शनिवार, 21 अप्रैल 2012

ये राठौड़ फैन क्लब नहीं, लाला बन्ना फैन क्लब है

पूर्व मंत्री व मौजूदा भाजपा विधायक राजेन्द्र सिंह राठौड़ के लिए यह सुखद है कि भाजपा के साथ-साथ उनके अपने समर्थक भी उनकी गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। अजमेर में भी उनके समर्थन में रातोंरात गठित फैन क्लब मैदान में उतर आया है। राठौड़ फैन क्लब राजस्थान की अजमेर इकाई की ओर से उनके 58वें जन्मदिवस पर 101 यूनिट रक्तदान किया गया। जाहिर तौर पर इस अवसर पर क्लब के सदस्यों ने राजेन्द्र सिंह राठौड़ की गिरफ्तारी को अनुचित बताते हुए इसका विरोध किया। साथ ही संकल्प लिया कि अन्याय के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा जाएगा।
श्रीनगर रोड स्थित होटल दाता इन में हुए रक्तदान शिविर में रक्तदान करने वाले युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। ऐसे में यह जिज्ञासा स्वाभाविक सी है कि यकायक राठौड़ के इतने सारे पक्के समर्थक कहां से आ गए, जबकि उनका न तो यह विधानसभा क्षेत्र है और न ही कर्मक्षेत्र। जानकार बताते हैं कि असल में इनमें से अधिसंख्य समर्थक मूलत: क्लब के संरक्षक व नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत उर्फ लाला बन्ना के हैं, जो कि उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलते हैं। राठौड़ से उनका कोई सीधा वास्ता नहीं है, वे तो सीधे-सीधे लाला बन्ना से जुड़े हुए हैं। शिविर के दौरान मौजूद युवाओं में अधिसंख्य वे ही थे, जो कि आमतौर पर लाला बन्ना के साथ नजर आया करते हैं। राठौड़ साहब को लाला बन्ना का शुक्र अदा करना चाहिए कि उन्होंने अपने निजी समर्थकों को एकत्रित कर राठौड़ का समर्थक दर्शा दिया।
राठौड़ के समर्थन में आयोजित रक्तदान शिविर से एक बारगी फिर स्थापित हो गया है कि लाला बन्ना भले ही वर्तमान में किसी बहुत महत्वपूर्ण पद पर न हों, मगर उनके अपने स्वयं के दोस्त और समर्थकों की एक लंबी फौज है। माना कि वे भाजपा के प्लेटफार्म पर खड़े हैं, मगर उनका असली वजूद अपना खुद का है, जो कि उन्होंने छात्र जीवन से लेकर अब तक अर्जित किया है। बेशक ताजा शिविर राठौड़ के समर्थन में आयोजित किया गया, मगर राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि इससे यह संदेश जरूर गया है कि लाल बन्ना सक्रिय राजनीति में हाथ जरूर आजमाएंगे। पिछली बार तो उनका अजमेर उत्तर से टिकट पक्का ही हो गया था। प्रो. वासुदेव देवनानी का टिकट कट ही गया था, मगर नागपुर का देवरा ढोक कर आने पर लाला बन्ना का पक्का टिकट धरा रह गया। ताजा शिविर को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखना प्री मैच्योर डिलीवरी के रूप में ही देखा जाएगा, मगर इससे यह संदेश जरूर जाता है कि वे फिर दावेदारी करेंगे। जानकार तो यहां तक बताते हैं कि उनकी तैयारी पूरी है। भले ही अभी इतना दूर की सोचना लोगों को नहीं पचे, मगर चुनावी राजनीति का जोड़-बाकी करने वाले लाला बन्ना फैक्टर भी भी काउंट करके चल रहे हैं।
चलते-चलते एक बात और। इस शिविर से एक जिज्ञासा यह भी होती है कि आखिर क्या वजह है कि सशक्त विपक्षी दल भाजपा के होते हुए आखिर क्यों राठौड़ के प्रशंसकों को अलग से मुहिम चलानी पड़ रही है। जरूर जयपुर में कोई गड़बड़ है। बताते हैं कि पार्टी का एक धड़ा राठौड़ के मुद्दे को पार्टी का नंबर वन मुद्दा बनाने से असहमत है। इसी के चलते अलग बैनर पर मुहिम चलाई जा रही है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

...लो फिर बर्फ से निकल आए एडवोकेट राजेश टंडन

अपने हरफनमौला व्यक्तित्व की बदोलत सुपरिचित वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजेश टंडन ने तीसरी बार अजमेर जिला बार एसोसिएशन का अध्यक्ष बन कर साबित कर दिया है कि अगर आदमी की जड़ जिंदा हो तो मौका पा कर वह फिर से हरा-भरा हो जाता है।
असल में टंडन पिछले काफी दिन से बर्फ में लगे हुए थे। कहलाते जरूर जाने-माने कांग्रेसी थे, मगर कांग्रेस में उनकी वखत कम सी हो गई थी। कम इसलिए कि उन्हें इस बार कांगे्रस सरकार के रहते ही कोई ढंग का पद नहीं मिल पाया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार जिस तरह से अपने पिटारे का मुंह संकड़ा कर रखा है, उसके चलते कई नेता अपने घर तक ही कैद हो कर रह गए हैं। नरेन शहाणी भगत को भी तब जा कर न्यास अध्यक्ष पद मिला, जब कि लगभग हताश हो चुके थे। जहां तक संगठन का सवाल है, इन दिनों जिस तरह की कांग्रेस अजमेर में पैदा हुई है, उसमें टंडन सहित कई दिग्गज हाशिये पर चुपचाप बैठे हैं। उनका कोई जोर नहीं चल रहा। संपर्क उनके जरूर जयपुर-दिल्ली तक हैं, मगर सचिन पायलट के कारण कोई भी बड़ा नेता अजमेर का नाम आते ही तुरंत हाथ खींच लेता है। टंडन ठहरे उखाड़-पछाड़ वाले नेता, सो उन्हें यह स्थिति बेहद दुखी किए हुए थी। कांग्रेस से उम्मीद खत्म सी हो गई थी और अगली सरकार किसकी होगी, कुछ पता नहीं, सो आखिर उन्हें यही बेहतर लगा कि अपने पेशे की जमात में ही फिर से अपना कद कायम करें। इसी चक्कर में बार अध्यक्ष के चुनाव में उतर गए। उतर तो गए, मगर इस बार राह आसान नहीं थी। आसान की छोडि़ए, यूं कहिये कि प्रतिष्ठा दाव पर ही लग गई थी। एक तरफ पुराने दुश्मन और दूसरी ओर संघ के नेता भी आ डटे, फिश प्लेटें गायब करने को। जोर तो बहुत आया, मगर अपने पुराने रसूखात और मिजाज के दम पर नैया पार लगा ही ली।
कुल मिला कर अब जनाब फिर शहर की मुख्य धारा में आ गए हैं और वह भी दमदार तरीके से। दिलचस्प बात ये रही कि बार अध्यक्ष बनते ही सीधे जिला व सत्र न्यायाधीश से भिड़ंत की नौबत आ गई। इसे कहते हैं सिर मुंडाते ही ओल गिरना। खैर, इसे भी उन्होंने बड़ी दिलेरी और चतुराई से निभा लिया। कुल जमा बात ये है कि उन्होंने एक कविता की इन पंक्तियों को साकार कर दिया है कि जड़ अगर जिंदा रही तो फिर हरा हो जाऊंगा। उम्मीद है कि उनकी यह पारी कामयाब रहेगी। वैसे भी शहर के गिने-चुने बुद्धिजीवी राजनीतिज्ञों में उनकी गिनती होती है, सो उम्मीदें कुछ ज्यादा ही हैं।
आइये, जरा उनके व्यक्तिगत जीवन में भी झांक कर देख लें-
उनका जन्म 3 अक्टूबर 1951 को स्वर्गीय श्री प्रेम नारायण टंडन के घर हुआ। उन्होंने बी.ए. व एल.एल.बी. तक शिक्षा अर्जित की। वे 1968 से लगातार कांग्रेस जुड़े हुए हैं। वे 1972 में श्रमजीवी कॉलेज छात्र संघ व 1974 में लॉ एसोसिएशन, राजकीय महाविद्यालय के अध्यक्ष, 1977 से 1986 तक जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष व 1987 से 1995 तक जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रहे। 1978 में भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी को जेल भेजे जाने पर किए गए जेल भरो आंदोलन में भाग ले चुके हैं। वे 1998 से 2003 कई सरकारी समितियों के सदस्य रहे हैं। इसके अतिरिक्त सन् 1997 से लगातार अजमेर उत्तर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्वाचित सदस्य रहे। वे 1997 से 2007 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी रहे हैं। उन्होंने 8 नवंबर 1975 से वकालत करते हुए विशेष उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने पांच साल तक प्रदेश के खनन विभाग के लिए विधि सलाहकार के रूप में काम किया है और पर्यावरण संबंधी मसलों पर विशेष जानकारी रखते हैं। वे अजमेर संभागीय आयुक्त व गुंडा एंड आम्र्स एक्ट के लिए सरकारी वकील रहे हैं। उन्होंने एससी एसटी कोर्ट और टाडा कोर्ट में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में भी काम किया है। राजस्व मंडल व आबकारी महकमे में भी बतौर सरकारी वकील और नगर परिषद में विधि सलाहकार के रूप में काम किया है। वे एक लंबे अरसे से नोटेरी पब्लिक भी हैं।
वे पंडित जवाहर लाल नेहरू की ओर से स्थापित फ्रेंड्स सोवियत यूनियन के जिला अध्यक्ष, इंडो-चाइना सोसायटी की राजस्थान इकाई के महासचिव, राजस्थान स्टेट रेसलिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष, अजमेर जिला रेसलिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष, कला घर सोसायटी के सचिव और दूरभाष सलाहकार समिति के सदस्य रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

त्रिपाठी के बदोलत अजमेर सूचना केन्द्र राज्य में पुन: प्रथम

सूचना व जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी की कार्यशैली की बदोलत सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय तथा सूचना केन्द्र अजमेर प्रचार-प्रसार एवं अन्य गतिविधियों के आयोजन के लिए हाल ही समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में पुन: प्रथम स्थान पर रहा है। यह कार्यालय गत वर्षो में भी लक्ष्य से अधिक उपलब्धियां अर्जित कर लगातार प्रथम रहा था। सहायक निदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी ने बताया कि इस कार्यालय द्वारा अपे्रल 2011 से मार्च 2012 तक राज्य में सर्वाधिक 3989 प्रेसनोट जारी किये जो लक्ष्य से कहीं अधिक है । इसके अतिरिक्त 96 फीचर, 24 सफलता की कहानियां भी जारी की गई । इस वर्ष में राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं व उपलब्धियों का लगभग 14 हजार साहित्य निशुल्क वितरित किया गया। उर्स मेला व अजमेर जिला दिग्दर्शन पुस्तिका का प्रकाशन किया गया। सूचना केन्द्र में 23 विभिन्न विकास प्रदर्शनी आयोजित की गई और 72 सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन विभिन्न स्तर से किया गया। 50 साहित्यक शैक्षिक विकासात्मक गोष्ठियां भी आयोजित की गईं। इस अवधि में राज्य के अन्य संभागीय मुख्यालय जिनमें सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय बीकानेर द्वारा 2773, जयपुर द्वारा 840, जोधपुर में 2061, कोटा 1414, उदयपुर ने 2220 तथा भरतपुर ने 1862 पे्रसनोट जारी किये। जिला कलक्टर श्रीमती मंजू राजपाल ने सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय अजमेर के अग्रणी रहने पर प्रशंसा व्यक्त करते हुए विश्वास जताया कि नये वर्ष में भी इसी गति के साथ कार्य करके यह कार्यालय अपना स्थान बरकरार रखेगा। यहां विशेष उल्लेखनीय है कि पत्रकारिता से अपना कैरियर शुरू कर वर्तमान में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक पद तक पहुंचे त्रिपाठी ने श्रेष्ठ जनसंपर्क अधिकारी के रूप में पूरे प्रदेश में नाम कमाया है। वे अपने मधुर व्यवहार व सहयोगी प्रवृत्ति के कारण लोकप्रिय हैं और योग्यता के दम पर हर सरकार में प्रभावशाली अधिकारी के रूप में जाने जाते रहे हैं। उनका जन्म 1 जनवरी, 1956 को हुआ। उन्होंने बी.कॉम., एम. कॉम.(वित्तीय प्रबंध) और एम.ए. हिंदी की डिग्रियां हासिल की हैं। उन्होंने सरकारी सेवा सहायक जनसंपर्क अधिकारी के रूप में शुरू की और चूरू, बीकानेर, भीलवाड़ा व अजमेर में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में काम किया। इसी प्रकार राजस्थान आवासन मंडल, जयपुर के जनसंपर्क अधिकारी भी रहे। अक्टूबर 1996 से अक्टूबर 1997 तक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के उप कुल सचिव भी रहे। वे इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर और कोटा खुला विश्वविद्यालय, कोटा के काउंसलर भी रहे हैं। वे उपराष्ट्रपति स्व. श्री भैरोंसिंह शेखावत के हाथों 15 सितंबर, 2003 को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं। इसी प्रकार 15 अगस्त, 1996 को उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त 30 मई, 1999 को यूनेस्को फेडरेशन अवार्ड और 2000 में प्रतिष्ठित माणक अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं। वे चार बार जिला स्तर पर भी सम्मानित हुए हंै और दो बार पुष्कर व उर्स मेले में राज्य स्तर पर राज्यस्तरीय प्रदर्शनी पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। वे अनेक बार दूरदर्शन और आकाशवाणी में परिचर्चाओं में भाग ले चुके हैं और उनके एक हजार से भी ज्यादा लेख-फीचर देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।