रविवार, 2 मार्च 2014

राणावत जी, भाजपा को महंगी न पड़ जाए बिजली पोल की रंगाई

प्रदेश में भाजपा सरकार के आते ही लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शहर को खूबसूरत दिखाने की कवायद में अजमेर विद्युत वितरण निगम की ओर से डेढ़ माह से की जा रही विद्युत पोलों की रंगाई कहीं भाजपा को महंगी न पड़ जाए। रंगाई के नाम से किए जा रहे पावर कट के कारण शहर वासी और व्यापारी बेहद परेशान हैं। शहर में किसी न किसी इलाके में रोजाना 2 से 5 घंटे बिजली बंद रखी जा रही है। बिजली के अभाव में व्यापार तो प्रभावित हो ही रहा है, इंटरनेट से संबंधित काम भी ठप हो जाता है। अब तो इसका विरोध भी मुखर होने लगा है। नला बाजार व्यापारिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुदर्शन जैन ने एसई को पत्र लिखकर लगातार हो रहे पावर कट का विरोध किया है। पत्र में बताया गया है कि नला बाजार में प्रतिदिन हजारों की तादाद में जायरीन आते-जाते हैं। मगर बिजली गुल रहने से भारी परेशानी हो रही है।
हालांकि निगम के इंजीनियरों का कहना है कि कई बार जिला प्रशासन के निर्देश पर तो कभी प्रतियोगी परीक्षाओं वाले दिन पावर कट नहीं किया गया और बारिश में भी पोल को पेंट किए जाने का काम नहीं किया जा सकता, इस कारण समय अधिक लग रहा है, मगर आम जनता को इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें तो बिजली चाहिए। बिजली के पोलों की रंगाई से आम मतदाता कितना खुश होगा, इसका तो पता नहीं, मगर रोजाना बिजली कटौती से जरूर मतदाता नाराज हो जाएगा, जिसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ जाएगा।
ज्ञातव्य है कि जनवरी महीने में एमडी बी. राणावत ने कार्यभार ग्रहण किया था। इसके बाद शहर में लगे बिजली के पोल और टावर पर रंग किए जाने के निर्देश जारी किए थे। इसी के तहत इंजीनियरों ने रंगाई-पुताई का काम शुरू किया था। डेढ़ महीने से रोजाना बिजली कटौती की जा रही है।
-तेजवानी गिरधर

रेणु जयपाल का तीसरा तबादला : मजाक बन गए स्थानांतरण

राज्य सरकार ने 34 आरएएस अधिकारियों के तबादले की जो नई सूची जारी की है, उसमें अजमेर विकास प्राधिकरण की सचिव रेणु जयपाल का नाम भी है। ये विडंबना है या मजाक कि चंद दिनों में ही उनका यह तीसरा तबादला है। इससे पूर्व हुए तबादलों में उन्हें आयुर्वेद विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर नियुक्त किया था। इसके बाद उनका तबादला एडीए अजमेर सचिव के पद पर किया गया। अब उन्हें वहां से भी हटाकर रजिस्ट्रार, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पद पर लगाया गया है। हालांकि ये पता नहीं लगा है कि यह उनकी इच्छा से हुआ है या फिर फुटबाल के रूप में, मगर इतना तय नजर आ रहा है कि सरकार के पास इच्छाशक्ति का अभाव है और वह अनेक दबावों के बीच रोज निर्णय बदल रही है। ज्ञातव्य है कि इसी प्रकार आरएएस अनुराग भार्गव का लगातार दो बार तबादला करने पर फेसबुक पर प्रतिक्रिया की थी कि वाट ए सिस्टम? मैं फुटबाल की तरह महसूस कर रहा हूं, जिसे यहां से वहां फेंका जा रहा है, पहले हर 4-5 महीनों में, अब तो यह दिन और घंटों की बात हो गई है।
बेशक मैच्योर अधिकारी रेणु जयपाल ने अपने तीसरे तबादले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है, मगर जिस ढंग से तबादले किए जा रहे हैं, उससे तो यही साबित होता है कि अधिकारी सरकार के लिए मोहरा मात्र हैं, जिन्हें जब चाहे, जहां चाहे रखा जा रहा है। ऐसे में ये तबादले एक मजाक ही नजर आते हैं।
ज्ञातव्य है कि सरकार इससे पहले लगातार दो सूचियां जारी कर चुकी है, जिनमें 454 और 94 अधिकारियों के नाम थे। दूसरी सूची में कई ऐसे अधिकारी भी थे, जिनका तबादला निरस्त कर उन्हें अन्य स्थानों पर लगाया गया था। स्वाभाविक रूप से तबादलों की इस कवायद में प्रशासनिक सुधार कम, तुष्टिकरण ज्यादा नजर आ रहा है।
-तेजवानी गिरधर