मंगलवार, 12 मार्च 2013

बाकोलिया फोड़ रहे हैं देवनानी पर ठीकरा

k bakoliya 9-13.7.12देहली गेट पर व्यावसायिक भवन सीज करने की कार्यवाही हालांकि नगर निगम ही कर रहा है और बाकायदा आदेश भी जारी हो चुके हैं, मगर जैसे ही व्यापारियों ने विरोध जताते हुए कार्यवाही रोकने का दबाव बनाया तो निगम मेयर कमल बाकोलिया ने पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि निगम अपने स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा। विधानसभा में अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी द्वारा की गई मांग की वजह से ही नोटिस दिए जा रहे हैं। बाकोलिया की मंशा साफ है। एक ओर तो कार्यवाही कर रहे हैं व स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि नियमानुसार कार्यवाही होगी ही और दूसरी ओर इसके लिए जिम्मेदार देवनानी को ठहराना चाहते हैं, ताकि व्यापारियों को गुस्सा निगम की बजाय देवनानी पर फूटे। राजनीतिक लिहाज से भी बाकोलिया की यह सफाई चुतराई भरी है। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। अगर व्यापारियों की दुकानें सीज होती हैं और इसके लिए मूल रूप से देवनानी को जिम्मेदार ठहराने में कामयाब हो जाते हैं तो स्वाभाविक रूप से व्यापरियों का गुस्सा भाजपा पर निकलेगा।
वैसे एक बात है। बाकोलिया अच्छी तरह से जानते हैं कि दुकानों को सीज करने की कार्यवाही पूरी तरह से नियमानुसार है और उसके लिए दुकानदारों को बाकायदा दो-तीन नोटिस दिए जा चुके हैं, इस कारण कार्यवाही निरस्त तो हो नहीं सकती। निगम सीईओ वनिता श्रीवास्तव ने आदेश ही जारी कर दिए हैं। ऐसे में बाकोलिया केवल व्यापारियों को अपना पक्ष रखने देने के बहाने कार्यवाही को कुछ दिन के लिए टलवा सकते हैं।
सवाल ये उठता है कि बाकोलिया अगर कार्यवाही का ठीकरा देवनानी पर फोडऩा चाहते हैं, तो इसका मतलब ये है कि निगम की बला से तो भले ही अवैध दुकानें बनें, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। वो तो देवनानी ने विधानसभा में सवाल उठाया, इस कारण कार्यवाही हो रही है, वरना निगम तो मूक दर्शक बन कर ही देखता रहा। ऐसे में बाकोलिया का पार्षदों को यह सीख देना कितना बेमानी है कि आप ट्रस्टी हैं, मानसून में भवन गिरने की घटना होती रहती है, जिससे कभी दुखद हादसा घटित हो सकता है। व्यापारी छह इंच दीवार पर ही तीन-चार मंजिला भवन बना लेते हैं। शहर के सभी अवैध भवनों को वैध कर देंगे तो काम कैसे चलेगा?
जहां तक देवनानी का सवाल है, उन्होंने जब सवाल लगाया था, तब यह ख्याल नहीं रहा होगा कि दुकानदारों पर कार्यवाही हुई तो ठीकरा उनके ऊपर फूटेगा। राजनीति में ऐसा ही होता है। जनहित का काम करते समय जिनके हितों पर कुठाराघात होता है, वे तो खिलाफ हो ही जाते हों, भले ही वे गलत हों। और जिस जनता के हित की खातिर आवाज उठाई, वह भी अहसान चुकाते हुए साथ खड़ी रहे, कुछ पक्का नहीं। यानि कि नेता दोनों ओर से मारा गया।
-तेजवानी गिरधर