शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

भरत सिंह की बात दूर तलक जाएगी

संभाग मुख्यालयों पर जिला परिषदों में आईएएस अधिकारियों की तैनाती व ग्राम पंचायतों में निविदा प्रक्रिया पर मुंह खोल कर विवाद में फंसे प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह का मामला दूर तक जाता दिखाई देता है। हालांकि शुरुआत जिला सरपंच संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने लंबा-चौड़ा बयान जारी कर की थी, लेकिन अब जिले के कांग्रेसी विधायकों ने भी ठान ली है कि वे भरत सिंह का पीछा नहीं छोड़ेंगे। हालांकि विधायक डॉ. रघु शर्मा व श्रीमती नसीम अख्तर के हवाले से शिकायत करने की खबरें भी शाया हुई हैं, मगर जानकारी मिली है कि मामला इतने तक रुकने वाला नहीं है। जानकारी मिली है कि जिले के सभी कांग्रेसी विधायकों का जमीर जगा कर उन्हें लामबंद किया जा रहा है और सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सी. पी. जोशी से मिल कर शिकायत दर्ज करवाने की योजना बनाई जा रही है। जाहिर है मामला शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल तक भी गया होगा। वे कौन से छोडऩे वाले हैं?
यहां उल्लेखनीय है कि भरतसिंह ने जो बयान दिया था, वह चंद दिन पहले अजमेर आ कर निर्देश दे गए शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के ठीक खिलाफ था। इतना ही नहीं वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दी गई व्यवस्था की मुखालफत भी जाहिर कर रहा था। दो मंत्रियों के इस प्रकार एक ही जगह पर आ कर परस्पर विरोधी बयानबाजी करने से सरकार की कितनी किरकिरी हुई, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।
बहरहाल, कांग्रेसी विधायकों की मुहिम क्या रंग लाती है, यह तो वक्त ही बताएगा।
यानि मुफ्त में बदनाम हो गई सुरजीत कपूर
जगत में बदनाम करने के बाद जा कर एडवोकेट दिनेश राठौड़ को ख्याल आया है कि जिस सुरजीत कपूर के साथ उसके बेहतरीन संबंध थे, उसे उसने लोगों के भडक़ाने पर मुफ्त ही बदनाम कर दिया है। उल्लेखनीय है कि राठौड़ ने आत्महत्या की कोशिश कर अपने सुसाइड नोट में इसके लिए सुरजीत को जिम्मेदार बताया था। उसने तब साफ कहा था कि उसने सुरजीत के साथ खोड़ा गणेश में शादी की थी। इतना ही नहीं यह आरोप तक लगाया था कि सुरजीत के एक पुलिस अफसर के साथ अवैध संबंध थे। उनके इन आरोपों की वजह से न केवल वे खुद गिरफ्तार हुए, अपितु सुरजीत को भी गिरफ्तार होना पड़ा। बाद में दोनों जमानत पर रिहा हो गए। यानि सुरजीत केवल बदनाम ही नहीं हुई, बल्कि पुलिस केस में भी फंसी। इतना ही नहीं, उन्होंने शहर महिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद तक खो दिया। माल भी गया और माजना भी गया। अब जा कर राठौड़ ने पलटी खाई है और सुरजीत के परिवार वालों और प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय लक्ष्मी विश्नोई को पत्र लिख कर मांगी है। एक महिला पर चरित्र संबंधी आरोप लगने के बाद उसके परिवार की क्या हालत होती है, इसका दंश कितना दर्दीला होता है, यह तो सुरजीत ही जान सकती हैं। इससे परिवार में जो दरार आई होगी, उसे पाटना कितना कठिन है, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है। रहा सवाल प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष से माफी मांगने का तो अब पछतावत होत क्या, जब चिडिय़ा चुग गई खेत। यह सर्वविदित ही है कि जब विश्नोई ने उन्हें पद से हटाया था, तब यह भी कहा था कि सुरजीत के खिलाफ पहले से शिकायतें आ रही थीं, इस कारण उन्हें हटाना जरूरी हो गया था। अब देखना ये है कि विश्नोई ताजा प्रकरण में आरोप लगाने वाले के पलटने के बाद क्या पुरानी शिकायतों को भी भूल कर सुरजीत को फिर से पद पर काबिज करती हैं या नहीं। कुल मिला कर राठौड़ की नादानी से शहर महिला कांग्रेस को शानदार तरीके से चलाने वाली दबंग व बिंदास सुरजीत इस प्रकरण में जो खोया है, उसे फिर पाना नितांत असंभव है। बड़े बुजर्गों ने सच ही कहा है- नादान की दोस्ती जी का जंजाल।