रविवार, 4 नवंबर 2012

समित शर्मा जी, इसलिए हुआ आपकी शानदार योजना का कचरा


राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. समित शर्मा ने बीते दिन जब मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का निरीक्षण किया तो उन्हें पता लग गया कि जिस आदर्श योजना के कारण उनकी देशभर में सराहना हो रही है, धरातल पर उसकी स्थिति क्या है? कहीं डॉक्टर गायब तो कहीं दवाइयों के स्टॉक में गड़बड़ी। जेएलएन के एक काउंटर दवाई थी तो दूसरे पर नहीं होने के नाम पर मरीजों को लौटाया जा रहा था। कहीं दवाई होते हुए भी नहीं देना तो कहीं दवाइयों को बेचे जाने की शिकायतें। कल्पना की जा सकती है कि जब संभाग मुख्यालय के सबसे बड़े अस्पताल की हालत ये है, जहां कि अधिकारियों, नेताओं व मीडिया की नजर है, वहीं ये हाल है तो कस्बों व गांवों में क्या हालत होगी? हालांकि उन्होंने संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए हैं, मगर होना जाना क्या है, सब जानते हैं।
असल में जब यह योजना लागू की गई थी तब ही इसके क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठाए गए थे। बेशक योजना ऐसी है, जो कि वाकई आम जनता के लिए बेहद उपयोगी है, साथ ही सरकार को भी वाहवाही दिला सकती है, मगर ऐसा हुआ नहीं। वजह साफ है कि जो चुनौतियां थीं, उनसे निपटने पर न तो ठीक से विचार हुआ और न ही योजना को धरातल पर लागू कर ढ़ांचे में कोई सुधार किया गया। डॉ. शर्मा तो कलेक्टर तक रह चुके हैं और अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे यहां किस किस्म और प्रवृत्ति का स्टाफ है। उन्हें योजना लागू करने के साथ ही उस पर सख्त निगरानी का विशेष सेल कायम करना चाहिए था। उसी सड़े-गले सिस्टम के भरोसे ही योजना लागू कर दी गई। नतीजा ये है कि जिस अत्यंत लोककल्याणकारी योजना के कारण गहलोत सरकार को ख्याति मिलनी चाहिए थी, उसी के कारण आम आदमी की गालियां पड़ रही हैं।
हालांकि ऐसा नहीं है कि पूरा सिस्टम ही सड़ा हुआ है या इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, मगर चूंकि सिस्टम में कई खामियां हैं और अनेक मरीजों को पूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही, उन्हें धक्के खाने पड़ रहे हैं, इस कारण वे मुफ्त में मिल रही दवाइयों पर दुआ देने की बजाय गालियां दे रहे हैं। योजना के ठीक से क्रियान्वयन पर ध्यान न देने और सुपरविजन सख्त न होने के कारण एक भलीचंगी योजना का कचरा हो गया है। अब तो स्थिति ये है कि स्वयं समित शर्मा कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का लाभ आमजन को तब ही मिलेगा जब डॉक्टर्स गंभीर होंगे। यानि कि स्पष्ट है कि कहीं न कहीं उन्हें डॉक्टरों की लापरवाही पकड़ में आ गई है। इस योजना की परफोरमेंस की हालत ये है कि हर जगह भ्रष्टाचार की तलाश करने वाले योजना के जनक डॉ. समित शर्मा के बारे में बिना सबूत के कुछ भी कहे जा रहे हैं। अगर योजना ठीक से लागू होती तो इस प्रकार की बातें करना आसान नहीं होता।
कुल मिला कर संतोष करने लायक बात ये है कि राजस्थान में यह योजना अलबत्ता ठीकठाक चल रही है, जबकि अन्य प्रदेशों में तो कई विवादों में पड़ जाने से सरकार को बंद करनी पड़ी थी।
-तेजवानी गिरधर