सोमवार, 20 जुलाई 2015

प्रताप यादव फिर मैदान में उतरने को तैयार

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप यादव एक बार फिर नगर निगम का चुनाव लडऩे को तैयार हैं। जाहिर है कि वे टिकट का दावा तो करेंगे ही और उनको टिकट मिलने की पूरी उम्मीद भी है, साथ ही मतदाताओं से भी अभी से अपील कर रहे हैं। सोशल मीडिया में जारी अपने संदेश में उन्होंने अपने वार्ड 6 के वासियों से कहा है कि पिछले 30 वर्ष से आपका सहयोग लगातार मिलता आया है। एक बार फिर में आपकी सेवा में कांगे्रस के लिए वोट मांगने हाजिर हो रहा हूं।
ज्ञातव्य है कि यादव वर्तमान में शहर जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं और पिछले पांच विधानसभा चुनावों में अजमेर दक्षिण से टिकट मांगते रहे हैं। भले ही उन्हें टिकट नहीं मिला, मगर उन्होंने कभी कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा। वे स्वर्गीय श्री माणकचंद सोगानी के जमाने से कांग्रेस में जिम्मेदार पदों पर रहे हैं। 30 जुलाई, 1952 को जन्मे और उपाध्याय (संस्कृत) तक शिक्षा प्राप्त यादव 1970 से कांग्रेस में सक्रिय हैं। 1978 में जनता पार्टी शासन के दौरान स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी को जेल भेजने के विरोध में अपने 170 से ज्यादा साथियों के साथ 20 दिसम्बर 1978 से 29 दिसम्बर 1978 तक अजमेर जेल में रह चुके हैं। वे 2001 ये 2003 तक अजमेर नगर परिषद के निर्वाचित पार्षद रहे और कांग्रेस के पिछले शासन काल में मनोनीत पार्षद रहे। उनकी पत्नी श्रीमती तारा देवी यादव 1990 से 1995 व 2000 से 2005 तक अजमेर नगर परिषद के सामान्य निर्वाचन क्षेत्र से पार्षद रह चुकी हैं।
असल में वे अपने इलाके में जमीन से जुड़े हुए नेता रहे हैं। कांग्रेस में वरिष्ठ व जिम्मेदार पदों पर रहते हुए भी सदैव लो प्रोफाइल रहे हैं, इस कारण उनकी जमीन पर गहरी पकड़ है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

भाजपा में देवनानी विरोधी गुट फिर सक्रिय

पिछले दो विधानसभा चुनावों की तरह आसन्न निगम चुनाव में भी भाजपा का शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी विरोधी गुट सक्रिय हो गया है। हालांकि उसे दोनों बार अलग-अलग वजह से सफलता हासिल नहीं हुई, मगर उसे लगता है कि वार्ड स्तर पर हो रहे चुनाव में वह कामयाब हो जाएगा।
असल में देवनानी के पहली बार शिक्षा राज्य मंत्री बनने के साथ भाजपा का एक गुट उनके खिलाफ हो गया था, जिसमें सिंधी-गैर सिंधीवाद का पहलु भी काम कर रहा था। 2्र्र8 के विधानसभा चुनाव में तो चूंकि सिंधी समाज पूरी तरह से लामबंद हो गया था, इस कारण देवनानी की नैया पार लग गई, हालांकि उस वक्त कुछ जोर आया और वे कम अंतर से ही जीत पाए। फिर 2013 के विधानसभा चुनाव में देवनानी विरोधी गुट ने उन्हें टिकट न मिलने में पूरा जोर लगा दिया, मगर उसे कामयाबी हासिल नहीं हुई, चूंकि मोटे तौर पर सिटिंग एमएलए को ही टिकट देने का फैसला हुआ। जब टिकट में रोड़ा नहीं डाल पाए तो उन्हें हराने की पूरी तैयारी की गई। विरोधी गुट ने बाकायदा वार्ड वार निपटाने की तैयारी की। दूसरी ओर देवनानी ने भी उसी के अनुरूप रणनीति तैयार की। लग रहा था कि विरोधी गुट की वजह से देवनानी को जीतने में दिक्कत आएगी या फिर वोटों का अंतर कम रहेगा, मगर मोदी लहर चलने के कारण सारे अनुमान धराशायी हो गए। देवनानी बंपर वोटों से जीत गए। उनके मंत्री बनने के बाद तो विरोधियों के मुंह बिलकुल ही बंद हो गए। मगर अब जबकि एक बार फिर चुनाव सामने हैं तो विरोधी गुट फिर सक्रिय हो गया है। जाहिर सी बात है कि विभिन्न वार्डों में देवनानी ने जिन कार्यकर्ताओं के सहयोग से चुनाव जीता, वे उन्हें ही टिकट देना चाहेंगे, मगर विरोधी गुट के कार्यकर्ता भी बराबर की दावेदारी करते नजर रहे हैं। यदि उन्हें टिकट नहीं मिला तो अधिकृत प्रत्याशी को निपटाने में जुट सकते हैं। यानि कि देवनानी को टिकट वितरण में तनिक परेशानी पेश आएगी। देवनानी को एक दिक्कत ये भी आ सकती है कि हर वार्ड में जिन प्रमुख कार्यकर्ताओं का उन्होंने सहयोग लिया, वे सभी दावेदारी करेंगे। हर एक कहेगा, मैने ज्यादा काम किया था। उनमें से किसी एक का चयन करना कितना कठिन होगा, ये समझा जा सकता है। यानि कि टिकट से वंचित कार्यकर्ताओं को कहीं और समायोजित करने का गणित बैठाना होगा।
यहां ये समझा जा सकता है कि देवनानी विरोधी गुट को हवा देने में कुछ बड़े नेताओं का भी हाथ होगा ही।
बहरहाल, भाजपा में वार्ड स्तर पर होने वाली ये खींचतान पार्टी के लिए भी दिक्कत पैदा कर सकती है। असल में विधानसभा चुनाव में विरोधियों के निष्क्रिय रहने अथवा भीतरघात करने का असर मोदी लहर ने धो दिया, मगर अब तो मोदी है नहीं। केन्द्र व राज्य सरकारों का परफोरमेंस भी कुछ खास नहीं है। ऐसे में यदि पार्टी में गुटबाजी कायम रही तो अधिकृत प्रत्याशियों को जीतने में पसीने छूट जाएंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

बलराम हरलानी पर है पत्नी को लड़ाने का दबाव

भाजपा नेता व अजमेर होलसेल अनाज मंडी समिति के सदस्य बलराम हरलानी पर उनके निजी समर्थक व पार्टी के कुछ कार्यकर्ता दबाव बना रहे हैं कि वे वार्ड 50 से अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारें। असल में पहले यह मानस था कि अगर वार्ड सामान्य हुआ तो बलराम को लड़ाया जा सकता है, मगर आरक्षण के बाद वार्ड महिला के आरक्षित हो जाने के बाद उनकी पत्नी के लिए जोर दे रहे हैं। हालांकि टिकट किसे देना है, ये पार्टी ही तय करेगी, मगर उनके समर्थक बलराम को मनाने में लगे हैं कि वे अपनी पत्नी की दावेदारी पेश करें। पता लगा है कि बलराम दावेदारी पेश करने के फिलहाल मूड में नहीं हैं। वे पहले समझना चाहते हैं कि यहां से चुनाव लडऩे पर जीत की कितनी संभावना है। यदि वे सुनिश्चित होंगे कि जीत सकते हैं तभी इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे। वे अपनी ओर से दावेदारी की इच्छा जताने के मूड में भी नहीं हैं। यदि समर्थकों ने ज्यादा जोर दिया तो हो सकता है मान भी जाएं।
प्रसंगवश आपको बता दें कि बलराम शहर की प्रतिष्ठित फर्म दुर्गा ऑयल मिल के मालिक हैं और उनकी गिनती पड़ाव के प्रतिष्ठित व्यवसाइयों में होती है। वे अजमेर होलसेल अनाज मंडी समिति के 2007 से 2012 तक उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त शहर भाजपा पुरुषार्थी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व बैंकिंग प्रकोष्ठ के संयोजक भी रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000