बुधवार, 4 सितंबर 2013

अजमेर उत्तर को लेकर कांग्रेस व भाजपा उलझन में

आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर सीट को लेकर कांग्रेस व भाजपा, दोनों बड़ी उलझन में हैं। असल में दोनों ही दलों में दमदार गैर सिंधी दावेदार पूरा दबाव बनाए हुए हैं, मगर दोनों ही पार्टियों को समझ में नहीं आ रहा कि क्या गैर सिंधी को टिकट देने का रिस्क उठाया जाए या नहीं।
असल में यह स्थिति बनी है पिछले चुनाव परिणामों की वजह से। पिछली बार कांग्रेस ने गैर सिंधी को टिकट देने का प्रयोग आजादी के बाद पहली बार बड़े साहस के साथ किया, मगर वह नाकामयाब रहा। सिंधियों के लामबंद हो जाने के कारण कांग्रेस ने न केवल अजमेर उत्तर की सीट खोई, अपितु अजमेर दक्षिण में भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि कांग्रेस की हार में पूर्व उप मंत्री ललित भाटी का बागी हो कर मैदान में डटना था, मगर श्रीमती अनिता भदेल की जीत में मुख्य वजह सिंधी मतदाताओं के थोक वोट पडऩा रहा। आपको याद होगा कि लतित भाटी ने 15 हजार 610 वोट हासिल किए थे, जबकि अनिता भदेल ने कांग्रेस के डॉ. राजकुमार जयपाल को 19 हजार 306 मतों से पराजित किया था। कांग्रेस के लिए यह परिणाम एक सबक के समान था तो भाजपा के लिए नजीर के रूप में। बावजूद इसके इस बार अजमेर उत्तर में कांग्रेस व भाजपा के दमदार दावेदार पूरी ताकत लगाए हुए हैं। भाजपा में जहां नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत व पूर्व शहर जिला भाजपा अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने पूरी ताकत झोंक रखी हैं, वहीं कांग्रेस में शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता व पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती और साथ ही शहर युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुकेश कांकरिया भी ताल ठोकने में पीछे नहीं हैं। कांग्रेस आलाकमान समझ नहीं पा रहा कि वह फिर से किसी सिंधी को मैदान में उतारने की रिस्क उठाए अथवा नहीं। हालांकि मोटे तौर पर कांग्रेस ने तय कर लिया है कि वह किसी सिंधी को ही टिकट देगी, मगर गैर सिंधी दावेदार सिंधी दावेदारों पर भारी पड़ रहे हैं। रलावता पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का हाथ है तो डॉ. बाहेती पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का वरदहस्त। दिल्ली में बैठे अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट के निवास से आ रही हवाएं यही संकेत दे रही हैं कि वे अब भी किसी दमदार सिंधी की तलाश में है, जो उनकी लाज बचा सके।
बात अगर भाजपा की करें तो यूं तो मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी की दावेदारी नंबर वन पर है, मगर भाजपा का एक बड़ा धड़ा प्रदेश उपाध्यक्ष औंकार सिंह लखावत के नेतृत्व में उन्हें निपटाने की ठान चुका है। इसका सीधा फायदा शहर जिला भाजपा के प्रचार मंत्री कंवल प्रकाश किशनानी को होता दिखाई दे रहा है, जो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे की पूरी सुराज संकल्प यात्रा में उनके साथ लगे रहे। भाजपा हाईकमान सिंधी मतदाताओं की ताकत को अच्छी तरह से जानता है, बावजूद इसके पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत व शिव शंकर हेड़ा ताल ठोके हुए हैं। समझा जाता है कि वे दिल्ली तक भी टिकट का पीछा नहीं छोडऩे वाले हैं। रसूख में वे हैं भी दमदार। शेखावत के बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि वे पिछली बार टिकट फाइनल ही करवा चुके थे, मगर ऐन वक्त पर संघ के दबाव में देवनानी को टिकट देना पड़ा था। इस बार भाजपा को समझ में नहीं आ रहा कि वह दमदार गैर सिंधी दावेदारों की सुने या फिर किसी सिंधी पर ही हाथ रखे। असल में उसे पता है कि गैर सिंधी का प्रयोग करने पर उसकी अजमेर दक्षिण सीट को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। मौजूदा विधायक श्रीमती अनिता भदेल की भी यही मंशा बताई जा रही है कि वे अपनी जीत सुनिश्चित करवाने के लिए अजमेर उत्तर में किसी सिंधी को ही टिकट देने के पक्ष में हैं। सुना है कि इसी चक्कर में उनकी कभी निकटस्थ रहे शेखावत से कुछ नाइत्तफाकी होने लगी है। जाहिर तौर पर पूर्व में अनिता का साथ देने की ऐवज में शेखावत उनसे सहयोग की उम्मीद करते हैं, मगर अनिता के लिए पहला लक्ष्य अपना घर सुरक्षित करना है।
कुल मिला कर दोनों ही दलों में अजमेर उत्तर सीट को लेकर जबरदस्त खींचतान मची हुई है। देखते हैं दोनों इस गुत्थी को कैसे सुलझाते हैं।
-तेजवानी गिरधर