांटने की बात है और कांग्रेस में घर में ही बात नहीं की जा रही है। संदेश यात्रा के लिए संगठन प्रभारी सुशील शर्मा तथा सचिव सलीम भाटी सचिव को भी बैठक में सम्मिलित नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है। कृपया यह जानकारी देने का श्रम करावें कि क्या हमारे संगठन प्रभारियों की हिस्सेदारी एवं उनके अनुभव एवं कुछ वर्षों से दिये हुए समय के मध्य उन्हें नजरअंदाज किये जाकर उनके बगैर इतनी बड़ी संदेश यात्रा में उनकी भूमिका नगण्य रहेगी?
स्पष्ट है कि इन कांग्रेसी नेताओं का रुख काफी कड़ा था, मगर उनके विरोध को प्रदेश कांग्रेस ने नजरअंदाज कर दिया। ऐसे में इनके लिए असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। उन्हें समझ में आ गया कि संदेश यात्रा तो तय कार्यक्रम के हिसाब से ही आएगी, ऐसे में वे मुख्य धारा से कट जाएंगे। संभव है उन्हें ऊपर फटकार भी पड़ी हो कि इस प्रकार की हरकतों से कांग्रेस को नुकसान ही होगा। और हो गया उनका हृदय परिवर्तन। पलटे भी तो ऐसे कि शहर कांग्रेस कमेटी को नजरअंदाज कर अपने स्तर पर ही संदेश यात्रा में निमंत्रण देने के लिए वाहन रैली निकाली। बेशक रैली देखने लायक थी। यूं तो रैली के आयोजक डॉ. सुरेश गर्ग व गुलाम मुस्तफा ही थे, मगर इसमें शहर कांग्रेस महेन्द्र सिंह रलावता विरोधी पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व डॉ. राजकुमार जयपाल के पूरे धड़े ने शिरकत की। स्वाभाविक सी बात है कि वे भी मुख्य धारा से नहीं कटना चाहते थे। यह रैली कांग्रेस संगठन की ओर से आधिकारिक नहीं थी, इसका खुलासा स्वयं डॉ. गर्ग ने यह कह कर दिया कि रैली आम कांग्रेसजन की थी व आम कांग्रेसजन के सहयोग से ही आयोजित की गई।
हालांकि इस रैली का एक संदेश यह भी गया कि बाहेती और जयपाल ने धड़ेबाजी खत्म कर हाथ मिला लिया है और कांग्रेसी एकजुट हैं, मगर सच ये है कि इससे रलावता विरोधी धड़ा और ताकतवर व मुखर हो गया है। रलावता के लिए तो यह चिंता का विषय है ही, उससे भी ज्यादा परेशानी का सबब है अजमेर के प्रभावशाली सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट के लिए, जिनके दमखम के आगे बाहेती व जयपाल खेमे ने हथियार नहीं डाले हैं।
-तेजवानी गिरधर