शनिवार, 10 दिसंबर 2016

अपेक्षित पद नहीं मिल पाया शत्रुघ्न गौतम को

केकड़ी के भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम को अपेक्षित पद नहीं मिल पाया। वे सरकार के गठन के समय से ही मंत्री बनना चाहते थे। इसके पीछे तर्क ये था कि उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज रघु शर्मा को हराया। इसके अतिरिक्त ब्राह्मण लॉबी ने भी पूरी ताकत लगा दी। जैसे ही मंत्रीमंडल की विस्तार होने का मौका आया, उन्होंने एडी चोटी का जोर लगा दिया। अफवाह तो फैल भी गई कि उनको मंत्री बनाया जा रहा है। कानाफूसी है कि वे मंत्री बनने के करीब पहुंच भी चुके थे, मगर अजमेर जिले के दो मंत्रियों प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल में से किसी एक को हटाया नहीं जा सका, इस कारण संतुष्ट करने के लिए उन्हें संसदीय सचिव बना दिया गया। स्वाभाविक है कि वे पूर्णत: खुश नहीं होंगे, मगर राज्य मंत्री स्तर की सुविधाएं पा कर संतोष करना ही होगा।
बहरहाल, अजमेर जिले के सात भाजपा विधायकों में से चार राज्य मंत्री स्तर के हो गए हैं। जिले के लिए यह सुकून की बात है, मगर अफसोस   कि एक भी केबीनेट मंत्री नहीं। जो थे, यानि कि जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट, उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वा कर हटा दिया गया। कुछ समय केन्द्र में राज्य मंत्री रहे, मगर वहां से भी हटा दिया गया। अब राज्य में किसान आयोग के अध्यक्ष हैं, मगर वो रुतबा कहां, जो एक केबीनेट मंत्री का होता है।

श्रीचंद कृपलानी बाबत अफवाह सही निकली

जैसे ही राजस्थान मंत्रीमंडल के विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हुई, सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैली कि चित्तौड़ के विधायक श्रीचंद कृपलानी को मंत्री बनाया जा रहा है, मगर जानकार लोगों ने इसे सिरे से नकार दिया। कदाचित उनकी सोच यह रही कि अजमेर उत्तर के विधायक व शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी पर संघ का वरदहस्त है, इस कारण उन्हें हटाया नहीं जा पाएगा और सिंधी कोटे से दूसरा मंत्री बन नहीं सकेगा। यह सोच गलत साबित हुई।
हालांकि इस मामले में एक किंतु ये है कि देवनानी सिंधी कोटे के तहत अजमेर उत्तर से लड़वाए जाते हैं, चूंकि यहां सिंधी वोटों का बाहुल्य है, जबकि कृपलानी के साथ ऐसा नहीं है। चित्तौड़ में उनका सिंधी जातीय जनाधार कुछ खास नहीं है और वे पार्टी सिंबल व अपने बलबूते ही जीतते हैं। ज्ञातव्य है कि वे इस बार भाजपा सरकार के गठन के वक्त भी मंत्री पद के सशक्त दावेदार थे, मगर सिंधी कोटे में देवनानी का ही नंबर आया। बाद में उनको राजी करने के लिए चितौड़ नगर सुधार न्यास का अध्यक्ष बनाया गया, मगर उन्होंने यह पद स्वीकार नहीं किया और मंत्री बनने के लिए दबाव बनाए रखा। आखिरकार वे कामयाब हो गए। कामयाब भी ऐसे कि सीधे केबीनेट मंत्री बने। वो भी स्वायत्त शासन विभाग के, जो कि एक महत्वपूर्ण महकमा है। कुल मिला कर सिंधी समुदाय में वे देवनानी से ज्यादा ताकतवर हो गए हैं।

बड़ी चर्चा थी देवनानी व भदेल के हटने की

राजस्थान मंत्रीमंडल के विस्तार से पहले यह चर्चा खूब थी कि शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल को हटाया जा रहा है। इस बात के पक्ष में दलील ये दी जा रही थी कि किशनगढ़ के विधायक भागीरथ चौधरी व केकड़ी के विधायक शत्रुघ्न गौतम को जयपुर बुलाया गया है और उनको मंत्री पद से नवाजा जा रहा है। जैसे ही इलैक्ट्रॉनिक मीडिया पर मंत्रीमंडल विस्तार की खबरें आने लगीं, हर एक की नजर इसी चर्चा पर भी थी। जैसे ही श्रीचंद कृपलानी को मंत्री बनाए जाने की खबर आई, हर एक की जुबान पर था कि प्रो. देवनानी की छुट्टी पक्की, क्योंकि सिंधी कोटे से एक ही मंत्री होने का अनुमान था, मगर जल्द ही अफवाह झूठी साबित हो गई।
असल में अजमेर के दोनों मंत्रियों के हटने की चर्चा पिछले काफी दिन से चल रही थी। कई बार प्रिंट मीडिया में भी छपा। इसके पीछे दलील ये दी जा रही थी कि दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा होने का नुकसान भाजपा संगठन को हो रहा है। हालांकि साथ ही यह चर्चा भी थी कि प्रो. देवनानी को हटाना आसान काम नहीं है, क्योंकि वे संघ लॉबी में शीर्ष के नेता हैं। उधर श्रीमती भदेल में पक्ष में तर्क ये था कि वसुंधरा ने खुद की पसंद से उन्हें देवनानी को बैलेंस करने के लिए बनाया है, इस कारण उन्हें नहीं हटाया जाएगा। यदि एक हटा तो दूसरा भी हटेगा। मगर मंत्रीमंडल विस्तार के साथ ही यह साफ हो गया है कि अब वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।