शनिवार, 14 मई 2011

कल के अछूत बाबो सा आज पूजनीय कैसे हो गए?


ये दुनिया भी अजीब है। कई बार जीते जी किसी शख्स की दो कौड़ी की इज्जत कर देती है और मरने के बाद पूजने लग जाती है। कभी राजस्थान के एक मात्र सिंह के नाम से अलंकृत पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत जब उपराष्ट्रपति पद से निवृत्त हो कर प्रदेश में लौटे तो भाजपा में ऐसा माहौल बना दिया गया था मानो वे कोई अनजान प्राणी हैं, जिनके लिए इस प्रदेश में कोई जगह ही नहीं है। इसे यूं भी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि एक वक्त ऐसा भी आया जब राजस्थान का यह शेर अपने ही प्रदेश में बेगाना करार दे दिया गया था।
अजमेर वासी भलीभांति जानते हैं कि जब वे दिल्ली से लौट कर दो बार अजमेर आए तो उनकी अगुवानी करने को चंद दिलेर भाजपा नेता ही साहस जुटा पाए थे। शेखावत जी की भतीजी संतोष कंवर शेखावत, युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा और पूर्व मनोनीत पार्षद सत्यनारायण गर्ग सहित चंद नेता ही उनका स्वागत करने पहुंचे। अधिसंख्य भाजपा नेता और दोनों विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल ने उनसे दूरी ही बनाए रखी। वजह थी मात्र ये कि अगर वे शेखावत से मिलने गए तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया नाराज हो जाएंगी। पूरे प्रदेश के भाजपाइयों में खौफ था कि वर्षों तक पार्टी की सेवा करने वाले वरिष्ठ नेताओं को खंडहर करार दे कर हाशिये पर धकेल देने वाली वसु मैडम अगर खफा हो गईं तो वे कहीं के नहीं रहेंगे। असल में वे नहीं चाहतीं थीं कि शेखावत जी की परिवार शृंखला राजनीति में वजूद कायम पाए। इसी कारण शेखावत जी के जवांई नरपत सिंह राजवी को भी पीछे धकेलने की उन्होंने भरसक कोशिश की।
मगर अब समय बदल गया है। सत्ता से च्युत होने के बाद जबरन विपक्षी दल की नेता पद से हटाए जाने के बाद मजबूरी में फिर से उसी पद पर काबिज होने वाली वसु मैडम को टक्कर देने को संगठन तैयार दिखाई दे रहा है। वसु मैडम का अब वह खौफ नहीं रहा, हालांकि अब भी तय है कि आगामी चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाना है। पिछले दिनों पुष्कर में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में भी वसु मैडम का न आना यह साबित करता है कि अब संगठन पहले की तरह उनका गुलाम नहीं रहा है। उसी का नतीजा है कि रविवार, 15 मई को भारतीय जनता पार्टी शहर जिला अजमेर ने पूर्व उपराष्ट्रपति, भारतीय जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य एवं वरिष्ठ नेता स्व. भैरोंसिंह शेखावत की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उसमें अधिसंख्य भाजपा नेता शरीक हुए। जिला अध्यक्ष रासासिंह रावत के नेतृत्व में अनाथालय में बच्चों में फल वितरण भी किया गया। प्रवक्ता व वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंद यादव की ओर से जारी भाजपा की अधिकृत विज्ञप्ति में बाबो सा शेखावत जी के नाम के साथ भारतीय जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य अलंकार भी जोड़े गए थे। ऐसा देख कर बड़ा अजीब लगा कि क्या आज श्रद्धा के पात्र ये शेखावत जी वही हैं, जिन्हें उनके जीते जी अजमेर आने पर किसी ने भाव नहीं दिया था। कैसी विडंबना है कि कल के अछूत बाबो सा आज अचानक पूजनीय कैसे हो गए?
खैर, शायद की इसी कारण राजनीति को बड़ी कुत्ती चीज कहा जाता है।