मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

सोनवाल क्या, दोषी तो एसपी मीणा भी नहीं हैं


लोकेश सोनवाल
लोकेश सोनवाल
अजमेर जिले में थानों से मंथली वसूली मामले में फरार चल रहे मुख्य आरोपी एएसपी लोकेश सोनवाल का कहना है कि एसीबी ने उसे झूठे मुकदमे में फंसाया है। अपने वकीलों जुगल किशोर भारद्वाज तथा भगवान सिंह चौहान के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के जरिए उन्होंने जो तर्क दिए हैं, उससे तो यही लगता है कि उनकी बातों में दम है। वे ही क्यों, कानाफूसी तो ये भी है कि एसपी राजेश मीणा भी दोषी नहीं हैं, उन्हें भी झूठा फंसाया गया है।
सोनवाल की ओर से प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि एसीबी ने एसपी राजेश मीणा के बंगले में सोफे पर बैठे एक प्राइवेट व्यक्ति रामदेव ठठेरा के पास गुलाबी थैली में 2 लाख 05 हजार रुपए, अष्टधातु की कुबेर व कछुए की मूर्ति और मिठाई का डिब्बा बरामद किया था। उसके बाद एसीबी ने जो एफआईआर दर्ज की उसमें उन्हें भी नामजद कर भ्रष्टाचार कानून की धाराओं के तहत मुकदमा कर लिया। मुकदमे का जो आधार बनाया गया है, वह ठठेरा द्वारा एसीबी अफसरों के सामने किए गए कबूलनामे व बयानों के आधार पर बनाया गया है, जबकि कानूनन पुलिस अफसर या एसीबी के समक्ष किसी मुल्जिम की स्वीकृति के आधार पर मुल्जिम बनाया जाना गलत है।
राजेश मीणा
राजेश मीणा
हालांकि उनकी इस अर्जी पर फैसला कोर्ट को ही करना है, मगर यदि उनके तर्कों को मोटे तौर पर सही माना जाए तो निलंबित एसपी राजेश मीणा भी दोषी नजर नहीं आते। कानाफूसी है कि क्या दलाल किस्म के किसी व्यक्ति के कबूलनामे के आधार पर एसपी को गिरफ्तार करना अच्छी बात है? उन्होंने कौन सा केमिकट से रंगे नोटों को हाथ में पकड़ा था? कोई व्यक्ति यदि अपने नोटों के साथ कोई बात करने आता है तो इससे यह तो साबित नहीं होता कि वह रिश्वत या मंथली ही ले कर आया था। जिस तरह ठठेरा के कहने मात्र से सोनवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, उसी तरह मीणा भी व्यर्थ ही गिरफ्तार कर लिए गए। यह वाकई नाइंसाफी है कि किसी प्राइवेट व्यक्ति के कहने मात्र पर इतनी बड़ी कार्यवाही कर दी गई। जब मीणा व सोनवाल अपने-अपने पदों पर थे, तब वे तो इस प्रकार किसी की शिकायत मात्र के आधार पर मुकदमा दर्ज नहीं किया करते थे। वे ही क्यों पूरा पुलिस महकमा इस तर्ज पर चलता है। किसी की शिकायत मात्र के आधार पर न तो किसी को थाने पर बैठाए रखा जाता है और न ही उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है। पर न जाने क्यों मीणा व सोनवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया? यह वाकई घोर नाइंसाफी है।
-तेजवानी गिरधर