सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

ट्रेन का ठहराव पायलट ने करवाया या सेठ ने


दिगंबर जैन समाज के प्रमुख तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर के नजदीकी रेलवे स्टेशन पारसनाथ पर सियालदाह टेन का ठहराव शुरू हो चुका है। जैन समाज के लोगों के लिए यह अच्छी खबर है। मगर इस खबर पर अजमेर में जो हलचल हुई, उससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि ट्रेन का यह ठहराव केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सचिन पायलट ने करवाया है या फिर रेलवे के अजमेर मंडल डीआरएम मनोज सेठ ने।
हुआ यूंकि जैसे ही ट्रेन के ठहराव की सूचना आई जैन समाज के उत्साही व उभरते नेताओं ने, जो कि कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हुए हैं, पायलट का कागजी आभार यानी अखबारों में विज्ञप्ति देकर आभार जताया, जबकि डीआएम मनोज सेठ का माल्यार्पण कर एवं साफा पहना कर आभार जताया। अगर कोई अधिकारी अच्छा काम करता है तो उसका अभिनंदन करने में कोई हर्ज नहीं है, मगर सवाल ये उठता है कि जब डीआरएम मनोज सेठ अजमेर मंडल के अधिकारी हैं, तो झारखंड प्रदेश में किस अधिकार से टे्रन का ठहराव करवा सकते हैं? स्वाभाविक सी बात है कि ठहराव पायलट ने ही करवाया है, मगर अजमेर के कुछ नेताओं में मिजाजपुर्सी की आदत है तो वह भला कैसे छूट पाएगी। उन्हें जैसे ही मौका मिला, पहुंच गए सेठ का अभिनंदन करने। जानकारी के अनुसार सेठ का अभिनंदन करने वालों में कमल गंगवाल और उनकी गिनी-चुनी टीम ही शामिल थी। ज्ञातव्य है कि गंगवाल रेलवे स्टेशन सलाहकार समिति के सदस्य है। खुद उनकी यह पीड़ा रही है कि समिति के सदस्यों की अधिकारी सुनवाई नहीं करते, तो झारखंड के पारसनाथ स्टेशन पर इस टे्रन का ठहराव इनके कहने या मांग करने पर सेठ ने कैसे कर दिया? आपको यह भी बता दें कि जिन नेताओं ने डीआरएम का स्वागत किया है, उन्हें टेन के ठहराव की सूचना रेलवे ने अपने स्तर पर नहीं दी, बल्कि वहां गए कुछ यात्रियों की जानकारी के बाद डीआरएम मनोज सेठ का अभिनंदन किया गया। जानकारी के अनुसार समिति के कुछ अन्य सदस्य भी सेठ को खुश करने के लिए उनका अभिनंदन करने गए थे, मगर उन्होंने यह ध्यान नहीं रखा कि उसकी खबर अखबारों को देते, जबकि गंगवाल एंड टीम ने बाकायदा अखबारों में खबरें प्रकाशित करवाई।
-तेजवानी गिरधर