शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

धर्मेन्द्र गहलोत वार्ड 54 से भी कर सकते हैं दावेदारी

हालांकि अब तक की जानकारी के अनुसार अजमेर नगर निगम के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत अजमेर नगर निगम के वार्ड दो से ही चुनाव लडऩे के मूड में हैं और उनके पास वार्ड एक में भी उतरने का विकल्प है, मगर सुना है अब उन्होंने वार्ड 54 पर भी नजर टिका रखी है, जो कि ओबीसी के लिए आरक्षित है।
असल में गहलोत की पहली दावेदारी वार्ड दो की है। वे यहां निवास भी कर रहे हैं। उन्होंने यहां अपनी सक्रियता भी दर्शा दी है। मगर चूंकि यहां अनुसूचित जाति के पर्याप्त वोट हैं, इस कारण वार्ड एक का भी विकल्प खुला रखा है। वार्ड एक में भी थोड़ी दिक्कत ये है कि वहां भी मुस्लिमों के पर्याप्त वोट हैं। हालांकि इन दोनों वार्डों में कांग्रेस मानसिकता का वोट बैंक है, मगर फिर भी ये वार्ड भाजपा के लिए सुरक्षित ही हैं। इसकी वजह ये है कि भीतरी कॉलानियों में रहने वालों में भाजपा मानसिकता के लोगों की संख्या ज्यादा है। फिर भी वे कोई रिस्क लेना नहीं चाहेंगे। हालांकि वे चुनाव मैदान में तभी उतरेंगे, जबकि उन्हें संघ की ओर से पूरी तरह से आश्वस्त किया जाएगा कि वे ही मेयर पद के प्रथम दावेदार होंगे, मगर फिर भी वे उस वार्ड से ही चुनाव लड़ेंगे, जहां से जीत सुनिश्चित हो। इसके लिए उनकी नजर वार्ड 54 पर भी है, जो कि ओबीसी के लिए आरक्षित है। गहलोत ओबीसी से हैं भी। ज्ञातव्य है कि इस नए वार्ड में पूर्व के वार्ड 26 के काफी मतदाता हैं, जहां से अब तक नीरज जैन पार्षद हैं। जैन ने वार्ड में काफी काम करवाया है, जिसका गहलोत को लाभ भी मिल जाएगा। कहने की जरूरत नहीं है कि जैसे गहलोत शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के दाहिने हाथ हैं, ठीक उसी प्रकार जैन भी उनके बायें हाथ हैं। ऐसे में अगर गहलोत वार्ड 54 से दावा करते हैं तो जैन उनका सहयोग करेंगे ही। बहरहाल, देखते हैं गहलोत कौन सा वार्ड चुनते हैं, मेयर बनने के लिए।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

शैलेन्द्र अग्रवाल ने भी ठोकी वार्ड एक से दमदार दावेदारी

आगामी अगस्त माह में होने वाले नगर निगम चुनाव के लिए वार्ड एक से कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता शैलेन्द्र अग्रवाल ने भी दमदार दावेदारी ठोक दी है। ज्ञातव्य है कि यहां पहले ही युवा कांग्रेस नेता मनवर खान कायमखानी अपनी दावेदारी जता चुके हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि शैलेन्द्र अग्रवाल पुराने और पक्के कांग्रेसी हैं। लंबे समय से सक्रिय भी हैं। एक जमाना तो ऐसा था, जब अकेले अग्रवाल ही शहर में कांग्रेस को जिंदा रखे हुए थे। आपको याद होगा कि जब ब्लैकमेल कांड के कारण युवक कांग्रेस सुप्त प्राय: हो गई थी, तब मातृ संगठन शहर कांग्रेस से भी ज्यादा सेवादल सक्रिय था और उसका नेतृत्व अग्रवाल कर रहे थे। बाद में भी वे लगातार जिम्मेदारी के पदों पर रहते हुए सक्रिय हैं। शहर व प्रदेश के अधिसंख्य बड़े नेताओं से उनका सीधा परिचय है। उनकी आवाज हाईकमान तक सुनी भी जा सकती है। मगर उनके साथ एक दिक्कत ये बताई जा रही है कि वे इस इलाके से सीधे जुड़े हुए नहीं है। यूं पुराने नेता होने के कारण उनको सभी स्थानीय कांग्रेसी कार्यकर्ता जानते तो हैं, मगर वे किसी स्थानीय पर जोर दे सकते हैं। ज्ञातव्य है कि यहां से स्थानीय कांग्रेसी मनवर खान कायमखानी दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि वे अग्रवाल जितने वरिष्ठ तो नहीं, मगर इस इलाके में पिछले तकरीबन 25 साल से सक्रिय हैं। उनके पक्ष में एक पहलु से भी है कि इस वार्ड के कुल लगभग आठ हजार मतदाताओं में से एक हजार दो सौ अल्पसंख्यक मतदाता हैं। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस किसको तवज्जो देती है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000