आदतन अपराधी धर्मेंद्र चौधरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेस व भाजपा पार्षदों ने जिस तरह अपने हितों के लिए संघर्ष समिति बनाई है, उससे एक तो यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या कांग्रेस के पार्षदों का अपने ही राज की कानून व्यवस्था से विश्वास उठ गया है, और दूसरा ये कि क्या अजमेर शहर के भले के लिए भी दोनों दलों के पार्षद इसी प्रकार एकजुट हो कर काम करेंगे।
दिलचस्प बात देखिए। मेयर कमल बाकोलिया के नेतृत्व में गृह राज्यमंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल के सामने शिकायत करने गए तो एक ओर तो वे ये कहने लगे कि वे पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा और कोतवाली थानाधिकारी राजेन्द्र सिसोदिया की भूमिका से तो संतुष्ट है, लेकिन सिविल लाइन थानाधिकारी खान मोहम्मद आदतन अपराधी को शह दे रहे हैं। सवाल ये उठता है कि जब खान मोहम्मद अपराधी को शह दे रहे हैं तो आखिर पुलिस अधीक्षक मीणा क्या कर रहे हैं? और यदि नहीं कर रहे हैं तो उनसे संतुष्टि किस बात की है? यदि संतुष्ट हैं तो फिर मंत्री जी को शिकायत क्यों कर रहे हैं? है न अजीब बात।
एक सवाल ये भी उठता है कि दोनों दलों के पार्षदों की घालमेल संभव कैसे हुई? स्वाभाविक सी बात है अभी कांग्रेसी पार्षद नौरत गुर्जर पर संकट है तो कांग्रेसियों को तो एक जुट होना ही है, चाहे अपने ही राज में प्रशासन से नाराजगी का मसला हो, मगर भाजपाई इस कारण साथ दे रहे हैं कि इससे कांग्रेस राज की कानून व्यवस्था चौपट होने की बात उजागर हो रही है। एक कारण ये भी हो सकता है कि कदाचित भविष्य में अगर कोई भाजपा पार्षद संकट में आया तब यह उम्मीद रहेगी कि कांग्रेसी भी उनका साथ देंगे। रहा सवाल राजनीति से हट कर बात करने का तो यह वाकई शर्मनाक है कि कोई अपराधी नेताओं को ही धमकियां दे सकता है तो आम आदमी की क्या हालत होगी? उसमें भी अफसोसनाक ये कि अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए दोनों दलों के पार्षदों तक को एकजुट हो कर एडी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है तो सामान्य जन के लिए कानून व्यवस्था कितनी सुरक्षित है?
रहा सवाल खुद पर संकट आने पर एकजुट होने का तो यही एकजुटता इससे पहले अजमेर के विकास के लिए क्यों नहीं दिखाई? यानि कि अपने हित के लिए तो एकजुट हैं, मगर और मामलों में एकजुटता तो दूर, आपस में जूतम पैजार तक कर देंगे। वैसे यह एक सुखद बात है कि दोनों दलों के पार्षद एकजुट हो गए हैं। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि अतिक्रमणों को हटाने के मामले और शहर के विकास के लिए भी वे कंधे से कंधा मिला कर चलेंगे।