शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

अगर माथुर मुख्यमंत्री बने तो बदल जाएंगे स्थानीय समीकरण

जैसे-जैसे ही संसद का मानसून सत्र समाप्ती की ओर अग्रसर है, एक बारगी फिर केन्द्रीय मंत्रीमंडल में बदलाव की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। इतना ही नहीं राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे को केन्द्रीय मंत्रीमंडल में बतौर विदेश मंत्री शामिल किए जाने के भी कयास लगाए जा रह हैं। उनके स्थान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खासमखास ओम प्रकाश माथुर को मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना बताई जा रही है। मीडिया में जिस पुख्ता तौर पर ये खबरें चल रही हैं, उससे लगता है कि मानसून सत्र समाप्त होते ही यह बड़ा बदलाव हो जाएगा।
अगर ऐसा होता है तो समझिये राजस्थान में वसुंधरा युग का अवसान हो जाएगा। वे तकरीबन दो दशक से राज्य की राजनीति पर हावी रही हैं। सच तो ये है कि राज्य में वसुंधरा व भाजपा एक दूसरे के पर्याय हैं। जाहिर तौर पर उनके हटने के साथ ही राज्य में आरएसएस हावी हो जाएगी। इसका परिणाम ये होगा कि अजमेर में भी भाजपा के समीकरण बदल जाएंगे। यह सही बात है कि राजस्थान पुरा धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत, शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमत अनिता भदेल वसुंधरा राजे के साथ ट्यूनिंग की वजह से पदों पर हैं, मगर हैं वे मौलिक रूप से संघ पृष्ठभूमि के। इस कारण उनकी स्थिति में अंतर नहीं आना चाहिए। अलबत्ता श्रीमती भदेल चूंकि प्रो. देवनानी को बैलेंस करने के लिए वसुंधरा की निजी पसंद के कारण मंत्री बनीं, इस कारण उन पर आंच आ जाए तो कुछ कहा नहीं जा सकता। बात करें, किसान आयोग के अध्यक्ष प्रो. सांवरलाल जाट की तो वे सर्वविदित तौर पर वसुंधरा खेमे से ही हैं, मगर चूंकि जाट समाज के दिग्गज नेता हैं, इस कारण उनको छेडऩा आसान नहीं होगा। अलबत्ता आगामी विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र को नसीराबाद से टिकट मिलता पाता है या नहीं, यह बदले समीकरणों पर निर्भर होगा।
अगर माथुर मुख्यमंत्री बने तो एक लॉबी काफी मजबूत हो जाएगी, जिसमें मुख्य रूप से पूर्व राज्य मंत्री श्रीकिशन सोनगरा, शहर जिला भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव, पूर्व नगर परिषद सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत आदि शामिल हैं। गत दिनों माथुर के अजमेर आगमन पर स्वागत करने पहुंचे सोनगरा के पुत्र विकास सोनगरा, नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन, सोमरत्न आर्य, पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना, कमला गोखरू, पूर्व नगर परिषद सभापति सरोज यादव, पूर्व शहर जिला अध्यक्ष पूर्णाशंकर दशोरा, तुसली सोनी, विनीत पारीक, श्रीमती रश्मि शर्मा, श्रीमती वनिता जैमन आदि को भी संतुष्टि होगी कि अब उन्हें वसुंधरा राजे की नाराजगी का शिकार नहीं होना पड़ेगा। यहां बता दें कि इन सबके के नामों की सूची वसुंधरा तक पहुंच चुकी है। माथुर के स्वागत में देवनानी लॉबी की जिला प्रमुख वंदना नोगिया, पार्षद नीरज जैन, वीरेन्द्र वालिया, महेन्द्र जादम, राजेन्द्र लालवानी, अनीश मोयल, रमेश सोनी आदि भी गए, मगर तब ये समझा गया कि वे गफलत में पहुंचे, मगर अब वही गफलत उपयोगी भी हो सकती है। इससे ऐसा अंदेशा होता है कि कहीं देवनानी को पहले से ही  अंदरखाने पक रही खिचड़ी का पता तो नहीं था। चूंकि वे वसुंधरा राजे के मंत्रीमंडल में शामिल हैं, इस कारण उनका स्वागत समारोह में जाना कदाचित अनुचित था, मगर संभव है उन्होंने अपने शागिर्दों को भेज कर माथुर के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की हो।
वैसे माथुर के मुख्यमंत्री बनने का सबसे बड़ा फायदा सुरेन्द्र सिंह शेखावत को होगा। इससे न केवल उनका भाजपा में पुनर्वास होगा, अपितु आगे का केरियर भी बन जाएगा। ज्ञातव्य है कि वे अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र की टिकट के प्रबल दावेदार हैं। गर देवनानी का टिकट कट पाना संभव नहीं हुआ तो कम से कम भाजपा सरकार बनने पर अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद के तो प्रबल दावेदार हो ही जाएंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000