शनिवार, 19 मई 2012

यानि कि मेयर से ज्यादा पावरफुल हैं राजस्व निरीक्षक वर्मा

 ईश्वर वर्मा
मेयर कमल बाकोलिया और कुछ कांग्रेसी पार्षदों की शिकायत पर हालांकि राजस्व निरीक्षक ईश्वर वर्मा का तबादला बाड़मेर नगरपालिका में राजस्व निरीक्षक पद पर कर दिया गया, मगर चौबीस घंटे में ही ईश्वर वर्मा आदेश को रद्द करवा कर अजमेर आ गए। हालांकि वर्मा को पुराने पद पर नहीं रख कर मुख्यालय उपनिदेशक स्वायत्त शासन विभाग कार्यालय में रखा गया है, लेकिन इससे यह तो साबित हो ही गया है कि वे काफी पावरफुल हैं। दिलचस्प बात ये है कि स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने कांग्रेसी पार्षदों की तबादला आदेश निरस्त न करने की मांग को कोई तवज्जो नहीं दी। अब स्थिति ये है कि खिसियाए कांग्रेसी पार्षद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चादर के साथ अजमेर आने वाले नेताओं के सामने प्रदर्शन करेंगे।
मेयर कमल बाकोलिया भले इसे स्वीकार न करें कि राजस्व निरीक्षक ईश्वर वर्मा का तबादला उन्होंने करवाया है, मगर निगम सीईओ सी आर मीणा के बयान से यह साफ हो गया है कि मेयर व सीईओ के बीच विवाद की वजह से ही वर्मा का तबादला हुआ। खुद मीणा से इसे स्वीकार करते हुए कहा है कि उनके और मेयर के बीच चल रहे विवाद का खामियाजा वर्मा को भुगतना पड़ा। असल में जैसे ही वर्मा का तबादला हुआ, उन्होंने अपने संगठन राजस्थान नगरपालिका कर्मचारी फैडरेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र सारस्वत से संपर्क साधा। सारस्वत ने तबादले को गलत बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी दी। इस सिलसिले में कर्मचारी नेता धारीवाल से मिले भी। इस पर दबाव में आ कर धारीवाल ने तबादला आदेश निरस्त करते हुए उसमें संशोधन कर दिया। वर्मा को अजमेर में ही रखते हुए उपनिदेशक कार्यालय में भेज दिया। हालांकि दूसरी ओर कांग्रेस पार्षदों ने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को संयुक्त हस्ताक्षर युक्त पत्र भेज कर मांग की थी कि वर्मा के भ्रष्ट आचरण को देखते हुए उन्हें दुबारा निगम या अजमेर में पोस्टिंग नहीं दी जाए, लेकिन धारीवाल ने उनकी पहली मांग तो पूरी कर दी, मगर अजमेर में न रखने की मांग को उड़ा दिया। अब धारीवाल के पास कहने को ये है कि मेयर व पार्षदों की मांग पर वर्मा को अजमेर नगर निगम से हटा दिया गया है। रहा सवाल उपनिदेशक कार्यालय में लगाने का तो उस पर उन्हें ऐतराज करने का अधिकार नहीं है।
जहां तक विवाद का सवाल है, बताया जाता है कि कुछ पार्षदों ने निगम प्रशासन पर शहर में बढ़ते अवैध निर्माणों की अनदेखी और कार्रवाई नहीं होने के आरोप लगाए थे। इस पर मेयर बाकोलिया ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी सी आर मीणा से रिपोर्ट मांगी थी। कदाचित इसी को लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया। खुद राजस्व निरीक्षक वर्मा ने भी इसका खुलासा करते हुए कहा है कि उन्हें मेयर और सीईओ की लड़ाई का खामियाजा भुगतना पड़ा। सीईओ सबसे बड़े अधिकारी हैं, उनके आदेश की पालना करनी ही पड़ती है और मेयर के आदेशों की पालना भी करते रहे हैं। इसके बावजूद मेयर नाराज हैं। यहां यह बताना प्रासंगिक ही होगा कि वर्मा अजमेर वर्षों रहे हैं। उन्होंने अब न जाने कितने अफसरों के साथ तालमेल रखा है। इसके अतिरिक्त कर्मचारी संगठन से भी जुड़े हुए हैं। उनकी इसी पावर के चक्कर में मेयर की प्रतिष्ठा पर आंच आ गई।
ज्ञातव्य है कि वर्मा के साथ आयुक्त महेन्द्र सिंह टेलर का भी तबादला किया गया, मगर उन्हें एपीओ कर मुख्यालय अजमेर में ही रख दिया गया था। उन्हें पहले से पता लग गया था कि उनका तबादला होने वाला है, इस कारण एक बैठक में शामिल होने के सिलसिले में फाइल पर लिख दिया कि उनका तबादला होने वाला है, लिहाजा दूसरे अफसर को भेज दिया जाए। उन्हें अफसोस है तो ये कि अजमेर में उनका तबादला किसी की सिफारिश से नहीं हुआ था। तीन माह में अचानक तबादला होने का कोई कारण नजर उन्हें नहीं आ रहा है।

-तेजवानी गिरधर
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