रविवार, 16 मार्च 2014

रामचंद्र चौधरी होंगे आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी

अजमेर डेयरी के अध्यक्ष व देहात जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को आम आदमी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है। असल में पार्टी काफी दिन से प्रत्याशी की तलाश कर रही थी, मगर कोई ढ़ंग का नेता मिल ही नहीं रहा था। सब जानते हैं कि यह पार्टी कहने मात्र को आम आदमी की है, मगर टिकट खास आदमियों को ही दे रही है। आम आदमी से थोड़ा सा ऊपर वाले नेता यथा श्रीमती कीर्ति पाठक व किरण शेखावत ने दावा किया, मगर पार्टी को तो खास आदमी चाहिए था। पहले तेजतर्रार कवि कहलाने वाले शहनाज हिंदुस्तानी को टिकट देने का निर्णय किया गया, मगर जमीन पर पकड़ न होने और पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ताओं की नाराजगी के चलते किसी और नेता की तलाश थी। यह तलाश चौधरी पर आ कर टिक गई।
बताने की जरूरत नहीं है कि वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के धुर विरोधी हैं। वे पहले ही घोषित कर चुके हैं कि अगर सचिन अजमेर से लड़े तो वे उनके सामने खड़े होंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सामने भी वे सचिन के प्रति अपना विरोध दर्ज करवा चुके हैं। हालांकि अभी सचिन का नाम घोषित नहीं हुआ है, मगर चौधरी ने तय कर लिया है कि वे सचिन की न सही, कांग्रेस की ही बारह बजा कर रहेंगे। वैसे भी सचिन के प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस में उनकी वापसी और कद्र होने वाली नहीं है। बेहतर यही है कि कांग्रेस को आइना दिखाया जाए। जातीय समीकरण भी उनको सूट करता है। संसदीय क्षेत्र में जाटों के दो लाख से ज्यादा वोट हैं। डेयरी अध्यक्ष के नाते उनकी पूरे क्षेत्र में अच्छी पकड़ भी है। अगर आम आदमी पार्टी का बैनर मिल गया तो उसका भी फायदा होगा। सो उन्होंने यह दाव चलने का निर्णय कर लिया। उधर आम आदमी पार्टी को भी अच्छे प्रत्याशी की तलाश थी। दोनों की ख्वाहिश पूरी हो गई।
बुरा न मानो होली है

हेमंत भाटी को हराने वाले कई नेता कांग्रेस से बाहर होंगे

विधानसभा चुनाव में अजमेर दक्षिण के कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत भाटी को हराने वाले कई कांग्रेसियों पर जल्द ही गाज गिरने वाली है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने अत्यंत गोपनीय तरीके से पता लगवाया है कि इस लगभग जीती हुई सीट पर भाटी कैसे हार गए। जानकारी के अनुसार भाटी को हराने वाले कांग्रेसियों में मुख्य: अनुसूचित जाति के ही नेताओं की भूमिका रही है, जिनमें कुछ पार्षद भी शामिल हैं, जिन्होंने भरपूर सेवा-पूजा लेने के बाद भी भाटी के लिए काम नहीं किया। नतीनजन अनुसूचित जाति बहुल वार्डों में भी कांग्रेस को वोट कम मिले। असल में वे नहीं चाहते थे कि भाटी स्थापित हों और उनके लिए आगे का रास्ता बंद हो जाए। सब जानते हैं कि भाटी को टिकट दिलवाने में पायलट की अहम भूमिका रही और उनका हारना उन्हें नागवार गुजरा है। स्वाभाविक रूप से इससे पायलट की किरकिरी हुई है, भले ही हारने की एक प्रमुख वजह ये रही हो कि कांग्रेस हाईकमान ने अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को टिकट नहीं दिया और सिंधियों ने अजमेर  दक्षिण में कांग्रेस को निपटा दिया। चलो, सिंधियों ने वोट नहीं दिया, मगर कांग्रेस मानसिकता के अनुसूचित जाति के वोट भी भाटी को नहीं मिले, तो इसका सीधा सा अर्थ ये है कि अनुसूचित जाति के नेताओं ने खुरापात की। इसे सचिन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर सकते, लिहाजा उन्होंने गोपनीय तरीके से पता लगवाया है कि वे कौन-कौन थे, माल भी खाया और कांग्रेस का माजना भी खराब करवा दिया। ये नेता सोच रहे थे कि पूरे प्रदेश में ही कांग्रेस विरोधी लहर थी, इस कारण उनकी बदमाशी छुप जाएगी, मगर सचिन ने सब कुछ पता लगवा लिया है। अब वे जल्द ही कांग्रेस की खा कर कांग्रेस की ही बारह बजाने वाले उन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता निकालने का कदम उठाने वाले हैं। इतना ही नहीं निष्क्रिय रहे कुछ पार्षदों के लिए इस बार फिर से टिकट हासिल करना सपना मात्र रह जाएगा।
बुरा न मानो होली है